पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष एकविंश भाग.djvu/३६४

यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

३०८ विजयाद-विजयनगर मागमें मिलाये और गायोग्य माता सेयन करे, तो| पाणिज्यको छोड़ शुल्क (Customs) विमांगा साविक गर्श रोगका उपकार होता है। ( चक्रदत्त), .. .पाणिज्य ले कर यहां प्रति वर्ष १२ लाख रुपये मातही पिजपच्छन्द (स.पु.) विजयस्प छन्दो यस्मात्। मामदनी और १५ लाख रुपये मालफी रपतनी होती है। एक "कारका हित हार जो वो हाथ लदा मोर ५०४ चन्दरका दक्षिण भाग पूर्व शिवराम दो कर समंद. . स्टडियो माना जाता है। कहने हैं, कि ऐसा हार पधर्म झुक रहा है। इस पर फे शिला पर मुममाम - घल देवता लोग पहनते है । चार हाथ लदा और राजाभोंने एक दृढ़ दुर्ग पनाया है। कोणप्रदेश येसा १००८ चाहियों को मुनाको मालाको इन्द्रसन्न पहने | · सुरक्षित दुर्ग एक भी नजर नहीं माता दुर्ग के पार्षदेश. है। २ पांच सौ.मोतियों का हार ! - : में प्रायः १०० फुट गोचे एक पहाड़ी भरना बहता है। उस विजयपिण्डिम (सं० पु० ) जयढका, प्राचीनकालीन भरनेसे पण्यद्रव्यादि लानेको यदी सुविधा है। ... एक प्रकारका या दोल जो युद्धफै समय पजाया जाता दुर्ग बहुत पुराना है। विजापुरराजयंश पुर था। . .... .....! में इस दुर्ग के जीर्णमस्कार और क.लेयरको पशि हुई। पिजती (संयो० ) तीर्शमेद। . .:. .. इसके बाद १७वीं सदीफे मध्य माग महाराष्ट्रपति यिजयदएड (संपु० ) १: सैनिकोंको यह समूह अयाशिवाजीने दम दुर्गको सुद करने मभिप्रायसे इसके . सेनाका यह यिभाग ओ सदा यिजयो रहता हो। २. चारो और तीन पंक्तियोग चंदारदीयार सड़ी कर दो नका। 'सेनाका एक विशिष्ट विभाग जिस पर विजय विशेष- वाससे गोपुर धातोरण और दुर्गसंकान्त अन्याम्प महा रूपसे निर्भर करती है। . . . . . . लिकांदि भी वनपा को थी। १६८० में दस्युदलपति । विजयदत्त (स० पु० ) कथासरित्सागरयर्षित नायक प्रियाने यहां अपने उपाल भागको राजधानी मा , 'मेद। थी। उस समय प्रियांका आधिपत्य उपफूल मागम विजयदशमो-विजयादशमी देखो। ३०से ६० मील तक फैल गया था।..... विजयदुन्दुभि ( १० पु० ) जयढाक, यह बड़ा ढोल . जो यह वहा ढोल . जो .. १७५६ ३० मे तुयासियोंने अदरेज गौसेना ह युद्धसे समय पाया जाता है।.. . : गात्मसमर्पण किया तथा पसल सपने पहें गौमसे दिशयदुर्ग-पया ,प्रदेशः रत्नगिरि जिलान्तर्गत एक नगर गौर दुर्ग र ; अधिकार जमाया। उसी पर वाणिज्यप्रधान वन्दर। यह मक्षा० १६३३ तथा देशा० . गन्तिम समयाँ अगरेजोन दुर्गका भार.पेशया हाथ ७३.२३ पू० के मध्य रागिरि नगरसे ३० मोल दक्षिणमें | सौंप दिया शा! , इसके बाद १८१८ में समस्त रस- भयभित है। भारत के पश्चिम उपकूल में ऐसा. सुन्दर गिरि जिला जय गृटिशगयमें एटफे हाय माया, तब दुगा- गौर घविधीन बन्दर कामो नहीं देना जाता। 'समी ,ध्यक्ष नरेशोफ दायमात्मसमर्पण करने पहुए। तुमि विशेषतः जब दक्षिण-पश्चिम मासुमो घायु विजयदेयो (म स्त्री०) राजपनामद। ... बहती है, तब इस बन्दरमें दंष्टेबजहाज रंगर डालमियाशी (स' स्त्री०.) द्वारमोमेद । विनमा देसो।। कर एते है। तूफान मादिका लक्षण न दिखाई देने पर | विजयनगर-गद्रास प्रमेश येलदरी . जिलान्तर्गत पर 'घे सब दाज स्वच्छन्दपूर्वक उपकूलफे मध्यम हो ला मानीन नगर । गमी यद ध्यसम्तूप परिणत एका झालने है। . .;" प्राम समस्या जाता है गौर समा० १५२०१० ता देशा

यहां मैं सो माँग गर्नेक प्रकारफे सिलीने मोर .७६ ३२ १०.

म ला मा है। पर यस्लगे सर. भनागदि गामका एका कारखाना है। वर्तमान मे ३६ मोष्ट उत्तर-पश्चिम राजमा गयीक बिना . . हाल उन सब शोका विशेष भादर म दिने कारण FIR है। यहां पहले यिनयर रायको जगानी गामी निको भरमति हो गई है। 'मोन थी । भात मी मगर. पक्षिण कमलापुर और बामगुएडो घरगण मन ममायमें शणी होते जा रद। मगरफे । ताप्रापा मोल विस्तृत स्थानमें उसका सायर