पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष नवम भाग.djvu/६

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मगना. धनषको डोगे खींचकर आवाज करना। ल ( ०) टंडल देखे।। को ( हि स्त्रो०) १ योगगको एक गगिणो । २ पानी- टमरो (हिं. स्त्री०) एक वीणा। HT कोटामा कुड जो दोवार उठा कर बनाया जाताटक (हि. स्त्रो. ) १ स्थिर दृष्टि, गड़ो हुई नजर । २ है, चौबच्चा, टांका। ( Tank ) व बरतन जिम में बड़े तराजुका चौखूटा पलड़ा जिम पर लकड़ो भादि ज्याद पानो ममाता हो, टब । रख कर तोन्ना जाता है। टकोर ( हि पु० ) रंकार देग्यो । टकटको (Eि स्त्री.) स्थिर दृष्टि, गड़ी हुई नजर । टंकारना ( हिं० क्रि० ) १ पञ्चिका तान कर शब्द उत्पन्न टकटोना (हि.क्रि. ) टकटोलना देखो। करना, धनुषको डोरो ग्वोंच कर पावाज करना। २ | टकटोलना ( हि क्रि०) हायसे छू कर पता लगाना, ठोकर लगाना। ३ किमा वस्तुको जोरसे टकराने के लिए। टटोलना। नज नो वा मध्यमा गन्नोको कगडलो बना कर उमको टकटोहन । हि पु० ) स्पर्श, छ नेकी क्रिया। नाकको अंगठेसे दबा कर जोरम कोउना। टकतन्त्रो ( म० स्त्री.) आर्यावा एक प्राचीन वाद्ययन्त्र , मारो : स्त्रो.) व कोटा तराज़ जिससे माना! मितारकै टडका एक प्राचीन वाजा। नादो प्रादि तोन्ना जाता है, काँटा। | टकबोडा (हि.पु. ) वह भेट जो किमान विवाहादि ८ गडी (वि० स्त्रो० ) घटनेमे ने कर एँडो तकका भाग | के अवसर पर जमींदारको देते हैं. मधवच, शादिया । प्रांग। टकराना ( हि क्रि० ) १ जोरसे एक दूममें ठोकर 'गना । Eि क्रि० ॥ १ लटकाना । २ फोमा पर चढ़ना, लगना, जोरमे भिड़ना। २ कार्यमिहिको पाशामे कई कामो लटकना । ३ कपडं प्रादि रकवं जाने के लिये । स्थानों पर कई बार पाना जाना, घूमना । धो रसमो, अन्लगी। 8 जुम्लाका उठोनो टागो | टकरी (हि. स्त्रो०) एक प्रकारका वृत्त । जानको पम्मी। टकमरा (हिं पु० ) प्रामाम, चटगाँव और बर्मामें होन- रंगरी (हि. म्खो० ) टंगडी दग्नो। | वाला एक प्रकारका बाँस । गा (हिं० प्र०) मूज। | टकसाल (हिं. स्त्री.) १ (म. टशाला शब्द का टघट (हि. ५० ) पूजा पाठका भारी बाड़म्बर, मिथ्या अपभ्रश रूप ) मुद्रा प्रस्तुत होनका कार्यालय, मिक्क आरबर। बनने या ढलनका कारखाना, वह स्थान जहाँ रुपये, का (हि.पु.) १ प्रपंच, बखेड़ा, बटराग। २ उप पैसे आदि बनाये जाते हों। ट्रव, हन्नचन. दङ्गा फमाद। ३ झगड़ा, लड़ाई, कलह । ____ अति प्राचीनकालमे भारतवर्ष में सोने चांदी पौर डर ( अ५०) १ किमो दूसोसे कुछ काम करने या | तांबे आदिके सिके व्यवहत होते आये हैं। नाना- कोई माल किमो नियत दर पर बेचने या खरीदमेका | स्थानों में प्राचीन हिन्द-राजाचोंके नामानित बहुत सिक एकरारनामा । २ अदालतका वह पाज्ञापत्र जिमके ! मिन्ने है। उन मिकों का श्राकार परिमाण, विशदता द्वारा कोई मनुष्य किमीक प्रति अपना देना श्रदालतमै आदि अति विसदृश है। उनके देखनमे महजहो प्रतोन दाखिल की। होता है कि, कालिक नरपतिगण गजकीय टकसालों इन (हिं पु० ) मजदूरोका जमादार या मेट । म अपने अपने राज्यके लिये सिक बनवाते थे। अनेक- पिया (त्रिो०) एक प्रकारका गहना जो बोहमें ! मन्दरके समयमे नगा कर अंग्रेजोंके अधिकार ममय ना जाता है। यह अनन्तके प्रकारका होता लेकिन तक भारतवर्ष में कोई शुमार नहीं कि कितने प्रकारक से भारो और बिना घडोका होता है, टाह, बहटा। मिक .चन्ने है। मूख्य, परिमाण, पाकार पोर गठनका टनिया (हि. स्त्रो०) कांटेदार बन चौमार। वह पारिपाठ्य प्रायः भित्र भिन्न होता था। मुदा देखो। मग मोर औषध दोनोंके काममें पाती है। राजापोंके सिवा और किसोके भी मिकों के बनानेका