पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष पंचदश भाग.djvu/२३६

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२२० वहां पर उनकी बलि चढ़ाई जाती थी ।(१) क्रीटवासी और प्लूतार्क प्रभृतिने ओसिरिसको वेदो ( Alter of दिओनिसियाका (TDi.nusiact)में जीवित पशुओंका मांस Osiris )का और इडिथिया नगरमें राजकर्तृक प्रदत्त नर- दांतोंसे चोर कर दिओनिसाको संतुष्ट करने चढ़ाते थे ।(२) बलिका उल्लेख किया है। रोमक लोगोंके राज्यसे यूरोप- मिनाडिस् (Alaenades), थियाडिस ( Thyadcs) खण्डमें सभ्यताका प्रचार हुआ, परन्तु वहां नरबलि के. और वैको (Baucch c) प्रभृति जातिओंकी रक्तलोलुपताका रोकटोक प्रचलित रही। नियस, कर्णेलियस, लेटुलस् उपाख्यान पाया जाता है। प्रवाद है, कि भारफियासने : और पि लिसिनियस केससके शासनकालमें सिनेटसभा (Orph us) नरमांस भक्षणकी प्रथा उठा दी थी पर वे! को अनुमतिके अनुसार नरहत्या बन्द हुई (१)। मध्य- जीव-बलि बंद न कर सके थे। युगमें उच्च शिक्षा, सभ्यता और धर्मप्राणताके प्रचारके वर्नाड स्मिनु (Icruhurd Schmidlt) अपने प्रथमें साथ नरबलिरूपी पापस्रोत पूर्व भारत और पश्चिम रोम- ( Grieclhistic Sign Munchanav ) आर्कडियाके साम्राज्यमें व्याप्त हुआ था। प्राचीन यहूदिओंमें भी नर- लाइकियन ( Mt. I.xktion | पर्वत पर बलिके विषयमें, बलि प्रधान देवोपहारमें गण्य थी। ईश्वरकी आज्ञासे लिख गये हैं। हिरोदोतस साइप्रस द्वीपका उन्होंने वर्णन : अब्राहिम अपने पुत्रकी बलि देनेके लिये उद्यत हुए थे। करते समय लिखा है, कि उस द्वीपके रहनेवाले मनुष्य जेफथाकी पूजाका मनमें चितवन कर उन्होंने अपनी कुमारी अर्तेमिस देवीकी पूजामें नरबलि चढ़ाते थे। कभी कन्याको बलि दी थी। यहूदी मेलकको शान्तिके लिये कभी लकड़ीके आघात या मदिरके पास किसी पर्वतसे शिशुबलि करनेकी शिक्षा देते थे। युद्ध में परास्त होने वह हतभाग्य मनुष्य नीचे गिरा दिया जाता था। बस: की अशाङ्कासे मोयावपति (Moah)ने अपने पुत्रको जला उसी पतनसे विचारेकी जोवनलीला समाप्त हो जाती कर मारा था (२)। प्रोक और रोमक जातियों के समान थी।(३) अर्तेमिस वहां पर काली देवीके सपान पूजी जर्मन, नर्समान् और फ्रेंच जातिमें नरबलिका स्रोत प्रवा- जाती थी। हित था। वे किसी विपत्तिके आने पर अपने राजा, राज- ____ आसरियामें नरबलिका प्रबल स्रोत प्रवाहित था। पुत्र या राजकन्याकी बलि चढ़ाने में जरा भी नहीं अटकते असुरोंका विश्वास था, कि ऐसे देवभोगके सिवाय और थे।(३) उत्तर अमेरिकाके अजतेक ( Aztecs ), तोल दसरा कोई उपहार नहीं है। पहिले ही लिखा जा चुका तेक ( Toltecs ), तेजककान् ( Teacaticans ) और है, कि इजिप्तदेशमें नरबलि प्रचलित थी। दिओदोरस इङ्क ( Incas) जातियां परस्पर युद्ध कर शत्रुसेनाको बंदी (१) Bryants Ancient Mythology. Vol 11 20 कर लेती थीं। फिर उन असंख्य बंदियोंको घे लोग समय (२) कियसद्वीपमें (Island of chios) दिमोनिसासको समय पर देवीके लिये बलि चढ़ाते थे। (४) पूजामें नरबलि चढ़ाई जाती थी। Porphyry टेनोडो (१) Pliny xxx.c, 3 and Wilkison's Ancient इओएलिपसके ( Tenodo Euelpis ) ऐसे ही एक कृत्य- | Egyptions, Vol. 11. p, 286 का उल्लेख कर गये हैं। (२) II Kings. III. 27. (३) डा० हेण्डली (Dr. Hendley) ने लिखा है, (३) राजा भोयेनथरने अपने पुत्रोंकी बलि दी थी। कि जोधपुर के राज्याधिरोहणके समय मेवारवासी खोडन वासियोंने दुर्मिक्षके समय अपने राजा दामोरिक- को देवप्रीतिके लिये बलि चढ़ाया था। भीलोंने देवीको पूजा कर बहुतसे बकरे पर्वत-शिखरसे ___Grim's Tentonic Mythology Il. p 44 राज- भीचे गिराये थे। पहिले चित्तोरगढ़के प्राचीन देवी- स्थानमें भी ऐसी एक घटनाका उल्लंका है। मेवाड़पति मन्दिर में और भम्वर नगरकी अम्बादेवीके सामने नर राणा लाक्षाने देवीकी रकपिपासा दूर करनेके लिये अपने बलि दी जाती थी, ऐसा सुना जाता है। चित्तोरके नौ पुत्रोंको बलिमें चढ़ाया था। किसी राजाने इसी मंदिर में सात राजपुत्रोंको बलि दी (४) अमेरिकावासी विभिन्न जाति जयलब्ध धन, थी। (Jour, As Soc p XLIT' 350) | और बंदी नरनारियोंको महासमारोहसे देव-पूजामें में