पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष नवम भाग.djvu/४१०

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४० ताप रीत, विन्त व पृथ्वी प्राभ्यन्तरमें केवल दो चार जलना यादि भी रासायनिक क्रियाक उदाहरण है। साथ ही प्रवेश करता है, यह जानकर अनेक लोग ग्रीष्म- ऊपर कहा गया है कि ताप दो प्रकारका होता कालमें मिट्टोक भोतर घर बना कर सकते हैं। रेलगाड़ीके है एक प्रत्यक्षपाहा और दूमरा गूढ़ या पनुमति- रास्ते में रेल (नाइन ) का जहां परस्पर संयोग होता है, बाघ । प्रत्यक्षग्राह्य ताप प्रायः स्पर्शयक्ति-हारा अनुभूत उस स्थनमें ग्रीष्मकालमें अधिक तापके ममय परिसरण होता है। विशेष विवेचनापूर्वक देखा जाय तो स्पर्श- होगा, यह जान कर जरा जरा अन्तर रक्खा गया है। बोध हम लागोंका एक प्रकारका तापमानयन्त्र है। जब इम ममय नाना प्रकार के फल परिपक्व होते हैं । इम' हम कोई उष्ण वस्तु स्पर्श करते हैं, तब हमें उष्णस्पर्शा- ममय नापक प्राधिक्य होनेसे परिशोषण क्रियाके विशेष नुभव होता है। इसी तरह जब हम एक तुषारपिण म्नक्षण देवन में प्रति हैं। नहर, तालाव आदि मच सूख पर हाथ देते हैं, तब हमें शोतलस्पर्शानुभव होता है, जात हैं। किन्तु वह कितना उपण या कितना शीतल है, यह निश्चय सूर्य को छोड़ कर संघर्षण (friction), पेषगा, मध नहीं कर सकते। निश्चय न कर सकनेके कारण टन (pureus <ion) गमायनिक क्रिया प्रादि भो ताप- तापके वै लक्षण्य और हामहद्धि प्रादिके बारे में भी कुछ प्रभव है । तडित् पौर दहन, ये भो गसायनिक क्रियाको स्थिर नहीं कर सकते ; इसलिए तापमानयन्त्रको सृष्टि अन्यपरिणति मात्र हैं। इनमे भो तापकी उत्पत्ति हुई है। इन्द्रियों द्वारा सामान्यत: जो कुछ स्थिर किया होती है। जाता है, वह यथार्थ हो हो. यह सम्भव नहीं। क्योंकि संघर्षण-वस्तुपों में परस्पर सघर्षगा होनसे तापको. यदि किमी ग्रहस्यकै एक धातुकी, एक काष्ठको और एक उत्पत्ति होती है। काष्ठ काष्ठमें मंघर्षगा होनसे ताप सूतको इम तरह तोन चोज हो और उनमें से प्रत्येकका उत्पब होता है। कांचको शोशोको डाट लगा कर रम्मोसे यदि क्रमानमार स्पश किया जाय, तो हमें तोन विभिन्न उसका गला घषण करनेसे वह स्थान उत्तम हो कर . प्रकारका स्पर्शानुभव होगा। यदि ग्रहस्थित वायु उष्ण प्रसारित होता है और डाट खुल जाता है। बरफ पर हो, तो वस्त्र उष्ण, काष्ठ उष्णतर और धातुका पदार्थ बरफ घिसनेसे वह गल जाती है । डेभि माहवन परीक्षा उष्णतम माल म पड़ेगा, किन्तु उसी वायुके शीतल होनेसे करके देखा है कि रेस (पटरो)-क ऊपर पहियों के घष पसे इसके विपरीत, अर्थात् धातुका पदार्थ शीतलतम, काष्ठ अग्निस्फुलिा निकलते हैं। घर्ष गासे ताप उत्पन्न न हो, शोतलतर और वस्त्र शोतल प्रतीत होगा। वस्तुत: हमारी इसीलिए रेलगाड़ी में चर्बो शवहत होता है। इसोमे स्पश शक्ति बिलकुल अनिश्चित है। मशीनके समस्त कल-पुरज भलीभांति यथायोग्य स्थानमें कोई एक पथिक किसी पर्वतसे उतर रहा है और सजाये जाते हैं। दूसरा उसो पर्वत पर चढ़ रहा है ; उतरनेवाला तो संघहन-सघर्षण और पेषण इन दोनों को एकताको जितमा नाचे उतरता है, उतना हो उष्णताका अनुभव मघटम करते हैं। चकमक पत्थरको परम्पर ठोकने और करता है और चढ़नवाला क्रमशः शोतका हो अनुभव घिसने अम्नि उत्पन होतो है । लुहारके हतोड़ से लोहा करता है। इन दोनोमिसे कोई भी उष्णता और धोतलता पोटते समय लोहा उत्तम हो जाता है। को उपलब्धि विशेष रूपसे नहीं कर पाता। और तो क्या; रासायनिक क्रिश-वस्तषोंकि परस्पर मिलित होनेसे कभी कभी ग्रोमकालमें किसी किसी दिन शीतानुभव जो नतन प्रकार वस्तुको सृष्टि होतो है, उसे रासायनिक होता है पौर शीतकालमें कभी कभी गरम मालम क्रिया कहते हैं। कभी कभी इससे अन्य त्यात भी होता पड़ती है। इन विलक्षणतापोंको मूलरूपसे जानके है, जो प्रायः देखनेमें नहीं पाता। चूनमें पानो डालनेसे लिए स्पर्श यत्तिके अपर किसी प्रकार विश्वास नहीं और जममें गन्धकद्रावक देनेसे ताप सदगत होता है। किया जा सकता। कोई कोई तापको एक सूतरल पानीमें पोटाश डालनेसे वह जलने लगता है। प्रदीप पदार्थ बहने है, किन्तु या तरल पदार्थ की तरह मेरके