पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष पंचदश भाग.djvu/१२६

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१२० फोड़ा-फोनोटोग्राफ १० मैत्रीसे अलग कर देना, फूट डाल कर अलग करना। कुंडलियां होती हैं। चूड़ियों में गीत राग आदि इस फोड़ा (हिं पु० ) एक प्रकारका शोथ या उभार । शरीर- प्रकार अंकित किये जाते या मरे जाते हैं. एक विशेष में जहां पर कोई दोष सञ्चित रहता है वहां यह उत्पन्न प्रकारका यन्त्र होता है । उस न्त्रके एक सिरे पर चोंगा होता है। इसमें जलन और पीड़ा होती है तथा रक्त . ( Horn ) और दूसरे पर सूई ( Pin ) लगी रहती है। सड़ कर पीबके रूपमें हो जाता है । विशेष विवरण स्फोटक गाने, वजाने या वोलनेवाला चोंगेको ओर बैठ कर गाता, शब्दमें देखो। . वजाता या बोलता है। उस शब्दसे हवामें लहरियाँ फोडिया (हिपु०) छोटा फोड़ा, फुनसी। उत्पन्न हो कर चोगेके दूसरे सिर पर लगी हुई सूईको फोएडालु ( स० पु. ) आलुकविशेष, आलूकन्द। सञ्चालित करती हैं। इसो समय चूड़ी घूमाई जाती फोता . फा० पु.) १ पटुका, कमरबन्द। २ मिरवद, है और उस पर उच्चारित शब्द, गाए राग या बाजेको पगड़ी। ३ जमीनका लगान, पोत। 8 कोष, थैली। ध्वनिके कम्पचिह्न सूई द्वारा अंकित होते जाते हैं। जब अण्डकोष । फिर उसी प्रकारका शब्द सुनना होता है, तब उमी चूड़ी- फोतेदार । फा० पु० ) १ कोषाध्यक्ष, खजांची। २ नह- को फोनोग्राफमें संदूकके बीच जो कोल निकली रहती सीलदार, रोकड़िया। है उसीमें लगा देते हैं और किनारेके परदेमें लगी हुई फोनोग्राफ १६वीं शताब्दोमें आविष्कृत वाद्ययन्त्र- सूई चूड़ीकी रेखा पर बैठा देते हैं। चाबी देनेसे भीतग्के विशेष । अमेरिकाके युक्तराज्यके अन्तवत्ती न्युजा”- चक्कर घूमने लगते हैं। अव चूड़ो कीलके सहारे नोचतीं वासी टामम ए एडिमन (Thomas A Edison) नामक है और सूई रेखाओं पर घूमकर चोंगमें उसी प्रकारके घायु एक वैज्ञानिकने १८७७ ई में पहले पहल इस यन्त्रका तरंग उत्पन्न करती है, जिस प्रकारके चूड़ोमें अङ्कित हुए आविष्कार किया। उन्होंने घेल ( Mr. Graham Bell)- थे। ये हो वायु तरंग उस यन्त्रमें संयुक्त पुर्जीको के टेलिफोन यन्त्रके गोलाकार पटहस्थान ( Discs) -का हिलाते हैं जिससे चोंगेमेसे हो कर चूड़ीमें अङ्कित शब्दों शब्दप्रहण और विताड़न शनिका लक्षा करके स्थिर किया, या स्वरोंको प्रतिध्वनि सुनाई देती हैं। यह ध्वनि कुछ कि यदि किमी उपायमे वे उस स्थानमें सुरका कम्पन धीमी होतो है और धातुको झनझनाहट तथा सईकी ( Vibrations ) रख सके, तो उसकी सहायतासे एक खरखराहटके सबवसे कुछ खराब हो जाती है। परन्तु नूतन यन्त्रको सृष्टि हो सकती है। मन्त्रमें ऐसा गुण है, कि यदि कोई गोतादि ग्रहण कालमें इस यन्त्र में पूर्व के गाए हुए गग, कही हुई बातें और उसे शब्दके परिमाणानुसार घूमा सके, तो नई चूड़ी बजाए हुए बाजोंके स्वर आदि चूड़ियोंमें भरे रहते हैं और वा नुकीलो सूई रहनेसे यह निश्चय है, कि उसी शब्दके ज्योंके ज्यों सुनाई पड़ते हैं। इस यन्त्रके आकार सन्दूक अनुरूप शब्द उच्चारित होंगे। यदि उस नलको तेजीसे मा होता है। इसके भीतर चक्कर लगे रहते हैं जो चाबी घुमावे, तो स्वर ऊचा और धीरे धोरे घुमानेसे वह नीचा देनेसे आपसे आप घूमने लगते हैं। इसके मध्यभागमें होता है। फोनोग्राफमें स्वरोंका उच्चारण व्यञ्जनोंको एक खूटी या धूरी होती है। उस धुरीकी एक नोक अपेक्षा अधिक स्पष्ट होता है। ध्यञ्जनोंमें स और अका सन्दूकके ऊपर बीचमें निकली रहती है। यन्त्रके दूसरे . उच्चारण इतना अस्पष्ट होता है, कि उनमें कम प्रभेद जान ओर किनारे पर एक परदा होता है जिसके छोर पर सूई पड़ता है। लगो रहती है। इस (रदे पर बजाते समय एक चोंगा फोनोटोग्राफ ( पु.) एक यन्त्र । इसके द्वारा बोलने- लगा दिया जाता है। वालेके शब्दोंसे उत्पन्न बायुतरंगोंका अंकन होता है। जिन चूडियों ( Recorad ) पर गीत राग आदि इसका आकार एक पीपे-सा होता है। पीपेका एक अडित रहते हैं वे रोटीके आकारको होती है। उन पर मुह तो बिलकुल खुला रहता है और दूसरी ओर कुछ मध्यसे ले कर परिधि पर्यन्त गई हुई सूक्ष्म रेखाओं को , यन्त्र लगे रहते हैं। यन्समें एक पतला परदा होता है