पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष पंचदश भाग.djvu/२००

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१६ बयान-बयाना आदर हुआ। दूर दूर देशोंसे मुसलमान तीर्थयात्री इस बयाना नगरके पास ही बाणगङ्गा बहती है। इस पवित्र क्षेत्र के दर्शन करने आते हैं । यह रौजा पर्वतके शिखर नदीको उत्पत्तिके सम्बन्धमें ऐसा सुना जाता है, कि राजा पर स्थापित है। उसके चारों ओर ३० फुट लंबी और १५ : विराटके यहां रहते समय अर्जुनने गङ्गाजल लानेके फुट ऊंची दीवार है। इसके चार कोनेमें चार स्तंभ लिये एक बाण निक्षेप किया था। उस वाणविद्ध छिद्रसे तथा स्थान स्थानमें बाण फेंकनेके लिये प्राकार-छिद्र - उद्गारित जलराशिने नदीरूप धारण किया। किंतु यह देखे जाते हैं। परिवेष्टित स्थानके ठीक मध्यमें समाधिः प्रवाद सम्पूर्ण अप्रासङ्गिक ही प्रतीत होता है। स्तम्भ है । किलेको तरह इस प्राकार-परिवेष्टनीकी बनावट ऊपर जो ऊषामदिरकी कथा लिखी गई है वह सम्राट अकबरशाहके राजत्वमें निर्मित किले-सी है। अनिरुद्धपत्नी उषादेवी कर्तृक प्रतिष्ठित है अथवा बाण- बयान ( फा० पु० ) १ वर्णन, जिक्र, चर्चा । २ विवरण, युद्ध और अनिरुद्ध सम्मिलनरूप लोलास्मरणार्थ उषा- वृत्तान्त, हाल। मंदिर नामसे बनाया गया है। बयानाके पठानराजाओं- याना-राजपूतानेके अन्तर्गत इसी नामको तहसीलका ने इस ध्वंसप्रायः मदिरका कुछ अंश परिवर्तन एक सदर। यह अक्षा० २६५५ उ० तथा देशा० ७७ कर मसजिदमें परिणत कर दिया है। इस प्राचीन उषा- १८ पू० गम्भीर नदोके बायें किनारे अवस्थित है। जन- मंदिरमें १०८४ शकमें उत्कीर्ण कुटिलाक्षरमें लिखित एक संख्या प्रायः ६८६ है। आगरा महानगरीसे यह स्थान शिलालेख पाया गया है। इस मंदिर-द्वारके वाम भागमें ४७ मील दूर पड़ता है। नगरसे ३ कोस पश्चिम एक . एक मीनार है। मुसलमान उसके एक तलको भी पर्वतके शिखर पर विजयमन्दरगढ़ वा शान्तपुर नामक सम्पन्न न कर सके हैं । यह प्रायः २६॥ फुट उच्च, एक प्राचीन हिन्दू-दुग अवस्थित है। जाट और मुसल-: चारों तरफको परिधि ६४॥ फुट एवं व्यास २८ फुट है। मानी अमलदारीमें इस दुर्गका अनेक बार संस्कार हुआ। यहांके एक और प्राचीन मदिरमें ११०० ई में उत्कीर्ण था। धिजयन्दर देखो। एक शिलालिपि पाई गई है। उसमें विष्णुसूरि, महे- ___बयानानगर और विजयमंदर-दुर्गकी प्राचीनता-

श्वरसूरि और पघायनसूरि प्रभृति हिंदूराजाओंके

के विषयमें स्थानीय लोगोंके मुखसे अनेक सत्य घटनाये । नाम पाये जाते हैं। ये सूरि वंशीय राजगण बाण- सुनी जाती हैं। पर्वतके एक ही अङ्क में स्थापित एवं वंशधर थे वा नहीं, यह निश्चय नहीं कह सकते। एत- एक ही ऐतिहासिक घटनापरम्परासे समाश्रित होने एन. द्भिन्न यहाँ पर सतीस्तम्भ, मठ, मुसलमान-समाधि- पर भी इन दो स्थानोंका ऐतिहासिक तत्व स्वतंत्र भावसे । चिह्न पाये जाते हैं। लिखा जाता है। वर्तमान हिंदू अधिवासीगण इस मुसलमानाधिकारमें बयाना नगर भारत-साम्राज्यकी नगरको बयाना या वयाना कहते हैं। मुसलमान-इति- .. द्वितीय राजधानोमें परिणत हुआ था। इसकी समृद्धि के हासमें यह बियाना नामसे उल्लिखित हुआ है। । समय आगराके सामान्य परगनेमें गिनती थी । अबुल- इस स्थानका प्राचीन नाम बाणासुर है। कोई कोई कहते हैं, कि बलिराजाके पुत्र वाणासुरने इस

फजलने लिखा है, कि पहले यहां ख्यातनामा मुसलमानों

नगरको बसाया। वहांके लोगोंका कहना है, कि यह की कत्र होती थी। किन्तु दुर्भाग्यका विषय है, कि उनका वाणासुर चंद्रवंशीय थे और यदुवंशके साथ इनका निदर्शन मिलने पर भी उन पर किसीका नाम नहीं संश्रव था। बाणासुरके अस्कन्ध नामक एक पुत्र और पार पाया जाता। सिर्फ एक कबके ऊपर आवकर उषा नामको एक कन्या थी। श्रीकृष्णके पौत्र अनिरुद्ध- । कंधारी नाम लिखा है। भाटोंके मुखसे सुना जाता है, ने उषाका पाणिग्रहण किया। उषाके चरितमें लिखा कि इस व्यक्तिने ११७३ सम्वत्में इस प्रदेश पर अधिकार है, कि राजा बाण शान्तिपुरमें राज्य करते थे। बयाना या जमाया। कितु ऐतिहासिक तत्वानुसंधान द्वारा इस बाणपुरीमें उषा नामसे भब भी एक भग्न मंदिर दृष्टि . नामका कोई भी व्यक्ति नहीं पाया गया। ऐतिहासिकतत्वा- गोचर होता है। नुसंधानसे जाना जाता है, कि ११९५ १०में कुतबुद्दीन