पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष पंचदश भाग.djvu/११५

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फल-फलसिंह १०६ उत्तम भेद । ११ सत्त, सार । १२ वह अस्थि जो शव विशेषतः मथुरा और उसके आसपासके स्थानोंमें मनाया जलानेके पीछे बच रहती है और जिसे हिन्दू किसी तीर्थ : जाता है। या गङ्गामें फेकनेके लिये ले जाते हैं । १३ गर्भाशय । १४ फूलढोंक ( हिं० पु. ) भारतके सभी प्रान्तोंमें मिलनेवाली घुटने या पैरकी गोल हड़ी, टिकीया। १५ वह पत्तर एक जातिकी मछली । यह हाथ भर लम्बी होती है। या वरफ जो किसी पतले या द्रव पदार्थको सुखा कर फूलदान (हिं० पु० ) १ पीतल आदिका बना हुआ वरतन । जमाया जाता है । १६ सूखे हुए साग या भांगकी पत्तियां। इसमें फूल सजा कर देवताओं के सामने रखा जाता है। १७ तांबे और रांगेके मेलसे प्रस्तत एक मिश्र या २ गुलदस्ता रखनेका एक बरतन। यह काच, पीतल, मिली जुली धातु। यह धातु चांदीकी तरह उज्ज्वल ' चीनी मिट्टी आदिका गिलासके आकारका होता है। और स्वच्छ होती है। इसमें दही या और खट्टी । फूलदार ( हिं० वि० ) जिम पर फूल पत्ते और बेलबूटे चीजें रखनेसे वह बिगडती नहीं। उत्कष्ट फलको काढ़ कर या और प्रकारसे बनाये गये हों। बेधा कहते हैं। साधारण फलमें चार भाग तांबा और ! फूलना ( हि० क्रि० ) १ पुष्पित होना, फूलों से युक्त होना । एक भाग राँगा तथा बेधा फलमें १०० भाग तांबा और २ आस पासको सतहसे उठा हुआ होना, सतहका उभ २७ भाग रांगा होता है। बेधा फूलमें कुछ चांदी भी रना। ३ विकसित होना, खिलना। ४ भीतर किसी पड़ती है। यह धातु बहुत खरी होती है और आघात वस्तुके भर जानेसे अधिक फैल या बढ़ जाना। जैसे लगाने पर चट टूट जाती है। इससे लोटे, कटोरे, गिलास, हवा भरनेसे गेंद फूलना, गाल फूलना आदि । ५ आवखोरे आदि बनाये जाते हैं। यह धातु कांसेसे आनन्दित होना, प्रफुल्ल होना। ६ मुह फुलाना, रूठना । बहुत मिलती जुलती । प्रभेद केवल इतना ही है, कि ७ शरीरके किसी भागका आस पासको सतहसे उभरा कांसे में तांबेके साथ जस्तेका मेल रहता है और इसमें हुआ होना, सूजना । ८ स्थूल होना, मोटा होना । ६ घमण्ड करना, गव करना। खट्टी चीजें रखनेसे बिगड़ जाती हैं। फूलबिरंज ( हिं० पु. ) कुआरके प्रारम्भमें होनेवाला एक फूल (हिं० स्त्री० ) १ प्रफ ल्ल होनेका भाव, उत्साह । प्रकारका धान। इसका चावल अच्छा होता है। २प्रसन्नता. आनन्द । फलमती ( हि० स्त्री०) एक देवीका नाम। यह शीतला फूलकारी (हिं स्त्री० ) बेलबुटे बनानेका काम। रोगके एक भेदकी अधिष्ठात्री देवी मानी जाती है। कहते फलगोभी ( हिं० स्त्री० ) गोभीको एक जाति । इसमें मंज- हैं कि यह राजा वेणकी कन्या है। नीच जातिके लोग रियोंका बंधा हुआ ठोस पिण्ड होता है जो तरकारोके रसको उपासना करते हैं। २एक प्रकारको रागिणी । काममें आता है। इसके बीज आषाढ़से कुआर तक फलमाली -यक्तप्रदेशवासी माली जातिकी एक शाखा। बोते हैं। पहले इसके बोजको पनोरी तैयार करते हैं। फूल बेचने और फुलवाडीकी रक्षा करना इनका जातीय जब पौधे कुछ बड़े होते हैं, तब उन्हें उखाड़ उखाड़ कर व्यवसाय है। तैलङ देशके फूलमाली बचपनमें ही क्यारियों में लगाते हैं। कहीं कहीं कई बार एक स्थानसे पुत्र-कन्याका विवाह करते हैं। उखाड़ दूसरे स्थानमें लगाए जाते हैं। दो ढाई महीने फूलवारा ( हि० पु० ) चिउली नामका पेड़। पोछे फूलोंको घुड़ियां नजर आती हैं । उस समय कीड़ों- फूलसंपेल (हिं० वि० ) जिस बैल या गायका एक मोंग से बचानेके लिये पौधों पर राख छितराई जाती है। दहनी ओर और दूसरा बाई ओरको गया हो । कलियोंके फूट कर अलग होनेके पहले ही पौधोंको काट फूलसिंह--एक विख्यात अकाली सरदार । मालव देशमें ये महाबीर रणजित्के विरुद्ध खड़े हुए थे। पीछे १८१४ फूलडोल (हिं० पु०) चैत्र शुक्ल एकादशीके दिन होनेवाला ई०में ये दीवान मोतीरामसे धृत हो लाहोर लाये गये। एक उत्सव । इस दिन भगवान् कृष्णचन्द्रके उद्देश्यसे . इन्होंने सिख-युद्ध में अच्छा नाम कमाया था। १८२३ ई०- फूलोंका डोल वा झूला सजाया जाता है। यह उत्सव । को नौ-शहरके युद्ध में ये मारे गये। Vol. xv. 28