पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष पंचदश भाग.djvu/२०९

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बराइम-पराई २०२ आने पर यहाँका दुःख जाता रहा । गदरके समय जिन्हों- बराक (कारक ) आसामकी उपत्यका-भूमिमें प्रवाहित ने इस महाविप्लवमें साथ दिया था, शान्ति स्थापित एक नदी। कछाड़ पर्वतके अङ्गामी-नागाओंके अधिकृत होनेके बाद उन लोगोंकी अधिकृत सम्पत्ति राजभक्त कोहिमारके निकट इसका उद्गम स्थान है। पीछे प्रजाको दे दी गई। जिले भरमें ११६ स्कूल और १४ कछाड़ और श्रीहट्ट जिलेमें प्रवाहित हो यह मेघनामें मिलती अस्पताल हैं। है। तिपाईमुग प्रामके निकट इसकी तिपाई-शाला २ उक्त जिलेकी तहसील। यह अक्षा० २७१६ से अवस्थित है। बड़ा प्रामके निकट यह दो शालाओं में २०५६३० तथा देशा० ८१२७ से ८२ १३ पू०के विभक्त होती है। उत्तरमें सुरमा और दक्षिणमें कुशी- मध्य अवस्थित है । भूपरिमाण ९१८ वर्गमील और जन पारा नामसे बहती है। उत्तरकछाड, स्थासिया, संख्या प्रायः ३७७२८८ है। जयंती, लुशाई, त्रिपुरा पर्वतोंसे अनेक छोटी छोटी ३ उक्त उपविभागके अन्तर्गत एक परगना। भूपरि- नदियां इसमें आ मिली हैं। उनमेंसे जिरी, चिरी, मधुरा, माण ३२६ वर्गमील है। बराइच नगरके गोण्डा, इकौना, जातिङ्गा, लुवा, बेङ्गरलाल, पैन्दा, सोनाई काटाणाल भिंगा और नानापाड़ा आदि स्थानोंमें गाड़ी जाने आने. लगाई मनु और खोयाकी शाला प्रधान हैं। बराक और का रास्ता गया है। कर्णेलगा ओर नवाबगा यहांका उसकी शाणायों में सदा ही जल रहता है । पूर्व वङ्गोय प्रधान बाणिज्यस्थान है। वेलकों और इण्डिया जेनरल स्टीमनभिगसन कम्पनीके ४ उक्त जिलेका प्रधान नगर और विचार-सदर । यह दो टीमर इस नदीकी कुशीयारा और सुरमा नामको अक्षा० २७°३४ उ० तथा देशा० ८१ ३६० पू०के मध्य शाखायों में चलते हैं। राहमें शिलघर, शियालटेक, बहरमघाटसे नेपालगञ्ज जानेके पथ पर अवस्थित है। श्रीहट्ट, छातक, कोचुयामुण, फेचूगज और बाल- जनसंख्या २७ हजारसे ऊपर है। म्युनिस पलिटी और गंज प्रभृति नगर पड़ते हैं । इस प्रदेशके द्रष्य इसी नदीसे पुलिसकी देखरेख में रहने के कारण राजपथादिमें रोशनी- मेघमातीरवती भैरव-बाजारमें लाये जाने हैं। का अच्छा प्रबन्ध है। जल निकसनेके लिये उन भी बराकजई-प्रसिद्ध दुरानी नामक एक अफगान जातिकी हैं। घर्घरा नदीके किनारे गवर्मेण्टकी अट्टालिका और शाखा। दुरानियों में यह बराकई जाति एक समय भंगरेजोंका आवास है। यहांका देखनेयोग्य भवन कांधार नगरमें विशेष क्षमताशाली हो गयी थी। मसाउदका समाधि-मन्दिर ही है। नवाब आसफ अमदशाह अबदाली और जमानशाहके राजत्वकालमें उद्दौलाका दौलतखाना १६२० ई०में स्थापित हुआ है। पायंदा खाँ बराकजई कांधार राजसिहासनके प्रधान मूलतानवासी मुसलमान साधका मन्दिर और मसाउद- मन्त्री थे। जमानशाहकी रणजित्सिंहके साथ संधि के अनुचरोंको का उल्लेखयोग्य है। शहर में कुल मिला होने पर पायदा चिढ़ा और शुजा उल-मुल्कको राज- कर ११ स्कूल हैं। बराइल-आसाम प्रदेशके उत्तर कछाड़के अन्तर्गत एक सिंहासन देनेके लिये षड्यंत्र रचने लगा। पश्चात् वह पर्वतमाला । यह खासी, नागा और मणिपुर-पर्वतमाला जमानतशाहके द्वारा मारा गया। उसके पुत्र फते खाने के साथ संयोजित है। इसकी ऊंचाई कहीं २५०० फुट अमानशाहको राज्यच्युत कर महमूदको काबुलके सिहा और कहीं ५००० फुट है। यह पर्वत बनमालासे समा- सन पर बैठाया। पीछे उन्होंने पेशावरको सुजा छादित. है। इसकी एक शाखासे बराकनदी लजाई नामकी जातिको परास्त किया। १८०६ ईमें निकली है। नेपोलियम और उसके राजा आलेकसन्दरके आक्रमणके पराई ( हि स्त्री० ) बाई देखो। भयसे अगरेजोंने सुजाके साथ संधि कर ली। इसके बराक (हिं० पु० ) १ शिव। २ युद्ध, लड़ाई। (वि०) ३ पहले ही सुजा महमूदको बदी कर चुके थे। फते खाने शोचनीय, सोच करनेके योग्य । २ अधम, पापी। ४ फिरसे सुजाको परास्त कर महमूदको काबुलके बापुरा, बेचारा। सिंहासन पर विठाया और आप राजमली हुए। वह