पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष नवम भाग.djvu/४७६

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४७२ वारावती-तारिका हैं, आप इनको जमा कीजिए।" कपोतको मच भद आप इन को रक्षा करें। इसका पूरा वृत्तास नारद मे माग्न म पड़ गया । वे प्रयन्त कड हुए: तारावतो है पाम मान म पड़ेगा।" एक दिन नागदने चन्द्रगेवाके घर जा कर कहने लंग तगवतो ! तने मुझे धोखा दिया उपस्थित हो कर तागवतो ओर च द्रणे वामे कहा- है, उसका फन्न भाग । म गापमे वोभत्मवेगधारा विरूप राजन् ! महादेवने मावित्रो गाने पर्वतोको इभ धनहीन नाकमान कोई ग्लोभा वह महमा तुझ ग्रहण दहमें प्रविष्ट कग कर उम पर उपभोग किया था, प्रा। करेगा पार क वर्ष के मातर तर गर्भ मे दो पुत्र उत्पन्न को भ्रष्ट न ममझ । अाप म्वयं भी महादेव हैं और डांग । म पर तारावतोने कहा कि यदि में मनो मतो तागवता भो माक्षात् पावता हैं, पब आप अपने में ई बार मग माताने यदि मुझ चण्डिकाका पाराधना : शिवत्व का अनुभव करें।" का प्राम किया की, तो निश्रय ममझ, देवताकै मिना ___नारद को इस बातको सुन कर, चन्द्रशे ग्वर अपनमें कार्ड भी मेराश न कर मकेगा।' शिवत्व का ओर तागवती अपनी माक्षात् पाव तोका ___ इतना कह कर तागवती अपने घर को लौट ग: अनुभव करने लगों। पूर्व कानी विण मावाने अपने को और गजा चन्द्रग ग्वरमें मुनिके शापका हाल कह दो मनुष्य योनिमें मुग्ध किया था। इमो कारण मनुष्य मनाया। राजा चन्द्रशे वर इम वृत्तान्तको मनन के बाद गगेर दाग अपने शिवत्वका अनुभव नहीं कर मके थे । मर्वदा नागवताक पाम रहने लगे। एक दिन कुक इम ताइ उनका मन्दह दर हो गया तारावतो गभ : दरक लिए चन्द्र ग्वर पाम न . तागवतो उहत चत्तमे में उत्पन्न चन्द्रश खरके तीन पुत्र हए-बड़ा उपरिचर, चन्द्रशेखर के ध्यान में नियुक्त था। इ । ममय महादेवन मझना दमन और कोटा अन । तारा तो के गभ से पाव तोमे कहा-'है पावतो तुम म तागवतक वेतान योरभव महादेव मद्य'जान दो पत्र थे इम शरोरों प्रविष्ट अ' में रम पर गत । कर म' का तरह कन्न पत्र । पार्क पति-पत्नी दोनों मनुषादेह शाप मोनन .क। तारावतो तुम्ह । । । छ'ड कर शिव बार गाभं मिल गये. (कालिकापु. इसके गर्भ भृङ्गो और मसान उ-पत्र:। कर तुम्ह ४८.५३ अ०) २क वनपर गजा धम ध्वनको पनो। पाप मत करगे।' पदि पव नवना मगेर तार वर्ष ( म कतारपतन, तांका गिरना। में प्रवेश किया। मदावा ताग ताक मुध * तागलो ( ५० ) मणिभद्र यन की कन्या । अस्थिमान्यधारी व भत्सवेग दुर्गन्धद ! जरा गा पार ताराषाढा । मस्ती ) तारायाः पोढ़ा, ६ तत् । तारा प्रतिकिशोर धागा कर तार ताप • म्भ ॥ पाङ्गपात न्यामभद। उसो भमय नागो गभ मे मव दो पुत्र ' त रास्थान - ए मर का नाम । उत्पन्न हुए। पुत्र उत्पन्न । ति हो पावतो । ताकि ( म क्ला० ) तच ठन् । अाइनिठनौ । पा देहमे निकल आई। ५।।१५। तागण ल्य, नदी आदि पार उतारनका जब मोह दूर हवा, त। ताग त मामने वोभत्म- मड़ा या महमू, उतगई वेशधागे माद व पार योजाता रमुख दो पत्रों को "मी तुद्वमादितथा प्रव्राजतो मुनिः । देख कर अत्यन्त विमष हुई और अवन। भ्रष्ट ममझ ब्रह्मणः निनाव दास्तारिक' तरे ॥" (मनु ८। ४०९) कर नाना रूप विलाप करने लगों। इतने में चन्द्रशेखर भो वंहो पा परचे, वे भो तार तोको हम अवस्थामें गमिण स्त्रो, भिक्षु, वानप्रस्थाश्रमो मुनि, ब्राह्मगा, देख कर अत्यन्त दुःखित चिनसे विनाप करने लगे। निङ्गो पार ब्रह्मचारी इन मबमे तरवण्य ( महसूल । इसी समय अाकाशवाणो तुई -"राजन् ! जागवतो पर नहीं लेना चाहिये । किसी तरहका मन्टेर न करें। म मुच माव हो तरिका ( म स्त्रो. : ताडि का इस्य र। तालरमजात भार्याके पास पाये थे, ये दोनों महादेवकं हो पुत्र है। मद्यभेद, ताड़ो नामक मद्य ।