पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष नवम भाग.djvu/१३६

यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

१३२ डोकर (हि.पु.) डोकरा देखो। सबसे पीछे निमणस पर पांच कर देखा कि, डोकरा (हि.पु.) अशा और वर मनुष, बुड्डा पन्चान्य जातियोंका भोजम शेष हो गया है। उसे बहुत भादमी। भूख लगी थी इसलिये उसने सभीका उच्छिष्ट भोजन डोकरी (हि. स्त्री० ) बड़ा स्त्री, बुट्टो पौरत। एकत्र कर अपनी भूख हल कर लो। उपस्थित मनुष्य डोका (हि. पु. ) तेल प्रादि रखनेका काठका छोटा इस छुणित कार्य से उसको खूब निन्दा करने लगे। बरसमा अन्त में वह जातियत कर दिया गया। विद्यारके तिमी डोकिया हिंस्त्री०) डोका देखो। भिक्षोपजीवो डोमसे उसकी जातिकथा पूछो जाने पर डोकी (हिं स्त्री०) डोका देखो। वह अपनेको उच्छिष्ट भक्षक बतलाता है। परन्तु मध्य डोज़ (अ. स्त्री० ) मात्रा, खुराक । और पश्चिम बङ्गालके डोम साना उत्पत्ति विवरण कुछ डोड़ाथो (हि. स्त्री.) तलवार । दूसरा ही बतलाते हैं। ये कहते हैं, कि बागदो जातिको डोडा (हि.पु. ) वह साँप जो पानी में रहती है। लेट श्रेणौके पुरुषके पोरस तथा चण्डाल जातिको स्त्रोके डोड़ी (सं. स्त्रो०) पविशेष, एक प्रकारको बेल। गर्भ मे कालुवोरका जन्म हुपा। डम देखी। दमके पर्याय-जीवन्ती, शाकयेष्ठा, सुखालुका, बहुबल्ली, वही कालुवोर ममस्त डोम बोणियोका आदिपुरुष दीर्घ पना, सूक्ष्मपना और जीवनो है। इसमें कटु, तिस है। कालुवोरके प्राण वोर, मनवार, वाणवार और शाण- उष्ण, दीपन, कफ, वात, कण्डामय रतापित्त, दाहनाशक बोर नामके चार पुत्रोंसे पारिया, विशलिया. बाजु- और नचिकर गुण माना गया है। (गजनि.) . मिया और मया इन चार श्रेणियों के डोम उत्पन्न हुए डोड़ी (Eि. स्त्री.) प्रौषध के काममै पनिवालो एक हैं। धकल देशिया अथवा तपमपुरिया डोम भी अपने प्रकारको मता। मका दूसरा नाम जीवन्ती है। यह ___ को कालुवोरके वंशज बतलाते हैं। ये दूसरेके मृत शरीर- मधुर, योतन्त, नेत्रहितकर, विदोषनाशक और वीर्यवर्धक को एक स्थानसे दूसरे स्थान तक पहुंचात और चिता मानी जाती है। काटते है। इन डोमोंका प्रवाद है, कि महादेवने कालु डोडो (40 स्त्री. ) एक पूर्व समयकी चिड़िया। यह बोरके एक पुत्रको गङ्गासे जल लान भेजा था। गङ्गातर बत्तखके बराबर होतो थी। इसका शरीर भारी और पर पा कर उसने देखा कि बहुतसे मनुष्य शवको जला- पंढङ्गा था। यह अपने बचाव के लिये कुछ नहीं कर नके लिये वहां इमट्ठा हो रहे है। तब मतश्थति के सकती क्योंकि यह अधिक उड़ नहीं सकतो थी। १६८१ प्रामोयस रुपये ले कर उसने मटो खोद करके चिता है के जुलाई माम तक यह मारिशस टापूमें देखी गई प्रस्तुत कर दी। लौटने पर शिवजोने उसे इस तरह थी। १८६६ ई में इसको बहुतमी हड्डियों पाई गई अभिशाप दिया 'तुम तथा तुम्हारे वंशधर बहुत काल थौं । यूरोपियनों के बमने पर इस दीन पक्षोका समूल तक मृतदेहका सत्कारादि करके कालयापन करेंगे।" नाश हो गया। डोमको स्त्रियां धात्रोका काम कर 'धाय' नामसे पुकारी डोब (जि. पु. ) गोता, डुबको। जातो'। म श्रेणोके पुरुष मजदूरो कर अपनो डोबा (हि.पु.) डबकी, गोता। जीविका निर्वाह करते हैं। एक श्रेणीक जोम बॉस डोम-भारतवर्ष को एक अस्पृश्य और नीच जाति। ये काट कर उसकी फयिों सूप उले पादि बनाते। कर एक स्थानों में विस्त त तथा नाना श्रेणियों में विभक्त पो बाँसफोड़ कहते है। सो श्रेषोका जो डोम हैं। इनकी उत्पत्ति के विषय में बहुतोका मतभेद है। छप्पर कामता विपरिया कहलाता।.. 'विहारका मधेया डोम कहता है, कि एक दिन महादेव मोम भित्र भित्र गोत्र है। इनमें प्राणोंके गोत्र और,पार्वतीने मन जातियों को भोजन करनेके लिये अधिक प्रचलित है। साधारणत: डोमोके पांच निमाण किया था। जोमाका आदिपुरुष अपत मन पुरुष में विवाश निषित हिसणी मधे.या शोमोल