पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष पंचदश भाग.djvu/२०१

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बयाना १५ ऐवकने बयाना पर आक्रमण किया । १२५१ ई० में दिल्ली- इसी समय मुक्तिलखां, मालिक मुवारिज और मालिक श्वर नसिरुद्दोन महमूदने वजीर उलुघ खाँके साथ आ महमूद आदिने दिलोसे आ कर यहांके शासनका भार कर यहांके राजा चाहड़देवके साथ युद्ध किया था। प्रहण किया। ८३५ और ८५० हिजरी में उत्कीर्ण शिला: किंतु इनके साथ आयूवकरका आगमन-संवाद नहीं लिपिमें महम्मदका वयाना शासन लिखा हुआ है। पाया जाता। अतएव अनुमान किया जाता है, कि महम्मदने कभी विजयमन्दरगढ़ के स्थापयिता यदुवंशीय राजा विजय स्वाधीन और कभी विद्रोही हो कर दिल्लीकी पाल सम्बत् ११००में विद्यमान थे। मुसलमानोंके आक्र-' अधीनता स्वीकार की थी। उनकी मृत्युके बाद मणके समय यहां यदुवंशीयगण राज्य करते थे। मुहम्मद उनके पुत्र दाऊदखां ८५१ हिजरीमें राजसिंहासन पर विन साम और कुतबुद्दीन ऐवकके वयना आक्रमण करने पर बैठे। पीछे जौनपुरके सर्कि राजगणका अभ्युदय हुआ। राजा कुमरपाल तिहुनगढ़को भागे। मुसलमानोंने वहां ; ८७८ हिजरीमें बह लोल लोदीने सर्किगणको परास्त कर भी उनका पीछा किया। बहाउद्दीन नामक एक मुसल- मालवपति महमूद खिलजीको यह प्रदेश दान कर दिया। मान थानगढ़में रह इस स्थानका शासन करते थे। यह इसके बाद अहमद खां जलवानी ८६७ हिजरोमें स्थान उनकी सेनाके लिये उपयुक्त न था। अतएव वे सिकन्दर लोदोके द्वारा पराजित हो कर खानखामा सुलतानकोट नगर स्थापित कर वहीं पर बास करने फर्मुलीको राजसिंहासन देनेको बाध्य हुए। १०७ लगे। तभीसे यह नूतन नगर प्राचीन बयानासे युक्त । हिजरीमें उनके पुत्र खाजा खां शासनकर्ता हुये थे। हो बयाना-सुलतानकोट कहलाने लगा। १२६ हिंजरीमें इब्राहिम लोदीने खाजाको परास्त किया ___ बहाउद्दीनके मरने पर यह स्थान फिर हिंदुओंके और निजाम खां शासनकर्ता बनाया गया। राणा सङ्ग- अधिकारमें आया । मिनहाज-इ-सिराजने लिखा के आगमन कालमें उन्होंने वाबग्के हाथ बयाना समर्पण है, कि समसुद्दीनने थानगढ़ पर अधिकार जमाया . किया। शेरशाहकी मृत्युके बाद इसलाम शाहने आदिल था। सम्राट नसिरुद्दीन महमूदके समय कुत्लुध खां खांको यह प्रदेश दान किया। इस समय यहां शेख वयानाका शासन करते थे। वलवन अलाउद्दीन इलाही नामक एक महदी धर्मप्रवर्तकका आविर्भाव हुआ। खिलजी, तुगलकशाह, महम्मद तुगलक और फिरोज ६५५ हिजरीमें विश्वासघातकताके कारण वे मारे गये। तुगलकके समयमें यह प्रदेश मुसलमानी राज्यके अधिकार- खाजा खांके विद्रोहके पश्चात् गाजी खां सूरने बयाना पर में था। पीछे ७८०से ८७० हिजरी तक यह स्थान पक राज्य किया। सिकंदरशाह सूरसे पराजित हो ६६२ स्वतंत्र शके अधिकारमें रहा। शिलालिपिसे उनका इस हिजरीमें इब्राहिम शाह सूरने वयानामें आश्रय लिया। प्रकार परिचय पाया जाता है। सम्राट फिरोज तुग- . इसी समय सेनापति हीमूने बयानादुर्गमें घेरा डाला था। लकके समयमें यहां मुईन खां सादिको शासनकर्ता थे। ६६३ हिजरीमें अकबरशाहके द्वारा यह प्रदेश दिल्लीके उनकी मृत्यु पर उनके जेष्ठ पुत्र शामस खां राजा हुए शासनमें मिला दिया गया। मुगल साम्राज्यके बाद मौर ८०३ हिजरी में सेनापति इकबलखांके आदेशसे मार जाट राजपूतोंने इस पर अधिकार किया। आज भी डाले गये। तत्पश्चात् उनका भाई मालिक करीम उन्मु. यह राज्य भरतपुरके हिंदू राजाओं के अधिकारमें है। लकने ८२० हिजरी तक राज्य किया। ८२७ हिजरीमें प्राचीन दुर्ग और विजयस्तंभ अभी विद्यमान होने पर भी करीमके पुत्र अमीर को सैयद मुवारकको वश्यता . उसका वह प्राचीन गौरव नष्ट हो गया है। जिस दुर्गमें स्वीकार करनी पड़ी। ८३० हिजरीमें उनके द्वितीय शेरशाहके समय ( ६४५-हिजरी) ५०० बंदूकधारी सेना पुर महम्मद व औदी बयानाके सिंहासन पर बैठे। रहतो थी अभी वहां एक किलेदार और दो तीन पश्चात् सैयद मुवारक शाहके विरुद्ध युद्ध कर वे परा- उसके नौकर रहते हैं। बयाना (हि.पु.) किसी कामके लिये दिए जानेवाले