पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष नवम भाग.djvu/१६८

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तक (जि. भव्यः ) किमी वम् या शापारकी सोमा तकरोर (१० स्त्री०) १ वार्तालाप, बात चीत । २ वाता, अथवा अवधि सूचित करनेवाली एक विभक्ति, पर्यन्त। भाषण। (सी.)२ तराज । ३ तराजका पला। तकरीब (अ० स्त्रो०) उत्सव, जलमा, भोज। सकड़ो (हि.स्त्री० ) रेतीली जमीनमें होनेवाली एक तकर्करो (प० स्त्री० ) नियुक्ति, मुकरर, बहाल । प्रकारको घाम । यह मालमें ६ या ७ बार हुआ करती तकला (हि० पु.) १ सूत कातने के चरखे में लगी हुई है। घोड़े इमे बहुत चावसे खाते हैं। इसे कोई कोई लोहको सलाई, टेकुत्रा। २ सोनारीको वह सलाई चरमग और हैन कहते है। जिससे वे सिकरो बनाते है । ३ रस्मा या रस्मो बनानेको नकत् । म अव्य ) तक वा अति। अत्यन्त अल्प, बहुत टिकुरो । छोटा। सकली (हिं. स्त्रो ) छोटा तकला, टेकुरो। नकदमा ( हिं. पु.) अनुमान, अंदाज । सालीफ (अ. स्त्रो , १ कष्ट, दुःख, क्लेश । २ विपत्ति. तक टोर (प० स्त्रो०) प्रारब्ध, भाग्य, किस्मत । मुमोक्त। तकदीरवर (हि. वि. ) भाग्यवान्, जिसकी किस्मत तकलफ ( अ० पु० ) शिष्टाचार, सम्मान, पादर । पच्छोकी। तकवाना (हिं कि०) देखनका काम किसी दूसरेसे कराना सकन ( हि स्त्री०) दृष्टि, नजर । तकवारा-पञ्जाब प्रदेश के अन्तगत डेरा-इस्माइलखों तकनकर--दाक्षिणात्य और बरारप्रदेशवामी एक भ्रमण- जिलेका एक शहर। यह शहर कुछ ग्रामों को ले कर शोल जाति । ये तेलगूभाषामें बोलते हैं। पत्थर काट कर बना है और डेरा इस्माइलवासे २७ मोल उत्तर पश्चिम- चको बनाना ही रनको उपजीविका है। इसीलिए ये में, अक्षा० ३२८ उ० और देशा० ७०४० पू०में अवस्थित चक्कीवाले या चकहार भी कहलाते हैं। ये एक जगह है। यहां गन्दपूर और जाट जातिका निवास है। अधि- ज्यादा दिन नहीं रहत, जगह जगह घूम घूम कर चको वासियों में अधिकांश कृषिकार्य करते हैं। पर्वतके उपत्य- बनाते फिरते हैं। इनके एक देवता है जिनका नाम है- का प्रदेशमें १२।१४ फुट खोदनसे हो पानो निकल सटाई। तकनकर लोग इनको मृत्ति बनवा कर गलेमें भाता है। यहां रसद बहुत मिलती है। पहनते है। यह मूति हन मानको मूर्ति वैसी है। ये तकवालवाल-पेशावर जिलेका एक ग्राम। यह ग्राम फसको झोपड़ियों में रहते हैं। इनमें विवाह के लिए पेशावरसे खाईवार, जामरूड आदिके रास्ते में, बुज-र उनका कोई निसय नहीं है, कि कब करेंगे। ये गोमांम हरिसिंहसे १४ मोलकी दूरी पर अवस्थित है। यहां नहीं खात, पर मृतदेहको गाड़ते है। बहुतसे प्राचीन बोडस्त प भग्नावस्था में पड़े है। एक तकमा (Eि क्रि०) १ अवलोकन करना, देखना, निहा. स्त पको वहां के लोग, सकवालवालको 'देहरी' कहते रना।२ भाषय लेना, पनाह लेना। हैं। ये स्त प बहुत बड़े हैं। ' तकवान वालको देहरो. सकमोल (१० स्त्रो० ) पूर्ण मा, पूरा होना। की खुदाई हुई थो, उममें दो पुरुषमूति भोर एक स्रो- तकरमल्हो (Eि स्त्री० ) वह सिया जिसके द्वारा मूर्तिका बड़ा भारी मस्तक निकला है। इनमेसे एक मति भेड़ों के ऊपरसे जन काटा जाता है। बुदेवको है और एक किसो राजाको बतलाई जातो है, तकरार (प. स्त्री०) १ विवाद, हुज्जत । २ झगड़ा,टंटा। स्त्री-मुखका पाकार बड़ा विकट है। ३ धामका खेत जो फमल काटनेके बाद फिर खाद डाल तकसोम (प.स्त्री.) १ विभाग करनेको क्रिया, बटाई। कर जोता गया हो। ४ वह खेत जिसमें जो इत्यादि का २भाग, हिस्सा। तरह धमाज एक साथ बोए गये हों। तकसोर (१० स्त्री०) १ पपराध, दोष, कसर । २ चम, सकरी (म० खी) निन्दित कारोति मटीए। कुक्षि भूल, चक। तकारिणी खो, बराब चलन वासो पोरता . सकाई (f. मो०) १ देखने की क्रिया या भाव । २ देखने