पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष नवम भाग.djvu/४९६

यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

४९२ तालुपात-तावत्कलसे होता है तथा उससे पिपामा, बाम और काश होता; तान्न र ( म • पु. ' तासयति तन-णिच् चाडलंका जर रसको गलशुगलोरोग कहते हैं। सूज जाना, मोटा प्रावत, जल का भ पर। घाव होना, वेदना, दाह और पक जाना ये मब तुण्डो ताल षक (म.की. 'सलवा उषक । ताल । बरीके लक्षण है। तान में सूजन, स्तब्धभाव (भारोपनका तालेवर (हि.वि.) धनाढ्य धनो। होना ) पोर ननाई होनमे उस रोगको प्रधष ममम। तानेश्वर नदो जगोर जिनेको एक नदो । यर नरेन्द्रपुर- यह गेग रकम हाग होता है। ममें अत्यन्त घर होता के निकट पठा-वांकाको शाखा नदी चित्रामे निकन है, तलदेगा कछुवेको तरह ऊंचा हो जाता है। वेदना है और तालेवर ग्रामके निकट भैरव नदो में मिनी है। घटता और सूजन ब?तो रहनेमे उसको कच्छवी रोग दमको लम्बाई लगभग ५ माल होगा । वर्षाऋतु एमको कही है। यह माले हारा उत्पन्न होता है । तालमें चौड़ाई करीब ५० गज को हो जाता है । छोटो छोटो पद्माकार शोफ होने पर उसको गजन्य अवद करत नावें इसमें मब दिन प्रातो जाती हैं। है। अटका लक्षण पहले लिखा जा चुका है। त लु. ताल्प ( म० वि० ) तत्पशन । के भीतर से हारा मास दूषित हो कर वेदनाहीन जो ताक (हिं० पु. ) तअल्लुक देखो। सूजन होतो है, उसको मामघात कहते। तालु- तत्ववंद (स.पु.) रोगविशेष, रक रोग ! इसके होने देशम वेदनाहीन स्थायी और बरको ताकी जो सूजन .ताल में एक कमलाकार का बड़ामा अङ्ग,र या कोटा होतो है वह कफभेदजन्य पुप्प टरोग है। वातपित्त- मा निकल पाता है। इसमें बहुत पोड़ा होतो है। के कारण तालुके मुख पौर फट जाने पर, तथा उममे ताव (हि.पु.) १ वह गरमो जो किमो वस्तु को तपाने तालुवास होने पर, उसे तालुशोष कहते हैं। पित्तके या पकाने के लिये पहुँचाया जाय। २ अधिकारयुक्त हाग तान का पक जाना यह तालपाकका लक्षण है। क्रोधका प्रावण. घमण्ड लिए हुए गुम्मे का झांक। ३ मालुपात (म.पु.) एकग ज' कोटे बच्चों साल में प्रकारका प्रावग। ४ तवान होने की आवश्यकता । होता है। ५ कागजका एक तव।। सालगाड़क ( म० पु. ) तालुपात गैग। तावक ( वि.) तब इट युष्मद् अगा, एकवचने तव सालपुष्प ट ( म.पु. मालगत रोगभेट. तलम छोन कादशः। त्वत् मम्बन्धनीय, रा. तुम्हास. वाला एक रोग। सावकान ( म त्रि० नव दयुभद खज । युष्मदस्म- तालुयन्त्र (म.की. ) बारह उँगलीका एक यन्त्र जो दोभ्यतरस्या बन । पाश । एकवचन तवकादेश । मछली के तालुमा होता है। तालपत्र देखो। त्वदीय तुम्हारा। तालुर-तालर देखे। सावत् (प्रव्य तत्परिमाणमस्य तत् डावत। १ माकल्य । मालुविधि ( म पु०) हालगत शोथविशेष। विदोष २ अवधि । ३ मान । ४ अवधारण, निश्चय । ५ प्रशसा । रण तालमें टारगेग मिल जामेमे यह रोग उत्पन पक्षान्तर मग्राम। ८ अधिकार। टा, तब होता है। तक । १० वाक्यालङ्कार। (वि.) तत्परिमाणमस्य तदा तालुविशेषण ( स० ली. ) तालुका सूख जाना। वतु । ३१ परिमाण विशिष्ट, उतने परिमाणका। तालुघोष ( म पु० ) सुश्रुतोक्त तालुगत रोगभेद, एक रोग तावत् शब्द क्रियाका विशेषण होनमे वह लोव- ज में ताल सूख जाता है पोर उममें फटकर घाव हो लिङ्ग होता है। जारी हैं। सावतक (स.वि.) तावता कोत: मख्यात्वान कन। ताल. (fr'• पु.) १ तालू देखो । २ खोपड़ाके नोचेका भाग. उतनो कीमतौ र रोदा हुपा। दिमाग। घोड़ों का एक ऐव । सावकत्वम इस त्रि. तावत्वत्व पति वत्वन्तात् नाम्न फाड़पु०) हाथियों का एक रोग । इसमें हाथो- क्रियाभ्यालिगणने कत्वमुच । उतना संख्या, उतना के तालम धावोजाता।