पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष एकविंश भाग.djvu/५९५

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विरेचन ५१३ कर गुटिका पका कर सेवन करावे । अथवा गुड़फे माथ का रस उसमें डाल दे। पोछे पाक करने करते जब वह निसोधच का पाक कर सुगंधके लिये उसमें इलायची, घन हो जाये, तो सुगन्ध के लिये उसमें तेजपन्न, दारचीनी तेजपत्र और धारचीनोका चूर्ण मिलाये। उपयुक्त | मोर निसोपका चूर्ण साल कर सेवन कराये। श्लेष्म- मातामें गोली तैयार कर संघन करनेसे विरेचन होता है। प्रधान धातुविशिष्ट सुकुमार प्रकृतिघाले व्यक्तियों के लिये ____ मोदक-एक भाग निसीय मादि पिरेचन द्रष्योंकी यह एक उत्कृष्ट विरेचन है। चुकनो ले कर उससे चौगुने विरेचन द्रव्यफे काढ़े में मिद ____ निसाथका चूर्ण तीन भाग तथा हरीतकी, आमलको, करे। पीछे घना होने पर घोसे मला हुआ गेहका | घहेडा, ययक्षार, पीपल और घिडङ्ग प्रत्येकका समान भाग चूर्ण उसमें झाल दे। इसके बाद ठंढा होने पर मोदक ले कर चूर्ण करे। पोछे उपयुक्त मात्रामें ले कर मधु और तैयार कर यिरेवनार्थ प्रयोग करें। . घृतफे साथ लेहकी तरह बनाये अश्या गुड़के साथ मल . जूस-निसोध आदि विषयक द्रव्योंके रसमें मूग, | कर गोलो तय्यार करे। यह गोली लेह अधया सेवन मसूर मादि दालको भावना दे धियलपण और घृनके करनेसे कफयातज गुल्म, लोहा मादि माना प्रकारके रोग माघ एकन जूस पाक करके यदि पान कराधे तो विरेचन | प्रशमित होते हैं। इस विरेचनसे किसी प्रकारका मनिष्ट धनता है। नदों होता। पुटपाक-इनफे एक डलको दो खण्ड कर उनके विस्ताड़क, निमोथ, नीलोफल, फूटज, मोथा, दुरा. साथ निसोध पोस कर ईखफे पण्ड में उसका प्रलेप लभा, चई, इन्द्रयव, हरीतकी, मामलको और बहेड़ा, इन्हें दे तथा गांभारीके पत्तोंसे जड़ कर फुशादिफी डोरोसे चूर्ण कर घृत मांसके जस या जलफे साथ सेवन करनेसे उसको मजबूतोसे यांध दे। अनन्तर पुटपाकके विधा- रक्ष व्यक्तियोंका चिरेचन होता है। नानुसार उसका पाफ करके पित्तरोगीको सेवन करावे, स्यकविरेचन-लोघको छालका विघला हिस्सा तो विरेचन होता है। छोड़ कर वाकीको चूर्ण करे तथा उसे तीन भागों में लेह-ईसकी धोनी, धनयमानी, यंशलोचन, भुईकुम्हड़ा विभक्त कर दो भागको लोधको छालके काढ़े में गला और निसोथ इन पांच द्रव्यों का चूर्ण समान भागमें ले | ले। वाकी एक भागको उक्त काढ़ेसे भावमा दे कर कर घी और मधुके साथ उसको मिला कर चाटे, तो विरे विलफुल सुखा डाले। सूखने पर दशमूलके काढ़े से चन होता है तथा सृष्णा, दाह और ज्यर जाता रहता है। भाषना दे कर निसायको तरह प्रयोग करे । यह स्वक इसकी चीनी, मधु गौर निसोयको बुकनी प्रत्येक विरेचन सेयन फरनेसे उत्तम विरेचन होता है। इश्यका समभाग तथा निसोय धुकनोका चतुर्थाश दाय - फलं-पिरेवन-विना आठौंके हरोतको फल और चीनी, तेजपत्र और मरिषचूर्ण मिला कर कोमलप्रकृति निसायका विधानानुसार प्रयोग करनेसे सभी प्रकारफे याले व्यक्तियों को विरेचनार्थ संघन करने दे। रोग दूर होते हैं। हरीतकी, विड़ा, सैन्यय लवण, सोंठ, ईखको जीनी ८ तोला, मधु ४ तोला धीर निसोथका | निसोध और मिर्ग इन्हें गोमूत्र के साथ सेवन करनेसे चूर्ण १६ तोला, इन्हें पांच पर चढ़ा कर एकत्र पाक विरेचन होता है। हरीतकी, देवदार, कुट, सुपारी, करे। जब पद लेइयत् दो जाये, तय उसे उतार कर सैन्धव लवण और सौंठ इन्हें गोमूत्र के साथ सेवन सेवन कराये । इससे विरेचन हो कर पित्त दूर होता है । करनेसे घढ़िया विरेचन होता है। निसोथ, विस्ताइक, यवक्षार, सोठ और पीपल इन्हें ____ नीलोफल, सोंट और हरीतको इन तीन द्रव्योंका चूर्ण कर, उपयुक मात्रामें मधुफे साथ लेह प्रस्तुत करे। चूर्ण कर गुड़ के साथ मिला संवन करे। पीछे उष्ण यह लेह पान करनेसे घिरेजक होता है। . जलपान पिप्पलो आदिके काम हरीतकी पोस कर हरीतकी, गांभारी, आमलकी, अनार और घर इन सघ | संग्घय लवप मिलाये। इसका सेवन करनेसे उसी दथ्यों काढ़े का रेडीके तेल में पका फर हे नोवू आदि- समय विरेचन होता है। इसके गुड, सौंठ या सैन्धव Vol. XXL, 29 .