पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष नवम भाग.djvu/३४९

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तोतिया सोपी बजानका पादेश दिया। पदातिकगण सभी थक गये थे, पार न हो सके, इसके लिए विशिष बन्दोबस्त किया गया उन लोगोंने तात्याका पादेश प्राध नहीं किया । पखा था। सौतिया अन्य किसी भी तरफ जानका मोका न देख गेही पौर गोलन्दाज मम तैयार हो गये। दूसरे दिन एक कर पश्चिमको पोर पा कर कान नामक स्थानमें पहुंच छोटा बुद्ध हुआ। किन्तु दुर्भाग्यवश तात्याको सेनाको . गये। इधर मेजर सादनण्ड उनको गति रोकने के लिए पाठ दिखाना पड़ो। धोरे धोरे तात्या चम्बल नदोको भिलवन पा पहुँचे। ताँतिया देरो न कर नर्मदाको पार हो कर झालरा पाटनको तरफ बढ़ने लगे। तफ अग्रमर इए। छोटा उदयपुर नामक स्थान झालरापाटम एक प्रमिज देशीय राज्यको गजधानी है। पहचते हो विग्रेडियर पार्कोन पा कर उनकी सेना- तात्याने अनायास ही उक्त राजधानो पर अधिकार कर को परास्त कर दिया। इससे बाँसिया भग्मादय हो अधिवासियोंसे करवरूप ६ लाख रुपये वसूल कर लिये। कर बॉमवाड़ाके धन जगलको लौटने लगे। उन्हें अब इसके सिवा राजकोषसे भो रनको प्रायः ४ लाख रुप' यह उम्मेद न थो, कि वे फिर ब्रटिशगवर्म गट के विस्त पस ये की चीजें और ३० तोपें मिलों थो। यहाँ उन्होंने चलावेंगे। किन्तु अकस्मात् प्राशाका नोण-पालोक दिख- बहुत थोड़े समयके भीतर बहुतसो नई मेना बना लो। लाई दिया। मवाद मिला कि, कुमार फिरोजशाह प्रयो. अब तात्यातोपो मेन्यवान और अर्थ बलमे विशेष बलो. ध्यासे पा रहे हैं। इन्होंने उमका माथ दिया। वे जिम यान् हो गये । इन्दोर पर उनका लक्ष्य गया। महाराष्ट्र : जालमें फंसे थे, अब उस जालको तोड़ने के लिए उन्होंने एक मात्र ही नानामाहब को पेशवा मानते थे। तात्याको . बार शेष मम्तक उठाया। प्रतापगढ़के गिरिमाहट को मैद विखास था, कि इन्दोर अधिकार और लेनेमे तथा नाना कर उन्होंने मेजर रोकको ममैन्य परास्त किया। कर्नल साहबका नाम घोषित होने पर होलकर राज्य के सम्म बेनमनने मालवा मे यह संवाद पा कर जोरापुरमें तांति- लोग पा कर उनको सहायता करेंगे। किन्तु उनके याको सेना पर प्राक्रमण पूर्वक काथा कोन लिये। सेनापतियोंमें परस्पर वैमनस्य होने से उनका यह उद्देश्य ताँतिया इन्द्रगढ़ नामक स्थानमें पा कर फिरोज- मिह न हुा । तात्यातोपो पर पाकमण करने के लिए शाइके माथ मिल गये। इस समय दोनों पक्षोंको बुगे हाम्मत म्नखार्ट, होप.गौर मेजर जनरल माइकेल मेना महित हो गई थो, किन्तु दोनों दलकि मिल जाने पर कुछ कुछ राजगढ़में उपस्थित हुए । साँनिया कौशलो और बुद्धिमान् प्रथाका मञ्चार हा । वे द्रुतवेगमे मालवा हो कर होने पर भी वसे साहमो न थे, युद्ध के ममय वे प्रायः रण. राजपूतानाके उत्तरांगको धावित हुए। उधर कमल हस- क्षेत्रमें उपस्थित महोते थे, इसा दोष के कारण उनकी मेना मेसने नसोराबादमे २४ घण्टे के भीतर.२६ कोस रास्ता उनको कायर ममझ कर घृणाको दृष्टिमे देखतो थो। पार कर शोकर मामक स्थानमें विद्रोहियों पर पाक्रमण इसो दोषसे विपुल सेना और सहायक होते हुए भी वे किया। इस पाकस्मिक आक्रमणमे तांतिया अत्यन्त बार बार अग्रे ओंमे पगजित होते पाये थे । भोर भवको विचलित हुए। उन्होंने भग्नीत्साह हो कर कुछ पनुच- बार भी वे इसो दोष के कारण पराजित हो गये। उनको रोके माथ चम्बल नदी पार करते हुए सिरके निकट- मेना तितर बितर हो गई । कुछ दिन तातिया जंगलों में । वर्ती निविड़ जंगल में प्रवेश किया। जंगल में मानसिक घूमते रहे । अन्त में उन्होंने अपनी सेनाके दो विभाग कर ! माथ उनकी मुलाकात हो गई। मानसिंह मिन्धियाके दिये, एक दल रावसाहबके पथोन उत्सरको तरफ भेज अधीन एक सामन्त गजा थे. सिन्धियाने उनकी ममस्त दिया और एक दलको वे अपने माथ ले कर दक्षिणको सम्पत्ति छीन ली थी। इमो लिए वे दस्य बत्ति कर जग- पोर चल दिये। लमें हो जोवन यापन करते थे। साँतियाके माथ उनका तात्यातोपो नर्मदा मदोको पार हो कर दाक्षिणात्यको हा कर दाक्षिणात्यका पूर्व परिचय था। उन्होंने सात्यातोपोको पादाके माथ 'सरफ पपसर हो रहे है, यह सुन कर बम्बईके गवर्नर पाश्रय दिया। भीत पोर पविताए। जिसने तातिया नर्मदा नदी पर सेनापति नेपियरने मेजर मिडको मानसिंह Vol Ix. 87