पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष एकविंश भाग.djvu/४४२

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विद्यानगर सुखका प्रवाह प्रवाहित था सोर सारा देश धनधान्यसे | नामों की भी यथेष्ट पृधपता देखी जाती है। फेरिस्ता समृद्धिशाली हो उठा था। पाट करनेसे पता चलता है, कि किशन राय उर्फ युझ- ____धुकाके राजत्यकालमें विदणनगरका जो अतुल , रायके साथ महम्मद शाहके पुत्र की और एक बार लडाई' ऐश्वर्या हुआ था, अनेक ताम्रशासन उसका परिचय छिड़ी थी। इस युद्ध में बुधाराय भाग कर सेतुबन्ध . मिलता है। इस समय सुविशाल दुर्ग, हजारों सेना, | रामेश्वर चले गपे और यहां जङ्गलमै छिप रहे थे। किन्तु । सैकड़ों हाधी भोर विपुल युद्धसम्मार विध्यानगरको दूसरे दूसरे ऐतिहासिक फेरिस्ताकी इस उक्ति पर गायि. विश्वविजयिनो कीर्शि उद्घोषित करता था। भ्यास करते हैं। . . . युवाके अपर तीन भाई अपने अपने निर्दिष्ट प्रदेशों के नूनीज ( Nunia ) ने लिग्ना है, कि देवराय (हरि अधिकारी हो कर उन्हीं सब प्रदेशीका शासन करते थे। हर राय) की मृत्युके बाद युझराय पर राज्य भार माँग मावश्यकता पड़ने पर आपसमें सलाहके लिये समय गया। चुकरायने विद्रोहियोंको विताड़ित कर बहुत-से समय पर ये लोग विद्यानगर गाते थे। युफके शासन स्थान अपने राज्यमें मिला लिये थे, यहां तक कि उन्होंने कालमें १३६१ ई०को दिल्ली सुलतानके साथ विद्श उड़ीसा तक अपने राज्य में शामिल कर लिया था। इस नगरके राजाको लड़ाई छिड़ी थी। उस समय बुक्क के मरने पर इनके पुत्र सिंहासन पर आरूढ़ हुए। मि. राजाके एक असाधारण चोर सेनापति थे । उनका नाम त्यूपेलका कहना है, कि १३७६ ई०में बुकरायकी मृत्यु था मल्लिनाथ। मल्लिनाथका नाम सुन कर मुसलमानों हुई। महाराजाधिराज परमेश्वर घोर घुधारायफे पुत्रके का हदय कांप उठता था । वे बहुत दिनों तक सेना. प्रदत्त पफ अनुशासनपत्र में देखा जाता है, कि उन्होंने पति रहे थे। उन्होंने अलाउद्दीनको तथा महम्मद शाह अपने पिताके शिवसायुज्य पानेके लिये १२६८ शक को परास्त किया था। किन्तु फेरिस्ता पढ़नेसे मालूम एक गांव घ्राह्मणों को दान किया। इस गायका नाम होता है, कि यामनी राज्यके अधिपति महम्मद शाहने ) रखा गया चुकरायपुर । आधुनिक ऐतिहासिको'ने घुका राजाको सेनाओको पानी पानी पर डाला था। सिद्धान्त किया है, कि १३५४ ई०से ले कर १३८७६० उन्होंने स्वयं विद्यानगरमें प्रवेश कर विद्यानगरको वड़ी तक बुधरायने राज्य किया था। दुर्दशा की थी। अन्तमें बहुत अनुरोध करने पर उनका २य हरिहर राय। ' क्रोध शान्त हुगा। फेरिस्ताका कहना है, कि इस घोर घुफ्रायकी दो पत्नीक गर्भसे पांच सन्तान पैदा युद्ध में पांच लाख दिन्दू मारे गये थे। मि० स्यूपेलने फेरि हुई। उनकी पहली स्त्रीका नाम था गौराजिका । स्ताफे इन सब विवरणों को नितान्त अतिरञ्जित समझा | इस गौराधिकाफे गर्भस हरिहरने जन्मग्रहण किया। है। फलता फेरिस्ताने इस विषय में जो विस्तृत विव १३७७ ई०से ले कर १४०४ १० तक हरिहरने राजत्य रण लिखा है, यह बहुत कुछ कहा भी है। फेरिस्ताके किया था। हरिहर पिताफे जेठे लड़के थे। इसलिये सब ये अन्धकारने स्वजातियोंफे मुझसे बहुत-सी गतिरचित सिंहासन पर बैठे तय कोई छेड़छाड़ न हुई। हरिहरफे घटनामोको सुन कर हो महम्मद शादका कीर्शिगौरव । साथ भी गुलबर्गफे याहनो राज्यके मुसलमान शासन: अयथा पढ़ाया है। कर्ताओका युद्ध हुआ था। इसमें परिधरने दी विजय जो हो, इसमें जरा भी सन्देह नहीं, कि.इस युद्ध | पाई थी। दोनों पक्षों को महती क्षति हुई थी। इस युद्धये वाद ! . मि० स्यूयेलका काहगा .. र २मने लगभग २० कुछ समय तक दोनों शासनकर्ताओं में फिर युद्ध-विग्रह वर्ष तक राज्यशामन किया। महाराजाधिराज नहुमाया। उपाधिसे भूपित हुए थे । हरिहर देयमन्दिरों यधेट फेरिस्ता चुकरायको कृष्णराय कहा है। मल्लिनाथ | पृत्तिका बन्दोवस्त कर गपे हैं तथा दाक्षिणात्पमें उन्होंने दाजिमल नामसे पुकारे गये हैं। इस प्रकार मपरापर अपने राज्यको मित्ति मजबूत कर रखी थी। माधपाचार्य-