पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष पंचदश भाग.djvu/२५९

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प बहरचन्द खा-पहलमन्ध निमीक योद्ध,पुरुष थे। साथ साथ सन् णोंका भी उनमें तब बहराम उसे परास्त कर राज्यसे मार भगाते थे। अभाव नहीं था। राजाकी तरह वेशभूषा करनेमें वे एक दिन राजा और बहराम बोतल बढ़ा रहे थे इसी . लज्जा बोध करते थे। समय नशेकी हालतमें बहरामने अपना परिचय दे दिया। . उनके शासनकालमें जनसाधारणकी सलाह ले कर | राजाने इनका परिचय पा कर बहुत अनुनय विनय इखतियार उहीन ईतिगिन सहकारी रूपमें रक्षाकार्य की किया। पीछे उन्होंने अपना अलोकसामाम्या कन्या- पर्यालोचना करते थे। दो वर्ष राज्यशासनके बाद वे रत्न दे कर मित्रताकी जड़ बहुत मजबत कर ली। राज्य राजमन्त्री वजीर निजाम उलमुल्क मजहव उद्दीनके पड़ लौट कर बहरामने प्रजाको महोल्लाससे दिन बितानेका यन्त्रसे मारे गये। पीछे सुलतान अलतमसके पुत्र हुकुम दिया। किन्तु इससे राज्यका दिनों दिन अध:- भलाहोन राजा हुए। पतन होने लगा । बहरामका आधा समय राजकार्यमें बहरमन्द खां-मिर्जाबहरमके पुत्र सम्राट आलमगीरके और आधा आमोद-प्रमोदमें बीतता था। पारस्यराज्य- प्रधान अमात्य । रूह-उल्ला खांकी मृत्युके बाद वे १६६२ | की सोली नर्तकियोंको उन्होंने हिन्दुस्तानसे मंगा कर ई०में सम्राटसे मीर बक्सीके पद पर अभिषिक्त हुए। अपने राज्यमें बसा दिया था। २७०२ ई०को दाक्षिणात्यमें उनका देहान्त हुआ। उनके | बहरिया ( हि० पु० ) बल्लभ सम्प्रदायके मदिरोंके छोटे इच्छानुसार बहादुरगढ़में उनकी समाधि हुई था। कर्मचारी जो प्रायः मन्दिरके बाहर ही रहते हैं। बहरियाना ( हिं० कि०) १ बाहरकी ओर करना, निका- बहरा ( हिं० पु० ) जिसे श्रवणशक्ति न हो, जो कानसे न लना। २ अलग करना, जुदा करना। ३नावको सुन सके। किनारेसे हटा कर मंझधारकी ओर ले जाना। ४ नाव- बहराना (हि० कि० ) १ जिस बातसे जो ऊबा या दुखी का किनारेसे हट कर मंझधारकी ओर जाना। ५ अलग हो उसकी ओरसे ध्यान हटा कर दूसरी ओर ले जाना। होना, जुदा होना। ६ बाहरकी ओर होना । २ बहकाना, भुलाना। | बहरी ( अ० स्त्री० ) एक शिकारी चिड़िया। इसका रूप बहराइच--पराइच देखो। रंग और स्वभाव बाजका-सा होता है, पर आकार छोटा बहरामघोर--राण-राज्यके एक अधिपति। राजसिहा- होता है। सन पर बैठ कर ये पुत्र-रूपमें प्रजापालन करते थे। चारों बहरू ( हि पु० ) मझोले आकारका एक पेड़ जो मध्य- ओर शान्ति बिराजती थी, प्रजाको किसी प्रकार कष्ट न प्रदेश, बरार और मन्द्राजमें पाया जाता है। इसकी था। कुछ दिन राज्य करनेके बाद उन्हें भारतवर्ष जीतने- लकड़ो सुन्दर, चमकदार और मजबत होती है। खेतीके की धुन लगी। इस उद्देश्यसे उन्होंने राज्य भार अपने सामान, गाड़ियां तथा तसवीरोंके चौकठे इस लकड़ीके भाई जसीर पर सौंपा और आप वणिक्के वेशमें भारत बनते हैं। वर्षको चल दिये। इस समय सिन्धु-प्रदेशमें रायवंशोय- बहरूप (हिं० पु०) गोरखपुर चम्पारन आदि पूरबी जिलों में गण राज्य करते थे। रहनेवाली एक जाति जो बैलों का व्यवसाय करती है। ___ राजसभामें पहुच इन्होंने इराणीय वणिक् बतला बहल (सपु० । बह-बाहुलकादलच । १ पोत, माव । कर अपना परिचय दिया। यहां रह कर वे राजाके २ क्षु, ईस्ख । (लि० ) ३ दढ़, मजवत । ४ बहुल, प्रपुर। सैन्यसामन्तका पर्यवेक्षण करने लगे। एक दिन राज्य ५ स्थूल, मोटा। में मत्तमातङ्गका उपद्रव हुआ। बहरामने उसे मार बहल ( हि स्त्री० ) एक प्रकारकी छतरीदार षा मंडपदार डाला और इस प्रकार थे राजाके प्रीतिभाजन हुए । धोरे गाड़ी जिसे बैल खीचते हैं, रब्बा। धीरे राजाके साथ इनकी गाढ़ी मिलता हो गई। जब बहलगन्ध (सं.ली) बहला प्रधुरो गन्धो पस्य। कभी कोई प्रवलपराक्रम शनु सिन्ध-राज्य पर चढ़ माता, | शम्बरचन्दन । Vol. xv. 64