पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष नवम भाग.djvu/३१५

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तराजू-सरि १११ रुपये गजखमें वसूल होते थे। प्रति वर्ष के अन्त में जोत- छोन लिया गया। १९०२ में यहाँ म्य निमपालिटी दार लोग चोधरोम अपनो जोतका अधिकार स्वत्व पात स्थापित हुई है। यहाँ सेटका डाकघर, एक पुलिस थे। किन्तु प्रकतपक्षमें जोतदागका एक प्रकारका पुरु. सेशन, एक स्कूल और एक प्रौषधालय है। षानुक्रमिक स्वत्व था । तराना (फा० पु०) १ एक प्रकारका गाना। इसका बोल वृटिश गवर्मेण्टके प्रथम शामनकालमें चोधरोके हाथ से दम प्रकार का होता है-दिर दिर ता टिपा ना रे से दोवानी और फौजदारोका अधिकार ले लिया गया, ओर ! दो म् ता ना ना देरे ता दारे दा नि ता ना ना दे र ना बोर्ड ऑफ रेभिन्य से ऐसा कहा गया कि वे कड़े १० ता ना ना दे रे ना ता ना नाता ना तोम् देर सारे दा रु० कमोशन या दस्त रो पावंगे। नौ। तराना प्रत्येक रागका हो मकता है। इसमें १८५० ईमें तराईका श्राबादो मंश १० वष के कभी कभी मरगम और तबले के बोल भो मिला दिये लिये पुन: बन्दोबस्त किया गया। यह बटोबस्त केवल जाते हैं। २ बढ़ियाँ गीत । जोतदारीक माय था। पङ्गज गवम गटने ५८५ जोतक तरानान्ध (म.पु.) तर य तरणाय अन्धुरिय, प्रतिगम्भीर- ऊपर २०७३०, रु० कर स्थिर किया। कर निद्धारित त्वत्। नोकाविशेप, एक प्रकारको नाव । इम के पर्याय होनक समय गवर्म गटन जमोनको बिना नाप अंदाजन होड, बहन, बावट ओर वत्रि है। कर अदा करनको प्राज्ञा दी। तरापा (हि. पु० ) जल में तेता शरतोर. बेड़ा। तराबोर ( फा. वि. ) अाद्र खच भोंगा इश्रा। तराज ( फा० स्त्रो०) तौलनका यन्त्र सुन्ना, तखरो।। . तर मल (हि.y० ) १ छाजनमें खपरलके नोचे दिये तराण-मध्यभारत के इन्दोर राज्य के अन्तर्गत महदोपुर . जानिक मूंजी मुट्ठ। २ जुए के नोचेको लकड़ी। जिले के एक परगने का मटर । यह अक्षा० २३.२० ० तरामोरा (हिं० ए०) उत्तरोध भारतमें होनेवाला मरमों- और देशा० ७६५ पू०के मध्य तथा इन्दौर शहरमे ४४ मोल और उज्जन भूपालरेन्नवे के तरास स्टेशनसे ८ मोल- __को तरहका एक पोधा। इसके बोज जाड़े को फसल के को दूरी पर अवस्थित है। लोकमख्या लगभग ४४८.० ___ माथ बोए जाते हैं और उनसे एक प्रकारका तेल नि. है। अकबर के समयमें यह मालवाक मवा मारङ्गपुर लता है। मवेशो इमके पत्तं बड़े चावसे ग्वाते हैं। तगरा (हिं पु०)१ उकाल, छलांग। २ किमो वस्त मरकारकं महालका मदर था और नौगॉव नामसे पर लगातार गिरने को पानीको धार । पुकारा जाता था। पोछे इसका नाम बदल कर नोगाम तरालु । म पु० ) तराय तरणाय अनति पर्याप्नोति अल- तराण हो गया। ग्राम पामक बड़े बड़े सुन्दर वृक्ष लगा। नौकाविशेष, एक प्रकारको मात्र । तथा अनेक भग्नम्त प देखने से माल म पड़ता है. कि . तगवट ( फा• स्त्री० ) १ गोलापन, नमो। २ शीतलता, एक समय यह स्थान उन्नत दशामें था। अभी प्राचीन ठगडक। ३ वह आहार जिसमे शरीरको गरमो शान्त कोसियोममे केवल मुसलमानी किलेका भग्नांश रह होती है। ४ सिग्धभोजन । गया है। यह शहर १८वीं शताब्दो में होलकरक प्रधान राकाः स्त्रो०) काटनका तरोका, काट । २ बना- था। अहल्याबाई का बनाया हुआ यहाँ एक तिलभाण्डारे वट. रचना प्रकार। खरका मन्दिर है। कहते हैं कि शहरके श्राम पास जो तराशखराश फा० स्त्रो०) बनावट, काट छाँट। सुन्दर पड़ देखे जाते हैं वे बाईजोक ही लगाये हुए तराशना ( फा० कि० ) कतरना, काटना। हैं। पहल्याबाईने अपनो लड़को मुक्ताबाई को फान्म तरिंदा (हिं पु० ) समुद्र किमो स्थान पर लङ्गरके व शके यशवन्तरावके साथ व्याहा था और योतको हारा बाँध जानेका एक पोपा । उन्हें सराण शहर दे दिया। १८४८० तक यह शहर तरि (म० स्त्रो० ) नरत्यनया त-: । अब ईः । उण् ॥१३॥ . उन्होंके वशधरों के अधिकारमं रहा। पोछे राजा भाव १ नौका. नाव। २ वस्त्रादिपेटक, कपड़ोका पेटारा । फासे का चरित्र दूषित हो जाने के कारण तराणा उनसे ३ कपड़े का छोर, दामन ।