पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष एकविंश भाग.djvu/८३०

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जनका एक प्रधान नोर्थ है। इसकी 'उथता ४५०० जाति लोगोंका घास भी यहां दिखाई देता है । मुमलं. फीट है। बुद्ध गयामें दो पहाड है- रामशिला और, मानौ सिया, सुन्नी और मोहाटी आदि रहते हैं। . प्रेतशिला। यह गयासे तीन कोस पर अवस्थित है। . ईसाई, सिपल, बौद्ध, जैन, घामे, यहंदी और पारसी ' यहाँ हिन्दूगण पितरोंको पिण्डदान देने के लिये आते हैं। आदि जातियां भी वास करती हैं। बिहारमें हिन्दुओं- इन दोनो पहाड़ी पर चढ़ने के लिये मीदियां काटी गई ' की हो संख्या अधिक है। यहाँ के गधिवासियों में हिन्द हैं। इन दोनों के शिवरों पर एक एक मन्दिर है। राम मैकड़े पोछे ८४ और मुसलमान १६ है। . शिला पर भगवान विष्णुका मन्दिर है। इस पर चढ़ ! ' इतिहास प्राचीन काल मे मगध राजाभोंके अधि कर देखनेसे रेलफे ध्ये मनुष्यों द्वारा ढोनेवाला सघारी. - कृत विशाल भूखण्ड विहार कहलाता था और ये से भी छोटे दिखाई देते हैं । इस पहाड़से एक झरना एक राजे समन भारतवर्ष के अधिपति थे। किसी समयमें तालावमें गिरता है । यात्री इसो तालावमें स्नान करने बिहार भारतको समृद्धिशालो' राजधानीके रूपमें है। भागलपुरमै मन्दार नामक एक बहुत बड़ा पहाड़, विद्यमान था। ईसासे सात सौ वर्ष पहलेसे भी बिहार। है। मन्दार देखो। इसके शिग्वर पर एक मन्दिर विखरा को समृद्धिका विषय इतिहासमें दिखाई देता है। सम्भ पडा है। मूर्शिको जगह चरणपादुका रखी हुई है । इस यतः इससे भी बहुत पहलेसे बिहार समृद्धशाली जनपद पहाड़ पर छोटे बड़े और घने वृक्ष हैं। इसमें बन्दर और कहा जाता था। ईसाके पांच सौ वर्ष बाद भी विहार- अन्याय मेडिया आदि हिंस्र जन्तु' भी देखे जाते है। को सोभाग्यश्री चैसी ही वर्शमान थी। मगध के सम्राटोंने इसकी गुफामें कितने हो साधु तपस्यानिरत दृष्टिगोचर शिल्प गौर शिल्पियोंकी श्रीवृद्धि की थी। उनके समयमें हैं। जो नदनदियां विहार प्रदेशकों पीरती हुई प्रथा- | विहार में भी नाना प्रकारफे शिल्पोंकी उन्नति हुई थी। यहां हित हो रही हैं, उनमें प्रधान गङ्गा हो है। गङ्गानदीने / शिक्षाके लिये विश्वविद्यालय भी प्रतिष्ठित हुआ था। . इस प्रदेशको दो भागों विभक्त किया है । इसके उत्तर- उक्त राजामीने भारतवर्ष में सर्वत्र वडे बड़े राजप भाग सारन, चम्पारन, मुजफ्फरपुर, दरभंगा, पूर्णिया | तैयार कराये थे। उन्होंके समय भारतीय वाणिज्य आदि जिले तथा दक्षिणभागमें शादाबाद, पटना, गया जहाज सागरको तरङ्गमालाओंको भेद कर मावा और मौर सन्थाल परगना आदि जिले वर्तमान हैं। इसके साली द्वीप आदि स्थानों में माते जाते तथा भारतवर्ष के सिंघा घाघरा, गण्डकी, कोशी, महानदी, शोने मादि नद | शिल्पबाणिज्यका विस्तार करते थे। उनके समयमै हो नदियां इस प्रदेशसे होती हुई प्रवाहित हो रही हैं। इस हिन्दुओंने उन उन स्थानाम अपने उपनिवेश कायम किये प्रदेशके विशिष्ट उत्पन्न द्रष्यादि अफीम और नील थे। सेलुकसं निकेतरके समय विहारको समृद्धिको सर्वाः अधिक होती थी, किन्तु अव इधर कुछ वर्षो से इनकी पेक्षा अधिक वृद्धि हुई थी। अशोक सिकन्दरके आक्रमणके खेती कम हो गई है। यहां चावल, गेहू आदि सभी याद ही विहारके सम्राट् पद पर अधिष्ठित हुए थे। सेलु तरहफे अन्न और गन्ना पैदा होता है। खनिज पदार्थों • कसने मेगास्थनिज नामक पक युनानी दूतको पाटलिपुत्र के भीतर कोयला, अवरक और तांबा हो प्रधान है। . . (पटना) नगरमें अपने पद पर प्रतिष्ठित फर भेजा था।