पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष नवम भाग.djvu/८८

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६४ समा-हा जहां चुभा हो या माप आदि विषेले कोडीका थरथरामा सड़खड़ाना। २ विलित होना किसी बांस दाँत चुमा हो। पर कायम न रहना। डंसना (हि.क्रि. ) उमना देखो। डगर (हितो .) मार्ग, रास्ता, पथ, पड़ा। डक (हि.पु.) १ एक प्रकारका पतम्ला मफेद टाट। डगरा (हि.पु.) १ मार्ग, रास्ता। २ टोकरा, बिन्ना २ एक प्रकारका मोटा कपड़ा। बरतन डालरा। डकर (हि. स्त्री०) कलेकी एक जाति । उगाना (हि.क्रि.) डिगाना देखो। डकरा (हि'. पु. ) काली मही। डग्गर (हि.पु.) १ एशिया और अफ्रिकाके बहुतसे डकराना (हि.क्रि. )बल या भैसेका बोलना। भागों में मिलनेवाला एक प्रकारका मांसाहारी पशु यह डकार (म० पु०) डकारप्रत्ययः, ड स्वरूप वर्गा, ड अक्षर। रामको कभी कभी शिकार के लिये बाहर निकलता है उकार (हि स्त्री० ) १ मुखमे निकला वायु का उहा। और कुत्ते बकरोके बच्चों आदिको उठा कर ले भागता २ वाघ सिंह आदिको गरज. दहाड़, गुर्राहट । है। इसके मुख्य दो भेद हैं, चित्तीवाला पौर धारोवाला । डकारमा (हि कि० ) १ डकार लेमा । २ हजम करना, इसका पिछला भाग बहुत छोटा पोर पागेका भाग भारी पचा जाना । ३ बाघ मिह पादिका गरजना, दहड़ना। होता है। कन्धे पर बड़े खड़े बाल होते हैं। इसके डकिकि-उर्दू के एक प्रसिद्ध कवि । ये प्रमोर मनसूर दॉस बहुत तेज होते हैं। कहा जाता है कि यह प्राय: सामानीके पुत्र हितोय अमोरनह के दरबार में रहते थे। कनमें गई हुए मुरदे को निकाल कर खाता है। २ एक उन्हीं के अनुरोधसे रम्होंने शाहमामा' लिखना पारम्भ कर प्रकारका दुबला घोड़ा, जिसके पैर बहुत लम्ब लम्ब दिया था। लेकिन उसे समाल करने के पहले ही ये होते हैं। अपने एक भृत्यक साथसे मार डाले गये। इनका रचना डग्गा (हि.पु.) दुबला पतला घोड़ा । प्राय: ८८७ में साबित होता है। ___सङ्गा (हि. स्त्री०) डमित्यव्यताशब्द कायति के कटाप । डकैत (हि. पु. ) बलपूर्वक दूसरेका माल छोननेवाला १ दुन्दुभिध्वनि। यह बाजा मनुष्यों को सचेत करने के लुटेग। लिये बजाया जाता है। २ टिकारा । डकैती (हि.पु.) डकैतका काम, म ट मार, छापा। डगरो (Eि स्त्री०) भय गिरति नाशयति ग्य-अंध डकोत (हि. पु.) वह जो सामुद्रिक, ज्योतिष प्रादिका पृषो साधु: गौरा डोष् । लताफल एक प्रकारको ढोंग रचता हो, भड्डरो। इनकी एक पृथक् जाति है। ककड़ी। इसके पर्याय-डागरो, दोघेर्वाक, डारी, ये अपनेको ब्राह्मण बतलाते है, पर ब्राह्मण इहें गौच डागै, नामरागडी और गजदन्तफला है। इसका गुण समझते हैं। शीतल, रुचिकारक, दाह, पित्त, पसदोष, पर्श, जाड्य डकारी (हि. स्त्री० ) चाण्डालको ढका, चाण्डालकी पौर मूबरोधदोषनाशक, तर्पण और गौत्य है। एक ढोल। डट (हि. पु.) १ चिक निशाना। डग ( हि पु० ) १ कदम, फाल । २ उतनी दूरो जितनी उटना (हि. क्रि०) १ स्थिर रहना पड़ना। २ स्पर्श होना, पर एक स्थानसे दूसरे कदम पड़े, पैड़। छ जाना, भिड़ना। डगडगाना (हि. कि० ) हिलना, काँपना जोलना। डटाना (हि• क्रि०) १ सटाना, मिड़ाना। एक उगडोर (हि. वि.) चलायमान, हिलमेवाला। वसको दूसरी वस्तु पारा पागली पोर ठसना । ३ खड़ा उगण (स.पु.) छन्दोग्रन्योता पाँच भागों में विभक्त गणा- करना, जमाना । विषिष । यथा ( गज १) (Is रथ २) ( उटाई (Eि. स्त्री.) १ वटामका भाव। २ डटमिकी अब ३) (5॥ पदाति ४ ) ( पत्ति ५) .. मजदूरो। जगमगाना (हि. क्रि०) १ वर सधर हिलना डोलमा, डा ( पु.) का नेचा, टेवपा। १. गहा