पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष पंचदश भाग.djvu/१७३

यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

बदरीनारायण-बदहजपी था, अभी भक्त गणोंने उसका संस्कार करा दिया है। बदरीशैल ( स० पु० ) बदरीबहुलः शैल पर्वतः । हिमा- यहांके पुरोहित राचल कहलाते हैं । वे लोग लय पर्व तैकदेश, वदरिकाश्रम।। दाक्षिणत्यवासी नम्ब रो ब्राह्मण हैं। प्रतिवर्ष ग्रीष्मके बदरून ( हि पु० ) पत्थरको जालीकी एक प्रकारको समय वे लोग यहां पहुंचते हैं और कात्तिकमासमें शीतके' नकाशी जिसमें बहुनसे कोने होते हैं। प्रारम्भ होते ही अपनी प्राप्त सम्पत्तिको जमोनमें गाड़ कर वदरौंह ( फा० वि० ) १ कुमागीं, वदचलन । (पु० )२ जोषीमठ चले जाते हैं। यहां और भी चार मन्दिर हैं। बदलीका आभास देवसेवाके लिये गढ़वाल और कुमाउन प्रदेशके कुछ बदल ( अपु० ) १ परिवर्तन, हेरफेर । २ प्रतिकार, प्रामोंका राजस्व निर्दिष्ट है। यहां प्रतिवर्ष उत्सवके पलटा । समय बहुतसे लोग समागम होते हैं। ददरेवा देखो। बदलगाम ( फा० वि० ) जिसे भला बुरा मुंहसे निकालते बदरीनारायण (स' क्लो०) १ बदरीनाथ, नारायणकी मूत्ति संकोच न हो, म हजोर । जो बदरिकाश्रममें हैं। २ बदरिकाश्रमके प्रधान देवता। बदलना ( हि क्रि० १ औरका और होना, परिवर्तित बदरीपत्र ( स० पु०) वदाः पत्रमिव आकृतियस्य । होना । २ एक स्थानसे दूसरे स्थान पर नियुक्त होना। नखो नामक गन्धद्रव्य ।

३ एकके स्थान पर दूसरा हो जाना, जहां जो वस्तु रही

बदरीपत्रक ( स० क्ली०) बदरीपत्र-स्वार्थे कन् । नग्त्री हो वहां वह न रह कर दूसरो वस्तुका आ जाना। ४ नामक गन्धद्रव्य । औरका और करना, परिवर्तित करना। ५ एक वस्तु बदरीपल्लव ( स० पु० क्लो०) कोलिकोमल पलव, वेरकी दे कर दूसरी बन्तु लेना या एक वस्तु ले कर दूसरी मुलायम पत्ती। वस्तु देना। ६ एकके स्थान पर दूसरा करना, एक बदरीफला ( स० स्त्री० ) नील शेफालिकाका पौधा। वस्तुके स्थानको पूर्ति दूसरी वस्तुसे करना। बदरीपाचन ( स० क्लो० ) बदरपाचन तीर्थ । बद। सन ' यदलवाना ( हि० कि० ) बदलनेका काम कराना। देखो। बदला ( अ० पु० ) १ विनिमय, परस्पर लेने और देनेका बदरीवन १ कावेरी नदीके दक्षिणवत्तीं एक पुण्यस्थान। व्यवहार। २ किमी वस्तुके स्थानकी दूसरी वस्तुसे यहां कमलेश्वर शिवमूर्ति स्थापित है। शिवपुराणके पूर्ति, पवज । ३ एककी वस्तुके स्थान पर दूसरा जो दूसरा अन्तर्गत बदरीवन माहात्म्यमें इसका विस्तृत विवरण वस्तु दे। ४ किमी कर्म का परिणाम जो भोगना पड़े, लिखा है। . प्रतिफल। ५ प्रतीकार, पलटा । बदरोहार-मुर्शिदाबाद जिलेके लालबाघ उपविभागका एक वदलाना ( हि क्रि० ) वदलवाना देखो। प्राचीन स्थान। यह अक्षा० २४.१८ उ० और देशा० बदली (हि स्त्री०) १ घनविस्तार, फैल कर छाया हुआ ८८.१५ पू० भागीरथीके दाहिने किनारे अवस्थित है। वादल। २ एकके स्थान पर दूसरेकी उपस्थिति । ३ भागोरथो-वक्षसे बहुक्रोसव्यापी स्थानका ध्वंसावशेष एक स्थानसे दूसरे स्थान पर नियुक्ति। देखनेसे इसकी पूर्वसमृद्धिका स्मरण आ जाता है। बदलौवल ( हि स्त्री० ) अदल बदल, हेरफेर । आज भी यहां राजप्रासाद और भग्नावशेष दुर्गका बदशकल ( फा० वि० ) कुरूप, वेडौल । चिह्न दृष्टिगोचर होता है। बहुतसी स्वणमुद्रा और बदसलूकी ( फा० स्त्री० ) १ अशिष्ट ब्यवहार, बुरा व्यव- स्तम्भ गात्रमें पालि अक्षरमें लिखी हुई लिपियाँ पाई गई हार। २ अपकार, बुराई । हैं। मालूम होता है, कि बौद्धप्रभावके समय इस नगरकी बदसूरत ( फा० वि० ) कुरूप, भद्दी सूरतवाला । श्रीवृद्धि हुई थी। गौड़के पठानराज गयासुद्दीनने अपने बदस्तूर (फा० क्रि० वि०) मामूली तौर पर, जैसेका तैसा, नाम पर इस नगरका गयासाबाद नाम रखा था। ज्योंका त्यों। बदरीवन ( स० पु.) १ बेरका जङ्गल । २ बदरिकाश्रम ।। बदहजमी ( फा० स्त्री० ) अजीर्ण, अपच ।