पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष नवम भाग.djvu/३९५

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नाही लता है। प्रधानतः ताड़के रमको ताडो कहा जान पर ताबक्षों को काट डालनका पादेश दिया था। * उसके भी ईख, खजूर, नोम, मैरेय, नारियल पादि वृक्षसे जो अनुसार एक सूरत जिले में ही प्राय: लाखसे ज्यादा वृक्ष रस निकलता है, जिसके पोनम नशा होता है, उसको काटे गये थे। किन्तु रत बोजका झाड़ क्या महममें भी साधारणतः ताड़ो कहते हैं। निमूल हो सकता है ? कुछ दिन बाद हो प्राय: पचाम ____भारतमें ताडोका व्यवहार कुछ नया नहीं है। हजार वृक्ष फिर पंदा हो गये । कुछ भी हो, पब गव. कुलाण वतन्त्र में ताडिका नाम ताड़ा का उल्लेख पाया मगट ताड़ पोर स्वज रके पड़को निर्मुल करना नहीं जाता है। गन्धर्व तन्त्र के १५वें पटनमें इक्षुरत, बदरो चाहती, बल्कि इममे जा ताजी बना कर बेचते हैं, गव- • रस, जम्ब गम, खजे गरम. नाराल और द्राक्षार से मंगट उनमे कु छ कर वसूल करती है। मादक द्रव्य बना का विधान है । गद्य देगी। भारत और हिल रोटावाने प्रायः सर्वत्रही पांउ. भारतवर्ष में अब भी जगह जगर नशेकं लिये गड, रोटो बनाने के लिए ताड़ी व्यवहार करते हैं । इससे सिकी ग्वजर, नारियन, मेरेय आदिका तादी व्यवहन होतो भो बनाते हैं। है। ताडामें मादकत शक्ति होने पर भा, ताहो और भावप्रकाशमनसे-तारका ताजा मद्यमें बहुत पार्थक्य है। स्वभावतः वा कमि उपाय बटा होने पर पित्तजनक और वायदोष नाशक है। ताड़ आदि के वृक्ष मे जो रम निकलता है; उमको धूप या खज़र । - देश ग्वजा पिगड़ कर प्रादि नाना प्रकार- तापमे फेनयुक्त कर तेजस्कर किया जातो, इमोका के खज रमन के इंटली को छोन काट कर जो रस नाम ताड़ो है और उसे मड़ा चुआ कार जो पानोय निकला जाता है, उने भो ताड़ो धनतो है। खजूर- बनाया जाता है उमको मद्य कहते हैं । उप मूर्योदयमे पहने और प्रातःकालमें खून मोठा और भारतमें जिन जिन वृक्षांमे जेमें से ताड़ी मगृहात मा कतारहिन गरता है. किन्तु जितना दिन चढ़ता होता है, नीचे उन मबको प्रणालो लिकी जाती है। रहा है, उतन्गही उसमें झाग बढ़ना और ताड़ो रूपम ताड वृक्षक उड़भाग जो कच्ची कच्ची पुष्पित शाखा परिणत होता रहता है। दिनाचहें बाद म फनयत वा फलते हुए उठन निकलते हैं, उनके मिका अच्छो वन र रमको पोनी नगा होता है। नरह छोल कर रस निकलने के स्थान में एक आधारपान मरेय ( मरि ) (Carrot Irems) - इसको लाडो बाँध दिया जाता है। अकमर की लोग रोज सुबह मन्द्राज प्रदेशामें अधिक प्रचलित है। इसी १५ से २४ उमे खोल कर उसका रम दूमर पात्रमें ढाल कर ले जात वर्ष तक पड़मे मन्द्राजो लोग रम निकाला करते हैं। हैं और पूर्ववत् डंठन्नीको छोल कर पात्र बाँध देते हैं। ग्रीष्मऋतुम । इमसे अधिक रम निकलता है । एक एक इम तरह जब तक उन डंठलौका मुन्न तक न कट जांय पैडमे २४ घण्टे में एक मनमे भो ज्यादा रम प्राप्त होता तब तक वे छोले जाते हैं। माधारणतः आश्विनमे है। पेटको काट देने पर भी एका महोने तक रम निकलता वमाख माम तक ताड़ वृक्ष काट कर रस निकाला जाता रहता है। ताजा रस खानमें बहुत मोठा लगता है, है। भारतमें मवत्र हो ताड़से रस निकाला जाता है, किन्तु थोडी देर तक र वनमे उसमें झाग आ जाता है जिममें दाक्षिणात्यमें कक अधिक । ताद देखो। ओर वह तीब्रमादकतापतिविशिष्ट ताडोमें परिणत ___ अकसर करके पासी लोग रममें थोड़ीसो पुरानी हो जाता है। दक्षिणमे ब्राह्मणाक मिवा अन्य जातिक कालो वा फेनयुक्त ताड़ी मिन्ना देते हैं, जिससे उस अधिकांश लोग डम ताड़ो को व्यवहारमें नात है। एम- रसमें मादकताशक्ति बहुत जल्द बढ़ जाती है। को पानसे में रेय ( Hin) बनता है। . ताड़का रस वा ताड़ो साधारण लोगोंको मशा करने नारियल। जैसे ताड़-वृक्ष फलते हुए डंठलोको का सहज उपाय है। इससे गवर्मेण्टने प्राबकारोमें छोल कर उसमेंमे रस निकालते हैं, उसी तरह नारिकेल हामिहोते देख, एक बार बंबई गवर्मेण्टन खजर और • Rombay Gazetteer, Vo ,ll p. 86.