पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष एकविंश भाग.djvu/२७

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वाक्यकर-वागीशत्व शुभाशुभ पाक्य-जो घाफ्य स्वर्ग वा अपयर्गकी वाफ्यार्थोपमा ( स० स्त्री० ) वाक्वार्थका सादृश्य । सिद्धिके लिये घोला जाता है और जो वाक्य सुननेसे वाक्यालङ्कार (स० पु० ) वाक्यको शोभा, वाफ्यच्छटा। इहलोक और परलोकका मंगल होता है, उसीको शुभ- वाफ्यैकवाक्यता (स० स्त्रो०) मोमांसाके अनुसार एक वाष्प कहते हैं। राग, द्वेष, काम, तृष्णा आदिको वश घारको दूसरे याफ्यसे मिला कर उसके सुसंगत अर्थ. में हो कर जो वाक्य कहा जाता है, जिस वायके सुनने | का बोध कराना। या कहनेस निरयका कारण होता है, वही अशुभवाक्य | वाक (स' क्लो०) सामभेद । कहलाता है। कभी ऐसा अशुभवाय न सुनना चाहिए याक य ( स० त्रि.) पक प्या । वक्र सम्बन्धी। धौर न बोलना चाहिए । वाक्य विशुद्ध, सुमिष्ट, मृदु या वाक्सयम (सपु०) वाचा सयमः। वाणीका सयम, 'ललित होनेसे सुन्दर नहीं होता, जो चापय सुननेसे अन्यथा यान न पहना, भ्यर्थ वाते न करना। अविद्याका नाश होता है, संसारफ्लेश दुरीभूत होता है | वाक्सङ्ग (स० पु०) वाक्यग्रह। एवं जो सुननेसे पुण्य होता है, वही सुन्दर शाक्य है। यासिद्धि (स'० स्त्रो०) वाणोकी सिद्धि अर्थात् इस पापकर ( सं० पु.) १ एकको यात दूसरेसे कहनेवाला, प्रकारको सिद्धि या शक्ति कि जो वात मुंइसे निकले यह 'दूत । (त्रि.)२ वचनभापो, वाते बनानेवाला। ठीक घटे। वाक्यकार (सं० पु०) रचनाकार। या स्तम्भ (स.पु. ) वापयस्तम्भन, घाफ्यरोध कर देना। चाफ्यगर्भित (सं० लो०) याफ्यपूर्ण, वह सो सुन्दर पदादि | वागतोत (सपु०) गतीत वाफ्य, वीती हुई बात । द्वारा बना हो। वागन्त ( स० पु०) वाक्यका शेष। घाफ्यमह (सं० पु०) अर्थग्रहण । बागपहारक (सपु०) १ पुस्तफ-चोर । २ निषिद्धयाफ्य पापयता (सं० स्त्रो०) चाफ्यका भाव या धर्म। । पाठकारी। पायपूरण (सं० ली० ) वाक्यका समाप्त होना। । ' घागर (स.पु.) वाचा इयर्ति गच्छत्तीति अव । पाण्यप्रचोदन (सं० पु०) अनुशावाक्य । १ वारक | २ शाण, सान । मिर्णय । ४ वृक, भेड़िया । यायप्रचोदनात् (सं अध्य.) आशानुसार। | ५ मुमुक्षु । ६ पण्डित । ७ निर्भय, निडर। पापयप्रतोद (सं० पु०) कटूक्ति, परुप या रुढ़ वाघागसि (स स्त्री० ॥ तलवारको तरह तीक्ष्णवाक्य । पाययमलाप (सं० पु.) १ असम्बन्ध चाफ्य, येलगानको | वागा (स.स्त्री०) यहगा, लगाम । धात । ५ वाग्मिज । (पागास (सं० त्रि०) यानि आशावाफ्ये आरु कर्मट इव चाक्यप्रसारिन् ( स० त्रि०)१ पाचाल, बोलने में तेज । मर्मच्छे दवत्वात्। माशा दे कर निराश करनेवाला, .२ घागविस्तारकारी, बात बढ़ानेवाला। .. भासरे में रख कर पीछे धोखा देने वाला, विश्वासघातो। पाषयमेद (सं.पु०) मोमांसाके एक हो वापयका एक हो | वागाशनि (सपु० ) बुद्धदेव । 'कालमें परस्पर विरुद्ध अर्थ करना। वागीश (सपु० ) पानामोशः। १ स्पति । २ ग्रह्मा । वाफ्यमाला (सं० स्रो०) वाक्यलहरो, वाफ्यसमूह। ३ वाग्मी, कवि । (त्रि०) ४ बका, अच्छा बोलनेवाला। पाक्यशेष (सं० पु०).१ कथावसान।२ पाक्यका शेष। । वागीश-न्यायसिद्धान्ताजनके रचयिता:, . पायसंयम (सं० पु०) पाक्म यम, बाट निरोध। यागीशतीर्थ- प्रसिद्ध शैव धर्माचार्य। ये कवीन्द्र याफ्यसयोग ( स० पु०) पापका मिलन, चाफ्योजना।। तोके बाद मठ अधिकारी हुए। इनका पूर्व नाम रङ्गाघायसङ्कीर्ण (स' पु० } पायाराता । .... चार्य या . रघुनाथाचार्य था। १३४४ ई० में इनकी मृत्यु धापयस्वर (संपु०) घांतकी आवाज, बोलनेका शब्दहुई। स्मृत्यर्थसागरमे इनकी धर्मव्यास कीर्तित है। चाफ्याध्याहार (स.पु.) कहने में तक। वागीशत्व (सी०) यागोजस्य भावः त्वा वा पति'पापयार्य (म० पु०) कहनेका मर्म। | का भाय या धर्म, उत्तम वापस। . .