पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष नवम भाग.djvu/७४६

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७३४ से जोराशि (म.पू.) से जमा राशिः। तेजःपुन, का भूपरिमाण ४५०० चौर लोकमवा प्रायः ११६६५५६ समूत्र। है, जिनमें बौडीको संखा पषित। स विभाग के तेलोप (म.को.) तेजः सर्व प्रकाशक चेतन्य रूप पन्तर्गत पमा, तावय, माणुर, मयेगिमा सोना यस्त । १ बा। गे ज्योतिरूप प्रकाशात्मक बा मोलमेन पोर सालउन सभूभाग नामक बिजेता स्वरूप ज्योतिरूप में प्रकाशित होता है। तेजसा आपः। रममें पर ग्राम पोर महर लमते ।। . .. २ जो अग्नि या ने जरूप हो। २स नसेरिम विभागके मार्ग जिलेशा प्रधान तेजोवत् (म. वि. ) सेजस, पस्त्यर्थं मतुप मस्त व। शहर । या पक्षा• १९११ से १५० पोर देगा। तेजयुक्त, जिममें तेज हो। ८८५१४.पू.म पखित ।। भूपरिमार संजीवतो ! म सो.) तेजोवत् डोप ।। गजपिप्पली। ४०३३३ वर्ग मोम्स और सोकसंस्था प्रायः १०७१२।। २ चविका, चष्य। ३ महान्योतिमती, मालक गो। छोटा और बा तेनरिम नढोके साम पर मागुर मगर. सेजस्वती देखो। ४ पनिका विमान। २० कोस दक्षिण-पूर्व में पड़ता है। इसके चारों ओर से जोविद ( स० वि० ) जिसमें तेज बा दोषि हो। पहाड़ और जंगल है। एक समय यह नगर उबति में जोविन्दु (स.पु.) एक उपनिषदका नाम। जचे शिखर पर पहुँचा एषा था। बचपोर शाम- तेजोविन्दूपनिषद (स.सी.) उपनिषदभेद, एक सप. गजों का बार बार पानामय होते रहनेस पभो यह मिवदका नाममाबायपने इसको दीपिका रची। बोहोन हो गया। जीवोज (सं.को.) मजा। १३१३५ में श्यामवासियों ने बहुत यनसे या नगर तेजोवर (म. पु. ) शुद्राम्भिमन्य इल, छोटी परणोका निर्माण किया । पवभो बड़े बड़े पत्थरके स्तम्भ पूर्वगौरव का परिचय दे । स्तम्भमे वपि कोई लिपि तेजोवत्त (स .) जसो वृत्तं तत् । वोर्यानुरूप। सत्कीर्ण नहीं है, तो भो मादेशक लोगों का कहना है तेजोधा (सबो०) तेजा जयते स्पर्बत का कि नगरको भावो उबतिके लिये देवतायोंने प्रीत्यर्थ तेजोवतो, तेजब। विवा, चय। यहाँ एक रमपीको जोवन्त समाधि थी। पब भी संतालीस (हि. वि. ) ते तालीस देखो। मगरके चारों पोर प्रायः ४ वर्ग मोल स्थान महोकी तेतीस (हि.वि.) तेंतीस दलो। . दोवारसे घिरा हुआ है। १७५८० में ब्रह्मदेशके गमा तिदनी ( म.सी.) देवताभेद, एक देवताका नाम। भालंपयाने या नगर अधिकार किया और शासनकर्ता तेन (म.पु.) गौरी न शिवो यव। गामामह, की तेजतलवारक पाघातसे बहुतसे पधिवासियों को जाने गांनका एकमा गई। उसो समयसे श्यामवासियों ने रस खान पर दखल "तेनेति शम्दस्तेन स्यात् मगलानां प्रदर्शक" करनेके लिये कई बार पेटा को घो। शारको पूर्वी • ते और न ये दो शब्द माल प्रदर्शक शब्दसे जातो ती पोर पब एक सामान्य ग्रामसा हो गया है। गौरी और न शब्दसे परका बोध होता है। सीसे तेन मागुर जिलेमें दो नदियों के पापसमें मिल जानेसे पद माङ्गलिक है। गानके पाले हर-गौरीका प्रसाद सका तनमेरिम नाम पड़ा है। यह नदी प्रायः ढाई सौ प्राश बारमेके लिये यह पद सधारण किया जाता है। मोल जा कर समुद्र में गिरो।सके बारसे मुहाने । मलेरिम-बायका एक विस्तीर्ण विभाग। यामागुर जिलेके रसो नामक भारका एक पंजा. ५८ से १८ २८.पोर देया. कसे पाम । या पक्षा. १२ . पौर.देशा• 'पू. •ec४० पू०में अवस्थित है।मके उत्तर पपर बरमा, बड़ो और छोटो तेमवेग्मि मदियों के सामनाम पर पूर्णम बरनी पौर श्याम, पश्चिममें पेश विभाग बोर पवखित । किमो समय या पाम बहुत समसाले मालवी साड़ी तथा दधिमे मनमायो । वारसमें केवल एकासोपाराम ।। .