पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष नवम भाग.djvu/७३७

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७२५ गा-कासि दुरक दिशी गाये जाने पर, पौराजिबी उनसे धर्म नेम्बला-दक्षिक काहाका एक प्राम। यं कायर विषयक बहुतसी बात पूहों। पन्त में उनाने तेमबहा- मोड़से मौला उत्तर में सलाह के बिमार पवखित है। यहाँ दुरकी मुसलमानधर्म पाप करने के लिये पादेश दिया। मेरे राजापोका बनाया हुषा एक.पुगना किया। परन्तु तेगबहादुरने मुसलमान होना स्वीकार नहीं किया। विलेंके प्रवेशद्वार पर एक कोटी मिसालेख देखने में पाले उन्हें कारागारमै रक्सा. गया पौर मुसलमान पाता है। . . . . . बनामके लिये काफी संग किया गया। पन्तमें तेगबहा- ए-मदुरा जिले में पंरिय कुखमसे पाधकोस पूर्व में दुरने बादशाहकों कासवा भेजा कि "दरबारमें मैं पखित एक मुख्य स्थान। यसका सबसवा मन्दिर अपनी एक करामत दिखाना चाहता"। बहुत पुराना है। मदिरमें बहुतसे पिखालेख विष- औरणजेबने उन्हें दरबारमें शाजिर होने के लिये एका मान है। दिया। तेगबहादुरने एक कागज पर कुछ लिया और तेहरा-तिवेति जिले के अन्तर्गत रहतासुनवा उसे गले पर रख कहा-"मेरे रस मन्त्रक प्रभावले कटा एक सदर । इसका दूसरा नाम पाहवारतिय नगरो । दुपा शिर जुड़ जायगा। उन्होंने उसी समय बहादसे या पक्षा.८.३५. और देवा. ७६७. पू. तुत. शिरको पलग कर देने के लिए कहा । भर दरबारमें लेग- कुहोले १८ कोम दक्षिण-पश्चिममें तथा ताम्बपर्थी मदोक बहादुरका शिर धड़ से अलग हो गया! सबने बड़े दाहिने बिना अवस्थित है। यहां हर सरोवरके पाचर्य से उस कागजको पोर दृष्टि डाली, उस पर लिखा बगल में एक शिलालेख मौजूद है... था-"शिर दिया, पर सरन दिया" पर्थात् मसक हासि-मन्द्रामक निबंवलि जिसेवा एक तालुका दिया पर मनकी बात न दी।१५७५९०में यह घटना पहा. और उ० तथा देगा ७७१३ पोर हुई थी। ७७३८पू में पड़ता है। भूपरिमार ३७४ वर्ग:मोल तेगबहादुरने इस तरह १३ वर्ष ७ मास २१ दिन गुरु- और लोकसंस्था प्रायः ११४.४३०है। इसमें बोन मार भाई को थो। निर्दयो बादशाहने उसी वक्त उनको चौर ८२ प्राम लगते हैं। देशको रास्ते में फेक देने के लिए दुपा दिया। दिशी तिलि जिले के रसी नामक तालुकका एक वासो सिखाने गुरुके पवित्र मस्तकका दाह किया और पार । यह पचा०६८ उ० पौर देशा० ७७१० व एका समाधि-मन्दिर बनवा दिया। मक्खनशाको तिलि शहरसे १३ मोलको दूरी पर पखित । • कोशिशसे मजबीसिख (वा झाड दार) उनके उस मस्तक लोकसंख्या लगभग १८९२८ है। होन परोरको पानन्दपुर से पाये। वहां गुरु गोविन्दने दक्षिणकाची पदक अपनपने नेहासि नाम पड़ा महा समारोहम पिताका अध्यदेहिक कार्य समाज । यहाक अधिवासो रस स्थानको काौके जैसा किया। पानन्दपुरमें तेगबहादुरके स्मरणार्थ एक बड़ा पवित्र समझते हैं। यहाँका विश्वनाथखामोका मन्दिर मन्दिर बनवाया गया । प्रसिद्ध है। इसके सिवा पोर भी कर एक शिवालय भब भी सिख-सम्प्रदाय तेगबहादुरको "मच बादशा" | जिनमें कायो विश्वनाथस्वामीका मन्दिर बहुत सादर कह कर उनका ख व सम्मान करता और भक्ति दिख- दोख पड़ता है। यर्शक स्थलपुराणमें... मन्दिर तथा लाता है। . यहांके तोोंका माहामा लिया है। इन सब मन्दिरों में तेगा ( मखो०) तिज-पुसि धजस्व गः । अमिर देवता पाहवराजापोंके समयमै उत्कीर्ण बहुतसे शिलालेख भेद, एक सामान्य देवताका नाम । देखे जाते हैं। . तेगा (१००) १ ख, खिड़ी। २ दरवाजकोट पत्थर बिसो समय या दक्षिणकायो दुर्गम दुर्ग प्रासाद पादि. महो पादिसे बंद करनेको लिया। कुम्तीका एक से घिरा हुआ था। पलिगामेंके युद्धकालमें वे मब तास दांव या पेंसिका दूसरा नाम कमरवगा। नामकर डाले गये। Vol. IX, 182 :