पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष नवम भाग.djvu/३४८

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३५४ बाँत-तिया बोपी मैकड़ों लोग धर्माधाक्षको मेवाम उपस्थित हा करते हैं। हुए थे । रानीने माथ हटिग मेनामा जितनो दफा बुद्ध साँत (हिस्सो .) १ चमड़ या नमाको बनो हई हुपा था उन्होंने प्रत्येक युद्ध में गनाको ययेष्ठ सहायता डोरो । २ धनुषको हो । ३ मृत, रो। ४ मारंगो को यो । काम्पो पंग्रेजोंक हाय पड़ने के बाद गोपाल. आदिका तार । ५ जनाई का रांच । पुग्में जा कर इन्होंने रानोमे भेंट को और ग्वालियर पधि. तातड़ो (हि. म्योः ) सति। कार किया। यहां उन्होंने बहुत धन एकत्रित किया था। साँसवा (रि .) यात उतरनका रोग। अंग्रेजो सेनाने आ कर जब ग्वालियर अधिकार कर मामा (जि. प.) येणो, पनि. कतार । लिया ओर झोमो को वोर रान। जब गत्र को गोनोमे साँतिपाडा-१ बीरभूम जिलेमें हरिपुर परगर्नका एक मारो गई, तब तौतिश एक तरहमे निरुत्साह हो गये । क'टा ग्राम । यह नगरमे कई मोन दक्षिणमें अवस्थित परन्तु माथमें बहुत मेना और अर्थबल होनसे ये नाना- है। यहाँ बहसमे ताती रहते हैं। जो तमाके कपड़े माहबका नाम ले कर दाक्षिणात्यवामियों को उत्तेजित नशा मते तैयार करते हैं। हम गोवके पूर्व और पश्रिम करने में अग्रसर हुए । इटिश गवर्मेण्ट भ इससे बहुत डर को ओर प्रायः २००१४०० गज विस्तृत पत्थरका ए गई थो। बड़े लाटके पादेशानुमार सेनापति नेपियर प्रमिह बाँध है और इममे भो एक मोल दक्षिणमें बकेवर तोतियाको पकड़ने के लिए अग्रगर इए। तान्याने गव नामक कई एक गरम मोते प्रवाहित है। बकेश्वर देग्यो। साहब के माय चर्म गवतो नदो को पार कर राजपूतानाम २ मालदा जिने के भट्टिया गोपालपुर परगनेका एक प्रवेश किया। उनको इच्छा था, कि राजपूत राजाको छोटा ग्राम। यह महानन्दा नदों के ममोप हो अवस्थित उत्तेजित कर अ'ग्रेकि विरुद्ध युद्ध घोषणा करे। किन्तु है। यहाँ बहतमे मनुथ वाम करते हैं । इमो कारण यह राजपूतानामें दो एक जगह विद्रोहके चित्र दोखने पर पगगन में विशेष प्रमिड है। भो तांत्याका अभिप्राय सिद्ध न हुआ। जयपुर की तौतिया (हि. वि. ) जो ताँतको तरह दुबला हो। इन्होंने चर भेजे थे, वहाँमे विशेष सहायता पानेका सुभोता तांतिया तोपो ( नात्या टोपो)-मिपाहोविद्रोहके नायक हुआ था, पर बात प्रकट हो जानेमे नसोराबादसे स्वार्ट प्रमिड नानामाहब के प्रधान मन्त्री और पृष्ठपोषक । माहब दो हजार सेना के साथ तांत्याको गतिरोध करने के मिाहो- विद्रोह (मन् ५७का गदर) के इतिहाममें नाना- लिए आ पहुंचे। तात्या अपनो फौजके साथ नर्मदा माहबने जैसी प्रसिद्धि लाभ को है, तातिया तोपोको नदो पार होनेके अभिप्रायवे टोकके भोतरसे धावित प्रमिति भी उनसे कुछ कम नहीं है। कानपुर के विद्रो हुए। उस समय चम्बल नदी का पानी इतना बढ़ा इमा समें तांतियाने जैसे मारस और वीरत्वका परिचय था, कि उनको सेनाको उमे पार करनेको हिम्मत न दिया था, उममे उस समय के मेनापति उगडहाम, हुई। इसके लिए वे पश्चिमको तरफ बुन्दोगिरि पार हुए। कलिन प्रादि बहसमे अंग्रेज भोत और चकित हो गये उम ममय राजपूतानेको सभी नदियाँ उहलित हुई थी। थे। इन्हों के उत्तेजित करने पर ग्वालियरको बड़ो इतने पर भो रवाट साहबने उनका पोछा करना छोड़ा कोजने सिन्धियाका पक्ष छोड़ कर विद्रोह किया नहीं। भोलवाड़ों के पाम रवार्ट को एक बार सांयाको था चौर चर्खारोगजको विशेषरूपमे विपदग्रस्त कर दिया मेना दीख पड़ो थो, किन्तु शोघ्र ही वह पांखोंके बोझल था। जो मेना पा कर गदि गजाको महायान हो गई। बनास नदोके किनारे पर पहुँच कर रवाट करती तो शायद उस समय चारोगज्यका अस्तित्व ह. तात्या पर अाक्रमण करने के लिए तयारियां करने लगे। मिट जाता । जिम ममय झॉमी को रानो अपने पामित्र वहाँ तात्या तोपो भो निषित न थे, वे मेमाको भोशियार हारा परित्यक्त हो कर तथा अग्रेज मेनापतिके प्रबल करके स्वयं पासके देवालयमें पूजाके लिए चले गये। पाक्रमणसे अत्यन्त विपद्ग्रस्त हुई थी, तांतिया तोपो उस पाधो रातको पा कर उन्होंने सुना कि शत, लोग बहुत समय मेमा सक्षित रानीको सहायताके लिए उपस्थित ही पारा गयेरस पर सकोने मोनही