पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष नवम भाग.djvu/३३७

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संसार मलिका ताहा तलसारक ( संसो .) तले मारो वल' यस्थ, बहुव्रो. . एक सुन्दर तालाब है। उस तालाब का जल अत्यन्त कप । घोटकवा वक्षस्थलबन्धन रखा. वह रसो जो निर्मल है। पहाड़में कहीं कहीं कन्दरा भो है। पहले घोड़े को छातीमें बंधी रहती है। इसके संस्कृत पर्याय- उकन इन्हीं कन्दराओं में छिप कर रहते थे। १८२३ वक्रय और तलिका है। किसो किमो पण्डिसके मतमे ई. तक भी उनमें डकैतोंका रसमा देखा गया था। इसका अर्थ घोटकका प्रवभोजनपात्र है अथात् वह तनाजिया गुजरातो ब्राह्मण संप्रदायका एक भेद । भव बरतन जिसमें घोड़े को खानेके लिये अनाज दिया जाता नगरमे ३१ मौन दक्षिण तलाज नामका एक ग्राम है। वहींसे इन लोगोंका निकास हुआ है, उमलिये ये सला. तलस्थित (म० वि० ) तले स्थितः, तत्। जो नीचे . जिया नाममे प्रनिह है। पाज कन ये लोग विशेष रूपसे रहता है। दुकानदारी मे गुजारा करते हैं। नासिक, बम्बई, जम्ब · सलहटो ( हि. स्त्री० ) पहाडको तराई, घाटो। मर और मरत आदि जिलों में ये अधिक संख्या में पाये तनहारि-मध्यप्रदेश के रायपुर जिले के अन्तर्गत एक स्थान। जाते हैं। ब्राह्मण कम को अपेक्षा वैश्यकर्ममें इनको राजिममें जगपालका जो उत्कोण लेख मिनाई, उसके प्रवृत्ति विशेष देखी जाती है। पढ़नेमे जाना जाता है. कि रत्नदेवक राजत्व कान में जग- तनाड़,नामिन्न भाषामें लिखे हुए बहुतसे पद्य । इनमें पालने यह स्थान जय किया था। फिर ८६६ सम्बतक देवता पोको गशवावस्था वर्णित है। प्रतिवर्ष निर्दिष्ट रत्नपुर शासनम लिया है, कि तनहारिम जाजन्नदेव पर्व के दिनमें मस्ट्राजके दक्षिणांशवासी बहुतमी छोटी वार्षिक कर वसल करते थे। क'टो देवमूर्ति योको हिंडोले पर मुला मुला कर यह पद्य सतहदय स. क्लो०) तलस्य हृदयमिव। पदसलका गाते हैं। इनमें बहुतमे पद्य प्रलोल और बहुतसे केवल मध्यभाग तलवा। शव्दावर परिपूण है। इनमें एक पद्धका नाम चचड़ मला म स्त्री.) तल स्त्रियाँ टाप । गोधा, चमडे का है जिसको भाषा अत्यन्स मधुर है। मन्द्राजको त्रियों बल्ला जो धनुषको डोर'को रगड़से बचने के लिये बाई' छोटे छोटे बच्चे को सुलानिके लिये यह पद्य गाया बाँहमें पहना जाता है। करता है। तला (हि.पू.) १ किमी वस्तु के नोचेकी मतह. पेंदा। तलातल (स• लो०) नास्ति तन यम्योति पतलं सलादपि २ जुतक नौका चमड़ा। अतन्न । पातालभेद, सात पातालमिस एक पतालका तलाई (हि. स्त्री० ) छोटा ताल तलैया, बावनो। नाम। यहां मयदानव शिवसे रक्षित हो कर बास सलाक (प.पु.) पति पत्नीका विधान पूर्वक सम्बन्ध करते हैं। (भागवत ) पाताल देखा। त्याग। तलाभिधात स० पु० ) तलेन अभिधात:, ३-तत्। कर- तलाची ( स स्त्रो० ) तलमञ्चति अन्च क्विप स्त्रितल डाग प्रहार. तमाचा, थप्पड़ । डोष । नलनिमित कट , बत या बाँसको फठियोंकी | सन्नमणि ( स० ० ) प्रधान, मँगा। बनो हुई चटाई। तलाश (तु स्त्री० ) १ अन्वेषण, खोज, ढूंढ ढाँढ । २ सलाज-बम्बई विभागके अन्तर्गत काठियावाड भव. २ पावश्यकता, चाह, मांग। नगर राज्यका नगर । यह पन्ना० २१ २११५’ उ• तलागा (स स्त्रा० ) वृक्षभेद, एक पेड़का नाम । पौर देशा० ७२४३० पू० पर भवनगरसे ३१ मोल तन्नाशो ( फा॰ स्त्रो० , चोज वस्तु प्रादिको देख भाल । दक्षिणमें अवस्थित है। नगर चारों पोर दोवारोंसे सलाह (म० को०) तालीशपत्र देखो। . धिरा पुषा । इसका दृश्य एक छोठा दुरारोह सत्या मलिका (स स्त्रो० ) तम्त वक्षस्थलमल वन्धनस्थान- पर्वत सरोसा है। यह समुद्रपृष्ठसे ४०० फुट ऊंचा है। त्वं नास्तस्य तल छन् । सलमारक, वह रस्मो जिससे एसवी पासके एक पहारके अपर एक हिन्द-मन्दिर पौर घोरको हाती बंधी रहती है। Vol. IX.84