पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष पंचदश भाग.djvu/२९९

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बाघमारा-चापेरहाट २६ बाघमारा-त्रिपुराराज्यके अन्तर्गत एक प्रधान बाणिज्य- | शाहजहान के प्रधान स्थपति अलीम खांने यह उद्यान- स्थान। वाटिका बनवाई थी। मुगल-सम्राटकी अवनतिके साथ बाघमारी-मयूरभा और सिंहभूम जिलेके मध्यवत्तीं एक साथ यह उद्यान भी लोप हो गया। पञ्जाबकेशरी रण. गिरि। जित् सिंहने उसका जीर्णमस्कार किया था। बाघमुण्डी-बिहारके मानभूम जिलेको एक अधित्यका। बाघहाट सिमला शैलके समीपवत्तीं अगरेज-रक्षित एक इसके सर्वोच्च शिखरका नाम गङ्गाबाड़ी है। यह अक्षा० गिरि-राज्य । यह अम्बाला विभागके छोटे लाटके अधीन २३. १२ उ० तथा देशा० ८६५३० पू०के मध्य पुरुः है। यह अक्ष ० ३०५० से ३०.५८° उ० तथा देशा० लिया नगरसे १० कोस दक्षिण-पश्चिममें अवस्थित है। ७७२ मे ७७ १२ पू०के मध्य अवस्थित है। भूपरि- बाघल-सिमला पर्वतके निकटवत्तीं पञ्जाबके अन्तर्गत माण ३६ वर्गमील और जनसंख्या १० हजारके लगभग एक पार्वतीय राज्य । यह अक्षा० ३१.५ से ३११६ है। यहांके राणा अपनेको दाक्षिणात्यके घरानगिरि उ० तथा देशा० ७६ ५५ से ७७५ पू०के मध्य अव- वंशज गजपूत बतलाने हैं। १८०५ ई०में राणाने विलास स्थित है। भूपरिमाण १२९ वर्गमील और जनसंख्या पुर राज्यको मदद दी थी इस कारण गुरखाने उनका २५ हजारके करीब है। इसकी राजधानी अकी है जो राज्याधिकार बहुत दिनों तक कायम रखा । पीछे १८१५ सिमलासे २० मील उत्तर-पश्चिममें पड़ती है। यहांके में राज्यका कुछ भाग जब्त कर पतियालामें मिला लिया राजगण पुयार वंशीय राजपूत हैं। पहले इनकी उपाधि गया। १८३९ ईमें कोई राज्याधिकारी न रहने के कारण राणा थी। वर्तमान सरदारके पिता किशन सिहने अङ्ग गज्य जब्त कर लिया गया, पर १८४२ ईमें भूतपूर्व रेजोको खासी मदद पहुंचाई थी जिससे सरकारने प्रसन्न राणाके भाईके हाथ पांच वर्ष तकके लिये लौटा दिया हो कर उन्हें राजाकी उपाधिसे भूषित किया। १५१५ / गया। १८६२ ई० में राणा दलाप सिंह राजसिंहासन ई०की सनदके अनुसार ये लोग इस राज्यका भोग पर बैठे। इन्हें सि-आइ-इ-की उपाधि मिली थी। करते आ रहे हैं। सभी कार्यका बिचार राजा द्वारा ही राज्यकी आय तास हजार रुपये हैं। कसौली और परिचालित होता है। प्राणदण्ड देते समय इन्हें कमि- सोलनके सेनानिवासके लिये राणासे कुछ स्थान ले श्नरको अनुमति लेनी पड़ती है। यूरोपीय अतिथियोंके कर वृटिश सरकारने राज-कर माफ कर दिया है। रहने के लिये राजाने एक सुन्दर भवन बनवा दिया है वाघहाट हैदराबाद राज्यके मेदक जिलेका तालुक । जो सिमला पहाड़से १० कोस दूर पड़ता है। गौड़ भूपरिमाण ४५१ वर्गमील और जनसंख्या ६० हजारके और सारस्वत ब्राह्मण तथा कुनेति जाति द्वारा यहांका करीब है। इसमें मुशीराबाद नामका १ शहर और कृषिकार्य सम्पन्न होता है। गुर्खा-अधिकारमें अकी ११० प्राम लगते हैं। राजस्व ७५००० रु० है। नगर राजधानी रूपमें गिना जाता था। वर्तमान राजा- बाधा (हिं० पु० ) १ चौपायोंका एक रोग। इसमें का नाम विक्रम सिंह है। ये १९०४ ई०में राजसिंहा- पशुओं का पेट फूल जाता है और सांस रुकनेसे वे मर सन पर बैठे। इन्हें ५० सेना और १ कमान रखनेका जाते हैं। २ कबूतरों की एक जातिका नाम। अधिकार है। राजख ५०००० रु०मेंसे ३६०० रु० बाघी (हिं० स्त्रो० ) एक प्रकारको गिलटो। यह अधिकतर यूटिश सरकारको करस्वरूप देने पड़ते हैं। गरमीके रोगियोंके पैर और जाँधको सन्धिमें होती है। वाघनापाड़ा-वर्द्धमान जिलेके अन्तर्गत एक प्रसिद्ध यह बहुत कष्टदायक होती है और जल्दी दबती नहीं। वैष्णव-स्थान। यहां प्रति वर्ष एक मेला लगता है। बहुधा यह पक जाती है और चीरनी पड़ती है। वाघवतपुर-पजाबप्रदेशके लाहोर जिलान्तर्गत एक गण्ड बाघुल ( हिं० स्त्री० ) एक प्रकारको छोटी मछलो। प्राम। सलीमके उद्यानके लिये यह स्थान प्रसिद्ध है। बाघेरहाट-१ बङ्गालके खुलना जिलेको उपविभागः। यह जहांगीर बादशाहके झोलम. उद्यानके ढंग पर सम्राट अक्षा० २२४४ से २२ ५६ उ० तथा देशा० १६.३२ से . V. 74