पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष एकविंश भाग.djvu/४२०

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५. विदसान-विदारो विमान (स० पलो०) ५ पपपदानि, पाईदाल। यिवारण (सं० ० ) यिह णिच गाथै ल्युट । १ योन. २ पद भन्न जिसमें दो दल हो। जैसे-चगा, उस अलग करके दो गा अधिक टुकड़े करना। मार मंग, मरह, मसूर गादि। सालना, दया करना । ३कनेर । ४ परिया। भीमा . विलित (समि०) १ महित, शिमका अच्छी तरह दर। (पु०) विदार्यने शमयाऽस्मिन्निति यि पिया दलन किया गया हो। २रौदा हुमा, मला इमा।| ल्युट । ६ युद, समर। जैन के अनुसार गरी ३ किमि । ४ विदारित, फाटा एमा। पापों या घोषोंकी घोषणा करमा। (नि०) यिवारपतीति विदलीटर (म त्रि०) चूर्णित, टुकड़े टुकड़े किया विह णिच न्यु । ८ पिधारक, फाड़ डालनेगाला। सा विवारि (स स्रो०) विदारिका देखो। . . पिदा (लि.) विगमा दमा यस्प ( गोरिखपारसजनस्य गिटारिका (मो .) वि.णिय प्रयुल-टापि गर इनि गौप्यस्थान पयरम् । पERIY5) दशाविहीन । स्य १ शालपणी 1 २ मारो पक्ष । ३ विदारी रोग। विदा (सरमा०) पिद छाने (पिभिदादिम्पोऽम । पा ४ कदयो तूपी। (स्त्री०) ५ पृहस्सदिता मनुसार ॥३॥१०४ ) स्यद राप। धान, पुदि। एक प्रकारको वाकिनी जो घरके बाहर निकोमा विदा (दि० ना० ) प्रधान, रवाना होमा। २ कझोंसे रहती है। (त्म ५३३८३) घलने को भामा या मनुमति । घिदारिगन्धा (२० स्रो०) विशेष, मालपों । गशी. गिमाई (दि. बा.) पविदा निको झिपा या माय, यस | में इसे Hedyserum gangeticum कहते है। . मता । २ पिता हानेको माता या गनुमति । ३ पद विदारिन् (स० वि०) वि.णिमि। यिदारणा, धान आदि गायिका होने के साथ किसीको दिया जाय । फाड़मेशाला। विनानु मशिष्यपुराण पणित शाकशोपिधाहरणोंका येद- पिदारिणी (म० सी० ) अिघारिन । १ फारमरी, । माल यान्दिदाद नामसे प्रसिर । किसी गंमारो। २ विदारणकत्ती। fontrय "विदुर" प्रामादिक पाठ भी देखा जाना है। (भायप्पषु०१४ भ०) विदारो ( स० ग्ला०) विदारयतीति पिन-णिय गग. यिाम (स ) विभाग कर देना। गौरादित्यात् डीए । १ मालपणी। भूमिकुमार, (ARपना० १४८1१) मुईपुग्दड़ा । पर्याय-सीरश गधा, मोदी . विधाय (स.पु.) विगतो दाया साक्षात् करणादिरूपः विदारिका, स्वादुगधा, सिता, शुक्ला, गालिका गया। मृण पेग । यिमान । २दाम। ३ गमनानुमति, करा, पिहाली, पृष्पयलिका, भूमाएटो, स्यादुलता, जानकी मनुमति, विदा। ४ प्रस्थान । गजेपा, पारियदरमा पीर गम्यमा गुण-मथुर, । विज्ञापिन् (सं.वि.)विदातमोल यस्य पि-यानिनि। गोतल, गुप, स्निग्ध, मनवित्तनामफ, कफकारक परि, १ दामाता, दान करनेवाला। २ निपाम, सो टोक पल मौर यायक।। (राजनि०) ALENa tो भाययकाफे भनुसार भठारह प्रकार, कटरोगी. विदाम्प (सं. सि०) पेसा, जाननेवाला। मेसे पकारका कठरोग । म पिरामिगानेसे विरार (मपु०) विप। अलोयामापदगले मीर मुहर लाली मा जाता है, जलग होती। रा। ३ युग, समर। | भौर वायूदार मांस टुकर कर पार कर गिा मगर्ने विवारक (म. पु.) पिणासि जलपानादानि विष्ट है। कहते है कि inम करसर रोगी कि माता है, तुम १५६ गएर या पर्यंत मादिजो गलफे बोध उमा गोर यह रोग उत्पन्न होता है। गरोग सारगे। हो। मलिक तलमे गापा दुमा गमातिसमें मदी प क प्रकारका रोग। रोगी कामे सूप पर गो पानी बचाना .)३ नझार मीर शपसम्मिने भूमिपुस्माको गारnिt मोसादर(e) विदारक, फाट शलगमा कालो मुसि निकलती है। इन विदा या विधारिला ।