पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष पंचदश भाग.djvu/२७९

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बांका-बांकीपुर २७३ बोका-- बिहार और उड़ीसाके भागलपुर जिलेका दक्षिण- इसमें केवल एक प्राम लगता है। भूपरिमाण ४ वर्ग: - उपविभाग। यह अक्षा० २४.३३ से २५७ उ० तथा मील और जनसंख्या हजारसे ऊपर है। इस राज्यके 'देशा० ८६ १६ से ८८ ११ पू०के मध्य अवस्थित है। स्थापयिता थे झांसीके निकटवत्ती बड़गांवके रहनेवाले भूपरिमाण १९८२ वगमील और जनसंख्या चार लाखसे बदला राजपूत दीवान उमेहसिंह। इनके पिताका नाम ऊपर है। इसमें बाका नामका १ शहर और ६६३ प्राम दीवान रायसिंह था। पहले इसमें पांच प्राम लगते थे, लगते हैं। पर मरहठा आक्रमणके समय उनमेंसे चार हाथसे जाते २ उक्त उपविभागका एक प्रधान शहर । यह अक्षा० रहे। वर्तमान अधिपतिका नाम है दीवान बांका मिह- २४५३ उ० तथा देशा० ८६ ५६ पू० चन्दन नदीके रवान सिंह। पे १८६० ई० में गद्दी पर बैठे । राजस्व किनारे अवस्थित है। यहां तथा उपगिभागके सभी स्थानों चार हजार रुपयेका है। में दूबे भैरों नामक ब्रह्मदेवताको पूजा होती है। भागल- बांकापुर-१ बम्बईके धारवार जिलेका पश्चिमी तालुक । पुरवासियोंका विश्वास है, कि इन सब भूतयोनिके कुपित यह अक्षा० १४५१ से १५१० उ० तथा देशा० ७५४ से होनेसे जनसाधारणका अमंगल होता है। अमङ्गल दूर ७५२८ पू०के मध्य अवस्थित है। भूपरिमाण ३४४ करनेके लिये वे लोग उपदेवताको नाना प्रकारके उपहार वर्गमील है। इसमें इसी नामका १ शहर और १४४ चढ़ाते हैं। दूबे भैरों युक्तप्रदेशवासी एक ज्योतिःशास्त्र प्राम लगते हैं। जनसंख्या १० हजारसे ऊपर है। विशारद ब्राह्मण थे। वे वीरमा नामक क्षेभौरी राजाके | २ उक्त तालुकका एक शहर । यह अक्षा० १४५५७० आश्रयमें मुङ्गरके निकटवत्ती दद्रि नगरमें आ कर बस तथा देशा० ७५१६ पू०के मध्य अवस्थित है। जनसंख्या गये। राजाके उत्पीड़नसे उन्होंने आत्महत्या कर डाली छः हजारसे ऊपर है। शहरमें दो भग्न दुर्ग और दो जिससे उनका राज्य नष्ट भ्रष्ट हो गया । राजाने मन्दिर हैं। १०७१ ईमें गंगावंशके उदयादित्य यहाँका ब्रह्मकोपानलसे निस्तार नहीं पाया । पापसे मुक्त होनेके शासन करते थे। १४०६ ई०में सवनूर-नवाबके पूर्वपूरुष लिये वे बहुत दिनों तक देवघर में रहे, पर वहां भी वैद्य- बाह मनी सुलतान फिरोजशाहने यहां घेरा डाला था। नाथ वा पार्वतीदेवी राजाको रक्षा न कर सकी । आखिर यहां रङ्ग श्वर स्वामीका एक जैन-मन्दिरहै। तीनपहाड़के ऊपर घे एक दिन बैठे थे, कि एक पत्थरके बॉकिया (हिं० पु. ) नरसिंहा नामका एक प्रकारका गिरनेसे उनकी हड्डी चकना चूर हो गई और वे पञ्चत्वको वाजा जो फूक कर बजाया जाता है। यह लोहे या प्राप्त हुए। भागलपुरवासी दूबे भैरवको पूजा वैद्यनाथ- तांबेका होता तथा आकारमें कुछ टेढ़ा होता है। पूजाके बाद करते हैं। ब्राह्मण होनेके कारण उनको पूजा- बांकी-उड़ीसा प्रदेशके अन्तर्गत एक सामन्त राज्य। में जीवबलि नहीं दी जाती। अभी यह अङ्गरेज गवर्मेण्टके अधीन है । भूपरिमाण शहरमें एक छोटो अदालत, कारागार और एक हाई- ११६ वर्ग मील है। इसके उत्तरमें महानदी, पूर्वमें कटक स्कूल है। यहांसे १० मीलकी दूरी पर बौंसी नामक जिला, दक्षिणमें पुरी और पश्चिममें खएडपारा राज्य है। प्रसिद्ध तीर्थक्षेत्र अवस्थित है। भागलपुर स्टेशनसे इ० १८००से १८४० ई० तक यह स्थान हिन्दू सामन्तराजके माइ०.भार रेलवेकी एक शाखा वहां तक दौड़ गई है। हाथ था। वे अगरेज गवर्मेण्टको वार्षिक ४४३० रुपये बांकामाल - मेदिनीपुर जिलान्तर्गत रूपनारायण मदीकी कर दिया करते थे। १८४१ ई०में हत्यापराध दण्डित हो एक खाल । यह रूपनारायण मुहानेसे हल्दी तक विस्तृत इन्हें सदाके लिये देशनिकाला हुआ और वृटिश सरकार- मे राज्य अपने अधिकारमें कर लिया। इसी समयसे बांकापहाड़ी-बुन्देलखण्ड एजेन्सीके अधीन मध्यप्रदेश- इसकी श्रीवृद्धि देखी जाती है। का एक सनद राज्य । यह अक्षा० २५ २२ बांकीपुर-बिहार और उड़ीसा प्रदेशके पटना जिलान्तर्गत तथा देशा० ८० १४ पू०के मध्य अवस्थित है।। एक उपविभाग। यह अक्षा० २५१२ से २५४० 30 Vol. xv.. 69