पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष नवम भाग.djvu/११०

यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

१०६ रिमरेज-हिम्मक डिमरेज (व. पु.) १ वह कर्जा जो बन्दरगाहमें जहाजके के गर्भसे दो पुत्र उत्पन्न हो-यही मगे प्रार्थना है।" ज्यादा ठहरनेमे लगता है । २ वह पूर्जा जो स्टेशन पर भगवान् 'तथास्तु' कह कर अन्तहित हो गये और नर. पाए हुए मालके अधिक दिन पड़े रहने के कारण पनि पतिको निद्रामा हो गई। वालेको देना पड़ा है। कालक्रमसे रानियों के गर्भसे शङ्करके प्रसाद ने दो महा. डिमाई (. स्त्री. ) कागजको एक माप जो १८४ २२ वोयं पुत्र उत्पन्न हुए। नृपतिने बड़े का नाम रखा हंस इंच होती है। पोर कनिष्ठका डिम्भक । डिम्ब (म' पु० डिव-घन १भय, उर। २ कलल, गर्भा- क्रमशः म पौर डिम्भकको तपश्चरणको अभिलाषा शाय रज और वीर्यको एक अवस्था । हममें एक पतली हुई। दोनों जिनके प्रशसे उत्पन्न हए थे, उन्हों शङ्कर झिनोमा बन जाती है और यह कलान के बाद होतो है। को आराधना के लिए हिमालय पस्थ पर जा कर तपस्या ३ फुफ्फुम फेफड़ा । ४ डमर, भयसे पलायन, भगड़े। ५ करने लगे। इनका मुख्य उद्देश्य था-धीय ओर पस्त्र. भयध्वनि, हलचल । ६ अण्ड, अंडा । ७ जोहा, पिलही। वनमें वे मर्व प्रधान हो। ८ विप्लव, उपद्रव । ८ कोड़ का छोटा बच्चा। __महादेव इन को तपस्या मे मन्तुष्ट हो कर वहां उप- डिम्बक (म' पु.) डिम्भक देखो। स्थित हुए और उन्होंने वर म गनेको कहा। दोनों ने कहा- डिम्बज (म' पु०) डिम्वात् जायते डिम्ब-जन-ड। अण्डज, "भगवन् ! यदि पाप सन्तुष्ट हुए हो, तो हमें यह वर वह जिसको उत्पत्ति अडेसे हो। टोजिये कि, देवता, असुर. र तम. गन्धर्व और दानवों में से डिम्बाहव ( म० क्लो. ) डिम्ब भयध्वनियुक्त पाहव, कोई भी हमें परास्त न कर सके । दूमरी प्रार्थना यह है कर्मधा । सामान्य युद्ध, ऐतो लड़ाई जिममें राजा आदि कि, रुद्रास्त्रसमुदय हम संग्टहोत कर मके। अन्यान्य मम्मिलित न हो। जितने पस्त्र और कवच आदि है, उन पर हमारा अधि. 'दिम्वाहवहतानाश्च विद्युता पार्थिवेन च ।" (मनु ५।९५) कार हो और हम लोग जब युद्धयात्रा करें, तब दो महा. इस डिम्बाहवमें मरनेसे केवल एक दिनका प्रशौच भूत हमारो सहायता करें । महादेवने तयास्त कर होता है। कर अङ्गीकार कर लिया तथा भूतप्रधान कुण्डादर ओर डिम्बिका (सं० स्त्री०) डिम्ब-गव न टाप । १ कामुकी, मद- विरूपाक्षको बुल्ला कर कहा -'वत्स विरूपाक्ष और मातो स्त्रो। २ जलविम्ब, जलकी परछॉई। ३ शोणाक कुण्डोदर ! तुम भूतों में श्रेष्ठ हो। जब ये दोना वोर वृक्ष, सोनापाठा। युदयात्रा करेंगे, तब तुम दोनों इनको सहायता करना।' डिम्भ ( स० पु. ) डिभ-अच् । १ शिश, बच्छा । २ मूर्ख। इस तरहसे ये महादेवका प्रसाद पा कर देव दानव Eि ( म० पु. ) डिभ स्वार्थे वन् । १ बालक । २ भादिके पजेय हो गये। का न्वटेशाधिपति ब्रह्मदत्तका पुत्र । हरिवंशमें इम प्रकार एक दिन हंस और डिम्भक घोड़े पर सवार हो कर लिखा है- शिकार खेलने निकले। बहुमसे मृग, व्याघ्र पोर शाल्वनगरमें ब्रह्मदत्त नाम के एक परम दयालु नरपति सिहोंका सहार कर वे श्रान्त हो गये। पिपासा दूर छ । उनको परम रूपवती पौर असामान्यगुणशालिनी दो करने के लिये वे एक मरोवरके किनारे पहुंचे, वहाँ भाएं थीं। ब्राह्मदप्सने पुत्र के लिए महिषीहयके माथ पर उन्होंने सरोवरमें मान कर पान के मृणान और पत्र एकाग्रचित्तम दश वर्ष तक महादेवको आराधना की। भोजन करके श्रान्ति दूर को। उम सरोवरके किनारे __महादेवने इनको पाराधनासे प्रसन्न होकर एक ब्राह्मणगण मध्याह्नकालोचित वेदगान कर रहे थे। दिन रातको स्वप्रमें दर्शन दिये और कहा-"गजन् ! इन्होंने उन ब्राह्मणों से कहा-"पाप लोग इस यन्त्रको तुम्हारो पाराधनासे मुझे अत्यन्त प्रोति हुई है, मन तुम समाप्त करके हमारे पालयको चलिये, हमारे पिता राम वर मांगो। राजाने उत्तर दिया-"भगवन् । दो रानियों- सूय यन्त्र में प्रवत्त हुए.. हम दिग्विजयके लिये निकले है,