पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष नवम भाग.djvu/३७३

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३६९ ताडितका सचिलम होता है। ममिलन के बाद फिर ताडित पतासे लगे हुए मोग सूतके हारा पा कर उनको उछ तिमें वैषम्य नहीं रहता, पौर न परिचालकके अंगुलियों में स्फुलिङ्ग देने लगा था । अन्यान्य परीक्षामों बोचमें खिचाव ही रहता है। हारा उन्होंने मेघ ताडिन पोर यन्त्र के ताडिमें एकता इस तरह परिचालक किन हो कर दोनों साड़ित- : प्रमाणित को थो। वास्तवमें विद्युत् माडित का सरत् का मेल होने पर विविध उत्पात होते हैं। अपरिचालक स्फलिङ्ग मात्र है पोर यजध्वनि तदानुषणिका वायुका यदि वायवोय ट्रम्य हो, तो वह महमा रतना उत्तम आकस्मिक उत्ताप पोर प्रमाजनित शब्द मात्र है। पौर प्रमारित होता है, कि उममें से अग्निस्फुलिङ्ग निक- लार्ड केलविन द्वारा पाविष्क त उहतिमान यन्त्रको लते और शब्द होने लगता है। काँच, कागज, लकड़ो। महायतःसे देखा गया है कि जमानके अपर वायुमण्डल- वा कठिन पटा में हनिमे वह टूट या फट जाता है। में प्राय: मवत्र ताड़ित का थोड़ा बहुत खिचाव है। वायु बोच में बारूद की तरहका दाद्य पदार्थ होनेसे वह रहित मेघ प्राय: सबदा हो ताड़ितयुक्त रहता है। जलने लगता है। कोई जोव-शरोर हो तो उसमें प्रचण्ड पानौसे भापका होना और वायु के माथ घर्षण हो शायद पाघात लगता है। इस ताड़ित-विकाश का कारण है। शुद्र क्षुद्र पदृश्य जल. ताडितमें स्फुलिङ्ग, भानुषङ्गिक शब्द और प्राघात कगा जब जम कर हसर जल-कपाका पाकार धारण आदि इमो तरह हुश्रा करते हैं। करते और मघको सृष्टि करते हैं, उस समय उम ताडि बड़े बड़े ताड़ित-यन्यांको महायतासे ये सब खेल तका परिमाप थोडा होने पर भी उसक त बहुत आसानोसे दिखाये जाते हैं। पालोक, शब्द, प्रादि उत्पन ज्यादा हो जाता है। जमीन पर वा पाच वर्तो मधमें करके विविध कोगन में तरह तरह के तमाशे दिखाये जा पहले से ताड़ित न होने पर भो पूर्वोक नियमानुमार सकते हैं। लोडन जारको बेटरों में बहुत ताडित सचित विपरोत त डिनका संक्रमण होता है । उड,निका वैषम्य करके उस ताड़ितमे ऐमे मञ्चालन हारा नाना प्रकारके बोर नाडितका विचाव बहुत ज्यादा हो जाने पर आचर्यजनक कार्य किये जा मकते हैं। बहुत से लोगोंको मध्यस्थ वायुराशिको किव कर के उनमें प्रकाण्ड ताड़ित- एक दूपरेका हाथ थमा कर खड़ा करके, एक लोडम- स्फ लिङ्गको उत्पत्ति होतो है, माय हो गर्जन आदि भो जारकं ताडितसे श्राघात करनेमे सबका शरीर काँप होतो है। उठना है। (३) सहवर्ती विपरोत साड़ित यदि अत्यन्त दूर हो, बड़े बड़े कांच के नलों में थोड़ा थोड़ो अक्सिजन. हार. तो ताड़ित के लिए मध्यस्थ व्यवधान को भेद कर उसके ड्रोजन आदि विविध वाय, भर कर, उसमें इस तरह माय मिलना कठिन हो जाता है। किन्तु एसो हालतमें ताडित सञ्चाम्मित करनसे नाना प्रकार के विचित्र वाँके भो किसो एक चीन के ऊपर इच्छानुसार ताडिका बालाकोंका विकास होता है। इन गानोकोका विकाथ मश्चय नहीं किया जा सकता। पृष्ठदेश पा जहाँ जहाँ अत्यन्त मनोहर होता है। विचित्र आकारक मल बना ऊँचा, कुम, च्यग्र स्थान वतमान है, अधिकांश कर नाना प्रकारके उमदा उमदा खेल-तमाशे दिखाये जा बिजलो उन्हो स्थ नाम पा कर जमतो है और चारो पोर. सकते है। ऐसे नल को गैसलरका (Geissler ) मल को बिजलो उसको धक्का देतो रहती है। इस तरहके कहते हैं। धर्क देते रहने से बिजलो उन स्थानों में वायु पथमे निक वच विधु के साथ ताडित-यन्त्र में उत्पन्न अग्निल्फ : लना चाहता है । वायु के भो अपरिचायक श नष्ट हो लिज और उसके प्रानुषणिक कार्याका साहस देख कर जाति है। वायुका हर एक कणा उम मश्चित साडिन मे वैचामिन् फ्रारलिनने पनुमान किया है कि दोनों ही कुछ कुछ ग्रहण करता तथा विलष्ट और विधिन हो कर एक हो कारबसे उत्पन होते हैं। उन्होंने पता उडा जो उदति कम है, वहाँम चलता रहता है। इमो कर उसमें मेषस ताडितका सामना कराया था, वह प्रकारसे वायुमें प्रवाह उत्पन होता और वायुपथ से वायु- Vol. Ix.98