पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष नवम भाग.djvu/३७०

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३६६ का जेसेस नहीं है, वैसे ही मष्टि भो नौं है। एक : चारो पोर जहाँ जहाँ परिचालकवी पोठ, rat जगइसे कुछ धन ताडितको हटा कर एकत्र मञ्चित । कुछ कुछ ऋण-ताडितका विकाश होगा। नोवे मैदान- करनेसे अन्यत्र किसी न किमी जगह ठोक उतने ही ऋण में जमोन पर कुछ दूरवर्षी वृक्ष वा पहाड़ पर किचित् का पाविर्भाव और विकाश होता है। योगफल शून्य उपरिस्थ पाकाशमें एक मेव होने में उसके गावमें भो यत् को रहता है। माइकल फरादे इस मतक प्रतिष्ठामा है। किञ्चित् करा-ताडितका पाविर्भाव होगा। किन्तु यदि एक टानक या अन्य किमा धा के अकमको भूमिमे जगतमें जहाँ जितना ऋण ताडितका ऐमा आविर्भाव अलग कर अर्थात अपरिचालक द्रव्यमें परिवृत करके उ.- हुआ है, उसको एकत्र मग्रह कर रक्खा जाय, तो उस- के भीतर एक धन ताडित्युक गोला लटका दो। चकम को मष्टि उR सूत्रलम्बित गोले के पृष्ठदेशवौ धन- के बाहर के हिसा पर धन ताड़ित और भौताके हिम्म में ताडितको अपेक्षा जरा भो धमतो या बढ़तो न होगा। ऋण ताडितका विकाश होगा। विखित संक्रमण हो ऊपर जो टीनके बकसका उम्मे किया गया है. उम के दमका कारण है। बकमके बाहरी हिम्मको कनर्म भोसर धन-ताडित ले जानसे बाहर हिस्स में धन भोर वहाँका धन ताड़ित तत्क्षणत् शरीर के मध्यमे चला जाता मौतगे सिम्म में ऋण ताडितका प्राविर्भाव होता है। है। अभ्यन्तर गोलाका धन और बकम के भीतरो हिम्म . किन्तु बक मर्क भीतर यदि रेशम पर कोच घमा जाय, में लगाताडित वर्तमान रहता है। तड़िहीक्षण हाग मोकांची धम-ताडितका विकाश होता है, किन्तु बकास बारमें कहीं भी काई ताड़ितक्रिया देखने में नहीं पाती. के बाहरो हिम में किसी भी साड़ित का चिह्न नहीं भोतरके गोलेको सहमा बाहर निकाल लेनमें ऋण- ' मिलता। कांचमें जैसे धन का विकाश होता है, वैसे ही ताडित भो माथ ही माथ बकम के अन्तःपृष्ठ मे बाहर के . रेशममें साथ माथ ऋणका विकाश होता है। काँचमें प्रष्ट में पा कर पडता है और डिहोसणसे पकड़ा जाता जितना धन उत्पन होता है रेशममें ठोक उतना ही ऋण है।ौर गोलेका यदि निकालमेमे पहले बकस के गात्रमे । उत्पन होनसे बाहर कोई फल नहीं होता। स्पश कराया जाय, तो बाहर निकालने के बाद गोला ____ साडितकी प्रकृति । पहले हो कह चुके हैं, कि ताड़ित अथवा बकसमें कहीं भी किमी तास्तिका लेशमात्र नहीं पदार्थ क्या, शक्ति है या धर्म, इसका अभी तक कुछ मिलता। प्रमाणित हुा कि, गोलामें जितना धन था, " ' निर्णय नहीं हुआ । ताड़ित के स्वरूपनिर्णयमें प्रवृत्त होने बकसके भीतर भी उतना ही ऋगा का प्राभित्र इमा। पर इस बातको याद रखना चाहिये। ताड़ित कोई भी था , नहीं तो दोनोंका योगफल शून्य नहीं होता। । पदार्थ क्यों न हो, जगत्में उसकी न तन सृष्टि वा ध्वम __ जिस कोठरोके भीतर में बैठा है. उसको एक बरुत् नहीं है। शुक्ष धन वा शुद्ध ऋण-ताडितका हम किसी परिचालक बकसके ममाम समझ सकता हूं। कोठरी के बाद भो सञ्चय नहीं कर सकते। कुछ धन ताड़ित किसो भीतर किमो जगह कुछ धन-ताड़ित रनमे कोठरो । जगह किमो उपायसे सञ्चित होने पर ठीक उतना भोसर दोबारा पर ठोः उतने ही ऋण-ताडितका हो ऋगा-ताड़ित साथ ही माथ किसी न किसो जगह पाविर्भाव होगा अर्थात् चारो ओरको दोवार, नोचेकी । पाविर्भूत होगा। और रमी तरह कुछ धनका किसी जमोम पोर जपरको छत पर मर्वत्र थोड़ा बहुत ऋण- स्थानमें लोप होनेसे ठोक उतने ही ऋणका साडिसका विकाश होगा, सबको एकत्र करनेमे ठोक अन्यत्र कहीं लोप होगा। योगफल समान हो पभ्यन्तरख धन-ताडिसके साथ परिमाणमें मामान होगा, रहेगा। धन-ताड़ित सिर्फ समपरिमाण ऋण ताडि जरा भी कम वा ज्यादा न होगा। तसे पृथक होता है। पानी जिस तरह दाब पहुंचता है, कोठरोके भीतर न मुला कर यदि खुले मैदान में बिजलो उसो तरह उन ति उत्पब करती है। धन-साहित धन-ताड़ितयुत एक गोला लटकाया जाय, तो इसके तक जितने पास, जापोगे, उतनो को छाति पथिक