पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष नवम भाग.djvu/३८०

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३७६ प्रवाहका पुन: पुन: दिक-परिवर्तन करके इस गतिको समग्र शून्यप्रदेशमें व्यास है। चुम्बकके चारों तरफ रस धूण नमें परिगत किया जा सकता है। प्रचल ताडित- अदृश्य सर्व देशव्यापो पदार्थ में भो ताडितके शुद्ध भावतं प्रवाह तारके कुछ अगामि प्रवाहित हो कर शक्तिशाली विद्यमान हैं । वहाँ लोहेको ले जानेसे वे प्रावत सोहमें चौम्बर प्रदेशको मृष्टि करता है। उम प्रदेशमे तारक ा कर, उममें चुम्बकत्वको उत्पत्ति करते हैं, अर्थात् उन अन्य दम तरह मजे हए रहते हैं, कि उम में प्रवाह पावर्ती के वेगमे लोहे को पाणविक अक्षरेखाएँ निर्दिष्ट प्रवाहित होतं को वर तेजोमे घूमने लगता है। उममें दिशाको घूम जाती है। माथ बई बई चकों को जोड देनेमे, वे भो घूमा करते ताडित-प्रवाहका संकमण |-अपर कह चुके है, कि हैं। माधारण वाष्पोय एञ्जिनमे जो कार्य होते हैं, इन चोम्बक प्रदेशमें ताड़ितप्रवाहको इच्छानुमार नहीं तरहा ताडित के एञ्जिनमे भो वे कार्य हो मकते हैं। रक्खा जा मकता। वह अपने मे हो एक निर्दिष्ट पव- वाष्पीय एनिनका कार्य तापमे उत्पव होता है स्थानको ग्रहण कर लेता है। वह अपने श्राप जिस तरफ जा कोयने जननिमे होता है। विजनो के एन्जिनका जाना चाहे, उम तरफ उसे बेरोकटोक जाने दो। कार्य भो तारितणक्रिम उत्पन होता है और वह कोष के देखोगे-प्रवाह चलते चलते कुछ क्षोण हा। मानो मध्य गन्धकद्रावक हारा जम्ता जलानमे मिन्नता है। प्रवाह जिम तरफ चलता था, उससे विपरीत दिशामें गन्धकद्रावकके माय जम्स का मम्मिनन, माधार । दाहन- दूमग एक प्रवाह उत्पत्ति हुई और उसने पूर्वतन प्रवाह. क्रियामे मूलतः अभिन्न नहीं हैं। कयने को अपेक्षा को क्षोगा और दुवैल कर दिया। प्रवाह जिम तरफ जस्ते में खर्च ज्यादा पड़ता है. एमलिये नातिका एचिन जाना चाहे, उस तरफ उसे मत जाने दो, बलपूर्वक वाप्पोय एन्जिन का स्थान ग्रह नकारा है। उसे उलटो तरफ लोटा ले चलो। देखोगे-प्रवाह और नाति व पायलम्बरका सम्बन्ध । . चम्बक- भो कुछ प्रबल हो चला है। मानो इमरे एक नये प्रवाहने के माथ ताडित प्रवास के हम माधर्म्य को देख कर दोनों उत्पन्न हो कर उसके प्रवाहको बढ़ा दिया है। चौम्बक को प्रतिगत अभिवता की बात मह नसो मनमें जगह प्रदेश में गति के प्रभावमे इसी प्रकार ताड़ितप्रवाह कभी अन्दा लाई प्रत्येक प्रणके चारो क्षोण और कमो प्रबल होता रहता है: अथवा म छोर तरफ ताड़ितप्रवाह म रहा है। अनमान करनेमे पर वा उस कोर पर नवीन प्रवाह उत्पन्न हो कर वत - दोनोंमें यह मादृश्य खूष मिना है। विविध युक्तियाँ मान प्रवाहको घटाता यः बढ़ाता है। चोम्बक प्रदेशमें इस अनुमानका समर्थन करतो हैं। वस्तुतःलाहमात्रका गतिक प्रभावमै दम नवोन प्रवाहको सृष्टिका नाम है- (चाई उसमें चुम्बक हो, चाहे न हो ) प्रत्येक अणु ताड़ितप्रवाहका संक्रमगा । माइल फारादेने इसका ताडितका एक एक क्षुद्र पावत स्वरूप है। गोला जैसे अाविष्कार किया है। जो तार वा परिचालक ट्रय एक अक्षरेखा के चारों तरफ घूमता है, पृथियो, जेसे चौम्बर प्रदेशमें घूम रहा है, उसमें ताड़ितप्रवाह बिल्कुल अपनी अक्षरेखाके ऊपर आवर्तन करती है, प्रत्येक न होने पर भी उता गसिके प्रभावसे नवोन प्रवाहका आणविक ताडित पावनै भो उमो तरह एक एक पनका आविर्भाव होता है। वह जब तक चलता है, प्रवाह अवलम्बन कर उमके चारों तरफ हमेशा घूम रहा है। भो तभी तक रहता है'; गति बन्द होने पर प्रवाह माधारगा लोर-पिगड में यह अक्षरेखाएं इतस्ततः विभिन्न भो बन्द हो जाता है। तारको चुम्बकके पाससे ले दिशामों में विक्षिप्त होती हैं, परन्तु चुम्बकमें ये अक्षरेखाएं जानमे जो फल होता है, चुम्बकको दूरमे तारके पास प्रधानतः एक हो दिशाम रहता हैं। सिर्फ चुम्बक के लाने पर भी ठीक वहो फल होता है। ताड़ित प्रवाह भीतर ही नहीं, बाहर बोम्बक प्रदेश में भी ये पावत सम विषयों में चुम्बकके समान है; इसलिए तारके पास विद्यमान रहते हैं। हम जिमको शून्य कहा करते हैं, मसा एक प्रवाह उपस्थित करनेसे भी ठोक वैसा हो वास्तव में वह शून्य नहीं है। कोई एक अदृश्य सामग्री फख होगा। गतिक प्रभावसे नये प्रवासका पाविर्भाव