पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष नवम भाग.djvu/३६५

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साति लक्षादण्डको फलालन पर घिस कर अथवा रबरको उपाय होता है। कोई भी ताडिताकात पदार्थ उसके कंगो बालों पर धिम कागजोंके टुकड़ों के ऊपर पास पाते हो, सालाका टुकड़ा उसको ,सरफ पारष्ट थामनसे भो ऐसा होता है। काँच, नाक्षादण्ड वा होगा। एक काँचको बोतल में डाट कस कर, उसको के गोके उस प्रकार घर्षणके फलसे किमो प्रकारको डाटमें सुराख कर उसमें एक पोतनको सोंक विरो देवे । विक्कति नहीं होती। धमनसे परले कागज देखनमें जैसा सोंक का एक छो। बोत नके भोसर भोर एक बाहर रहना था, बाद में भो ठीक वैमा हो रहता है; किन्तु न मालम चाहिये। जो छोर भोतर रहे, उस पर दो सूक्ष्म हलको उममें एक न तन क्षमता वा धर्म कहांसे त्रा जाता है। मान वा तामेको पत्तियां लपेट देवें । रम यन्त्रको ताड़ित- यह नवाविभूत आकर्षण शक्तिविशिष्ट कोच-दण्ड और निरूपक वा डिहोक्षणयन्त्र कहा जा सकता है। काँच लाक्षादण्डको ताहित-धर्मान्वित कहा जा सकता है। इस वा लाख या अन्य कोई पदार्थ में ताडितका विकाश न तन पाविभूत धर्म का नाम है ताहित-धम । होने पर उस पदाथ को बोतल के बाहरको मौंकके कोर ताडित-विकाशके उपाय --काँच, रेशम और लाख पर पर थामनसे हो अन्य प्रान्तस्थ दोनों पत्तियां अलग अलग पशम घर्षण करनेमे बहुत आसानोमे ताड़ितधर्मका विकाश हो ज यंगो । दोनों पत्तियों में परस्पर विकर्षण होगा। होता है। माधारणतः विभिन्न प्रतिमम्पब किसो भो बम विकर्षणका विषय पोछे और भो विशेषरूपसे कहा दो पदार्थीको परस्पर विमनसे न्यूनाधिक मात्रामें ताड़ित- जायगा । का विकाश हा करता है अथवा घर्षणका भी प्रयो- ताड़ित दो प्रकार का है। जिस तरह रेशम पर काँच जन नहीं होता। इटली-निवामो बोनटान पहले पहल । धिम कर उस कांचको तडिहोक्षण पाम थामनेमे पत्तियों देखा था कि दो धात-द्रव्योंकि परस्पर मस्पर्श होनसे हो अलग अन्नग हो जाता हैं, उमो तरह फलालेन वा पयम दोनों में ताड़ितधर्मविकाश होता है। हों, इसमें विकाशको पर लाख धिम कर उR लाखका तड़िहा सण के पास मावा सर्वत्र ममान नहीं होता है। यह ठोक है माधा. थामनमे भो पत्तियाँ पन्नग अलग हो जाती है, अर्थात रणतः यह नियम निर्दिष्ट किया जा सकता है, कि दो कॉच और लाख दोनाम हो ताड़ितधर्म के विकाशका विभिन्न रामायनिक प्रश्नतिमम्पन्न द्रव्यांको परस्पर छुपा प्रमाण मिलता है। किन्तु ऐमो अवस्थामें यदि कॉच और देनेमे दोनों हो तारितधर्माक्रान्त होते हैं। स्पर्श हो जहाँ लाख दोनों को एक साथ यन्त्र पास थामा जाय, तो पत्तियाको उम तरह अलम अलग होते नहीं देखा जाता। ताडिन-विकाशके लिए यथेष्ट है, वहाँ दो द्रव्योंको घसने- मे विशेष फल होगा, यह निश्चित है। कांच और लाव दोनों में ताड़ित के विकाश हुए है, किन्तु स्पर्श और घर्षणके मिवा अन्य नाना कारणोंसे अब परस्पर विरुद्ध धर्माक्रान्त हो जाते हैं। पृथक भावसे ताडितका विकाश होते देखा जाता है। प्राघात प्रयोग दाना जो कार्य करते हैं, एकत्र होनमे परस्पर उम और तापप्रयोगर्म ताडितका विकाश देखने में पाता है। काय में प्रतिकूलता करते हैं। सूतमें कांच और लाखके बहुतमे जोव-शरोमि ताड़ितका विकाश होता है। वे टकड़ाको बाँध देनमे माग्न म होगा कि, दोनों पाक पामरक्षाकं लिए उस नाडितका व्यवहार करते हैं। षित हो रहे हैं। दो काँचके ट कडीको रेशम पर घम जलमें वाष्प होते समय ताडितका विकाश होता है। कर टांग देनसे देखेंगे कि, दोनों में पाकर्षगा न हो कर इसके अलावा जो 'ताड़ितप्रवाह उत्पन्न करने के उपाय विकर्षगा हो रहा है । और लाखके दो टुकड़ोंको पशम है, उनका उल्लेख पाग किया जायगा। पर घम कर सतसे लम्बित करनेमे दोनों में परस्पर विक- र्षण होते देखेंगे। प्रतएव मालम होता है कि- ताडित-निरूपणका उपाय -साडितका विकास हुचा ) काँचका ताडित काँचके साडिमको विकषि न ' या नहीं, इसके समझनके लिए विविध उपाय करता वा धक्का देता है। है। एक सोसाके टुकड़े पर एक सूतको सम्बित (२) लाखका ताडित लाखके तापितको विकर्षित करकेथामनेही मषमें ताशितःनिपलका उमदा करता वा धका देता। Vol. Ix. 91