पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष नवम भाग.djvu/५३५

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इन चबलिङ्ग नामका सहाराम लिया नामक स्थानमें समतल भूमि समुद्रतली . बार फुट अंचो है। प्रवखित है। यहाँ चन-नि शास्त्रमतावलम्बो २८०० उस तिब्बतमें रस तरहको भूमि १२से १३ हजार फुट संन्यासी रहते हैं। लिथा नामक स्थानके उत्तरपूर्व में चो है। तिब्बतको चोमा लोग 'चा' वा 'सितग' देश मागरा जिला पड़ता है। यहाँ नागछ नदोके किनारे करते हैं। तिमत पब्द ढ-पेर तह (तुबो) शब्दका पप- कोड नामका मन्दिर भारतवर्षीय पाचार्य फ-सम्म सनाश है। तिब्बत के लोग अपने देशको 'पो' वा 'पो-युल' (सिच्चे पयासमत प्रवर्तक )का योगाश्रम मन्दिर है। कहते ।पो शब्दमे प्राचीन भारतवासियों ने इसे भोट: ग्यमो रोल नामके प्रदेश में लोचव विरोचनको तपस्याका को पाख्या दो है। पो शब्द लिखने में 'बोद' इस तरह स्थान पोर गुहा है। प्रामदो प्रदेशमें य य ज नामक लिखा जाता है । सुतगं उसका भाट शब्द होना पसम्भव स्थानके उत्तर पर्वतके पारमें चोङ्गम जिला है। वर्त नहीं है । पो-युलका अर्थ 'पो' देश है, 'पो-प'का अर्थ मान युगके हितोय बुद्ध शार चोगा खप लोसं तग्प नामक पो देशीय पुरुष तथा 'यो मो' का अर्थ पो देखोय तो प्रसिद्ध संस्कारक को जन्मभूमिके जपर कुम्बुम नामका होता है। निम्मतो लोग मध्य तिब्बतको हो प्रजातपक्ष में समाराम स्थापित है। यहाँ एक सफेद चन्दनका पेड़ पा कहते हैं। पूर्व तिब्बल माधारणत: खम वा बड़ा

  • प्रवाद है, कि उक्त संस्कारकके जन्मकालमें उमक तिम्मत नामसे पुकारा जाता है । चोन गवर्मेण्टने

हरएक पत्त में से नारो बुद्धको छवि दीखने लगी थो। तिब्बतको दो भागोम विभता किया है। पप-तिब्बत इम स्थानसे उत्तरपूर्व में भामदो गोमङ्ग, गोनप वा मेर- भोर पश्चात-तिब्बत । चङ्ग प्रदेश (प्रकत तिब्बत) माधार खागोन्प नामका सवाराम अवस्थित है। इस मा. पातः चार भागों में विभक्त -पूर्व में चोयेन च (खम), रामके प्रधान पाचार्य सगचे चोमो लामाके अवतार हैं। मध्यमें पु. चङ्गा, पश्चिमोत्तरमें रथ चङ्गा (प्रकत गुति) वही इस भूविवरण के प्रणेता है। यहाँ चन-नो मताव और पश्चिममें नरि (लदाक)। लम्बो २.०० मन्यासो वास करते है। इसके उत्तरमें लदाक प्रदेशमें 'ले' प्रधान नगर है और इकार्दो पामदो परी नामक जिलेके जोमोखोर सङ्घाराम बहुत वलति प्रदेशका प्रधान नगर है । बलतिमें सिन्धु नदोके विख्यात है। यमलिङ्ग नामके एक मन्दिरमे १ लाख बुद्ध किनारे वनति और रोङ्गादो, सिङ्ग-गे-च, नदी किनारे मूर्तियां और मैत्रेय बुद्धको ८० फुट ऊँचो प्रतिमा है। खरट कसो, तोलतो, पकुत शगर नदीके किनारे गगर लोक्यातुन सहाराममें मम्बर नामक सान्त्रिक देवताको और खेवर नदोके किनारे स्थ बलु, चोर्वत तथा कि बस मूर्ति है। यह देवता अपनो हो शक्ति पालिनग्न करक शहर है। विद्यमान हैं । इमक उत्तर को कोनर नामका द है तिब्बतवामो हिमालय पर्वतको कङ्गिय कहते हैं। जिसके बीच में महादेव नामका एक पर्वत है। यहां गिरिपथ-भारतवर्ष से शतट्ठ नदोक कितार हो कर को कोनर मोङ्गोल नामको एक श्रेणोको होर जाति ३३ एक रास्ता मया है। यही रास्ता तिब्बतका प्रधान सरोंके अधीन वास करतो हैं। ये बौद्ध धर्मावलम्बो हैं। राम्ता माना जाता है और यह मध्य एशिया तक विस्तृत भाजकल तिब्बतके पूर्वाञ्चलके लोग अक्सर हो कनफुचि है। गढ़वाल गज्य के मध्य टेहरी प्रदेशमें नोलनषाट मत ग्रहण करते हैं। लदाकके मनुष्य नानक के मताव- गिरिपथ है। अंग्रेजों के अधिक्षत गढ़वाल राज्यमें लम्बी है। इस देश में कहीं कहीं चोम-सातार, तुकिं- नोति ओर माना गिरिपथ, कुमाय प्रदेशमें योहर गिरि- स्तान और मङ्गोलियाके मुसलमान रहते है, उन्होंसे इस पथ, कुमायू राज्यके मोमान्समें दम और व्यास गिरिपथ देयके दस्यु-व्यवसायो लोगोको मुसलमान बनाया है। है। इनके सिवा भारतवर्ष से तिब्बत में प्रवेश करनेक वत्तमान तिम्बत राज्य पंचा. २७ से ३७७० पोर पोर भो कई एक पथ हैं। देखा० ०२ से १०५ पूर्व में अवस्थित है। इसके उत्तरमें अधिवाणी-निम्बतके लोग मङ्गोलोय आतिक हैं। गोबी नामको विस्वत मनभूमि है। इसको सबसे जपो नेपाल पौरभूटानक खोम भो इसो जातिसे. उत्पत्र