पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष नवम भाग.djvu/५२६

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५२२ स्थान कह कर उमितित है। यह नगर अभी एक छोटे बुद्ध मूर्ति को उल्टा कर धोबो उम पर कपड़ा फीचता ग्राममें परिणात हो गया है तथा समुद्र मे केवल ५ मील है। पुस्तं गीज जब पहले पहल इम देशमें पाये, तब की दूगेमें पडता है । यही स्थान प्राचीन कयान नगर उन्होंने दम देशमें कुइलन के राजाको राज्य करते देखा था । मार्कोपोन्नौज इमे के इन बतलाया है । इमका वत. था। शायद वे विवांकरके कोई राजपुत्र होंगे, क्योंकि मान नाम कोरई है। वर्तमान रामेश्वरम् नगरका पुगीज प्रागमनके समय यह विवाकुड़ राज्य के अन्तभुज प्राचीन नाम कोटो है। यह भी मुक्ता-व्यवमायके लिये था। १०६४ ई. तक पाण्डा राजाअकि अधिकारमें रह ग्रोवामियों के निकट परिचित था। "कोलाई" का कर पोके यह प्रदेश सुन्दर-वाण्डाहाग अधिक्षात हा । अथ मन्दन वा स्कन्धावार है। कोलकई और प्रमुद्रक १३१. ई. में मुमन्नमा नान एक बार इस पर पाक्रमण मध्यस्थित एक स्थानको अब भो प्राचीन कयाम्न कहत किया. किन्त पाण्ड्य गजा बिजयो हुए । इम समय २५० है। वन प्राचीन कथाल समुद्र के तार मे दो मीनको दूगे वर्ष तक एक प्रकारको अराजकता फैली हुई थी। पर अवस्थित है। कयालके अर्थ में समुद्र के माथ मयोग पागडय राजाओं ने तथा कर्णाटके नायकोंने इस प्रदेशको विशिष्ट वृहत् इद पाता है। चीन और अरबके माथ गड ग्वण्डकर अधिकार कर लिया था। १५५८ में ख्याल नगरका वाणिज्य-मम्बन्ध था। रमका चिह्न विजयनगर के सेनापति नायकोंने मदुगका नायकव'श अय भो पाया जाता है। पतंगोजांने आ कर कयालको प्रतिष्ठित किया। १५६३ ई में विजयनगर के ध्वस होने समुद्रमे दूरवर्ती देत तति कोरिण (तुतकड़ो ) शारको एर यह स्वाधीन हो गया। १७वीं शताब्दोके अन्तको बाणिज्यका बन्दा जमाया। अब भो तिम्वेवेलो जिलेमें । उपकून में पुतु गोजों का प्रभाव बढ़ने लगा, किन्तु ओल. तुतकुड़ो एक प्रधान चन्दर है। वक्त मान कोरई शहर दाजोंनि उन्हें उता स्थानसे मार भगाया। इन्होंने तुत- प्राचीन कयालका अगविशेष था, जो मन्दिरको खोदी- कुडो में प्रथम युरोपीय कोठो स्थापन को। १७४४ ई में हुई लिपि तथा टकमाल इत्यादिके देखमेमे प्रमाणित यह स्थान प्राकटके नवाब के नाम मात्रका प्रधान हा, होता है। प्रानोन चोनके बागिाज्य-मम्बन्धमें कयानमें प्रकृतपक्ष में यह कई एक पालयकार (पलिगार )के किमी जगह जमोन के नीचे नाना प्रकारके चीनो मट्टीके सर्दारोंके अधीन था। १७८१ ई. तक यहाँ केवल सी. टुकड़े और चोनाके प्राचीन जङ्ग नामक जहाज के भग्न- । रमि परम्पर छोटो छोटो लड़ाई होतो रहने के कारण खगड पाये जाते हैं। अभी यहाँ लावि नामक देशीय एक प्रकारको अगजकता फलो हुई थी । १७५६ ई में मुमतमान और रोमन काथलिक मत्स्यव्यवमायो वास महम्मद युसुफ़खनि मदुग पौर तिवेलो इन दोना करते हैं। मापोलो कहते हैं, कि पागड य वशीय राज्यों में सुशृङ्खला स्थापन करने के लिये तिबवेलो एक पोच भाइयों मेंमे अशाय नामक बड़ा भाई केइलमें राज्य हिन्दू सग्के हाथ, ११०००००) रु० वार्षिक कर स्थिर करते थे । एडेन, हरमम प्रभृति अरबीय देशोंसे जहाज कर अर्पण किया। १७५८ ई में महम्मद युसुफखाँके इम देशम पाते थे। उन जहाँजों पर प्रायः घोड़े की चले जाने पर पुनः पूर्ववत् अराजकता दोखने लगी। आमदनी होतो थो । राजा यथेष्ट मणि-माणिक्य था। उन्हनि फिर पाकर स्वयं दोनों राज्यांका शामनभार ग्रहण उनक ३०० स्त्रियां थीं। इस स्थान को खोद कर मि किया। १७६३ ई. तक वे राज्य करते रहे, बाद वे कॉल्डव नने बहुतसे कलम के आकार मिट्टी के बरतन राजस्व देने में असमर्थ होनेके कारण मैन्यदलसे पकड़े पाये थे, जिनमें प्राचीनकान की एक जाति मुर्दे गाड़तो गये और उन्हें फांसो की आज्ञा दी गई। १७८१६ में थो। जितने वरतन पाये गये थे उनमेंमे एकका घेरा बहुत गजब हो जानेमे पाक टके नवाबने यह जिला ११ फुट था और उसमें मनुष्थका अस्थिपञ्जर पाया अगरेजोंको दे दिया। गया था। यहां जगह जगह बुद्ध मूर्तियां देखी १७८२ में चक्कणपत्ति और पानालम्कुरिचि माती हैं, उनकी पूजादि नहीं होती। एक जगह एक | नामक पलिगारके सरोके दो राज्य कर्मम फुलाटीनने