पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष नवम भाग.djvu/७५३

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तेवार (वार)- चलता। कनिकम मासबने अनुमान किया कि मणि बायें मुखको जिज्ञा लपलपा हो । प्रतिमा केवल पुर राजाको सड़को विवादाके मामसे "चिवाटो देश ५ फुट अंचो और उसका निशि (कमर तक) टूट "चङ्गदौदेश" "वेदो देश" ऐसा रूपान्तर हुषा,किन्तु फट गया है। इसके समीप एक विस्तीर्ण गारमें यह युति संगत प्रतीत नहीं होता। उनके मनसे टले- जल मचित हो कर एक छोटा तालाब सरीखा हो गया मोका "सागद" नगर भो चेदि करलाता है, किन्तु हम है। कर्णवेल के निकट एक पवित्र पुरिणी है और लोगों के ख्यालमे "मांगेद" साकेत गब्दका हो रूप है। उमके निकट भो पत्थरमूत्तिको पोठ पर कोर्स लिपिक महाभारत पढ़नसे जाना जाता कि मणिपुर कलिङ्ग- शेष चरणमें "रंगानसिंह मूर्तिकपहित सिखा राजकं अधोम था। रखपुर के शिलालेगा में किसीके रुपा है। राजा जाजम सुरगणाधिपति नामसे उल्लिखित कनितारा (हिं० वि० ) १ तो परत किया एपा, तीन सये. जो हमने कलचुरि शब्दका मूल पनुसन्धान करते हएम उका। २ जिसको एक माथ तीन प्रतियां हों। उपाधिसे इसे "कलसुर" शब्दका रुपान्सर अनमान किया दो बार हो कार फिर तोसरी बार किया गया। तेहराना (हिं.क्रि.१तोन लपेट या परसका करना। कवल ग्राममें अब मो बहुमसे भग्नावशेष बड़े २.टि प्रादि दूर करने के लिये किसो कामका तीसरी बार करना। १, किन्तु तेवारके लोगोंने उस स्थानसे पत्थर पादि ला कर प्राचोन कोर्ति का शेष कर डाला है। वा. तेहवार (Eि पु.) त्योहार देखो। . तेहा (हिं• पु०) १ क्रोध, गुस्मा । २ पहार, पिषों। रंसे १॥ मोल दूर कारोराय पर्वतके निम्नभागमें एक तही (हि.वि०) १ क्रोधो, जिसमें गुस्सा: हो । २ अभि- गुहा है। यहकिलोग मगहाको बनियाका घर कहा मानो, घम डो। करते हैं। हम गुहासे २०० फट से तालोस ( वि.) ते तालीस देखा। पालिकाओं का भग्नावशेष विद्यमान है। यह बरा- सोस (हि. वि.) ते तीस देखो। मदेको नाई दीख पडता है; केवल स्तभको पति पर (प.पु.)। मोमांसा निबटेरा, फसला । पूर्ति जो छत थो, वह पब नहीं है। इसके चारों ओर घूम कर पूरा करनेको क्रिया। (वि.)३ जिमका फैसला एक छोटे पहाड़ सरोखे. एक स्त पके निकट जाना हो गया हो। ४ समाल जो पूरी हो चुका हो होता है। इसका जपरी भाग ममतल, प्रशस्त तथा कायन । स.पु.) सिकस्य अषः गोवापत्य तिक: टोसे पाच्छादित है। यह स्तुप बड़ा हतियागढ़ फक । सिक ऋषिक वयजा नामसे मगहर है। यहाँको ईटें लगभग ६ फ.ट. कायनि (स.पु. स्त्री) तिकस्य वारे : गोवाप धुवा सम्बी चौड़ो। कायनि-छ।तिक ऋषिके युवा वंशज । . . अन्यान्य छोटे छोटे पहाड़ोंके जपर भो इमी तरह तक (सं. पु०) तितका भाव. तोतातन, चरपराहट। अहत मोरेटो को देख कर अपमान किया जाता है, कि संणायन (म.पु०) तोक्ष्णमा ऋषः गोत्रापत्य । तीक्ष्ण- एक समय यह सब स्थान प्राचौर हारा मजबूतोसे घिरा फन । अश्वादिभ्यः फम । पा १११। तीच ऋषिके हपा था। एक जगह छोटे दुगका भग्नावशेष भी वज। देखनमें चाता है। इसको दीवारें छोटे छोटे पत्थरके ताप ( स.ली) तोक्षणमा भावः तो-सान। वडोस बनी थों। इसके तीन पोर बनगङ्गा नामको तोहाता, तेजो। २ कठोरता, कड़ाई, सब तो। छोटी नदो चारों पोर धूम गई। मदोके किनार करना, निष्ठरता, बेरहमा। पहाडका रास्ता दुर्गम है । वही एक बड़ी प्रतिमा है खाना (हिं पु०) तहखाना देखो। जिसके तीन मस्तक है! हर एक मस्तक पर अड़ी तैग्मा (म० की. ) तिग्मसा भावः सिम्म मात्र । बने टोपो है। प्रत्येक मुख में, तोन तोन पाखें। तिम्मता, प्रखरता, तोहाता । Vol.IX.186..