पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष एकविंश भाग.djvu/२१८

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" साम. . वारंट तलाशी-बार - याट तलाशी ( पु०) अदालतका एक भागापन । इसके तृतीय और पञ्चम यामा, हतियारका सम मौर .." अनुसार किसी कर्मचारीको यह अधिकार दिया जाय, अटम यामाई तथा शनिवार 'प्रथम, पाठ और सटर . कि यह किमी स्थानमें जा कर रहाका अनुसन्धान करे। | यामाद्ध वारघेला है। पारघेलामें एक भी शुम कर्म याट रिहाई ( पु.) अदालतका एक माशापन । इमाम नहीं करना चाहिये। यह समो कार्यों में निन्दित है। मनुमार किसी सरकारी कर्मचारीको यद इजाज़त और कालयेला-रविवारके रात्रिकालका पाठ यामा, सोमः इक मिले कि यह किसी आदमोको, जो जेल, चालत या वारका चतुर्थ यामाई, मङ्गलबारका द्वितोप यामा, गिरफ्तारी हो मुक कर दे या किसी माल या सम्पत्ति युधयारका सनम यामा. गृहस्पतियारका पक्षम को, जो कुर्फ हो या किसोके तत्वावधान हो, मालिक यामाई, शुक्रबारका तृतीय यामाई तथा शनिधारका प्रथम को लौटा दे। और अष्टम यामा निन्दनीय है 'मर्थात् रात्रिकालमें या (सं० पु०) वारयनि वियते येति यूणिच्, अचपृ.। यह सब समय छोड़ कर शुभ कार्य करना उचित है। इस घ घा । १ समूह, राशि, देर ।२ द्वार, दरवाजा । ३ हर, कालयेलाको कालरात्रि भी कहते हैं । इस वारयेला और महादेय । ४ कुटजयक्ष, लटजीरा । ५क्षण । ६ सूर्यादि या कालयेलामें यात्रा करनेसे मृत्यु, विवाह करानेसे पैघश्य सप, दिन. दिवस । सूर्यादिफे दिनको चार कहते हैं। और प्रतानुष्ठानसे ग्रह्मवध होता है। अतपय इस समयमें . पार ७ हैं-रपि, मोम, महाल, युध, पृहस्पति, शुक्र और सभी शुभ कर्माका परित्याग करना उचित है। शनि। सायन दिनको तरह यारको गणना होती है। सारसंग्रहक मतसे त्रियों के प्रथम रजोदर्शनले सूर्योदय से पारका आरम्भ गरानना पडेगा। अगाचादि । समय बारके अनुसार फल होता:- निवृत्ति आदि कार्य सूर्योदय होगसे ही होते हैं । सूर्योदयसे । "आदित्ये विधया नारी सोमे चैत्र पतिमता । कुछ पहले यदि किसीको मृत्य या जन्म हो, तो उसे धेश्या मनमवारे च पुधे सौभाग्यमेव च ॥ सायनानुमार पूर्वदिन मानना होगा । सूर्योदय के बाद वृहस्पती पतिः श्रीमान शुरले पुषयती मरेत् । हीसे यह दिन लेना होता है। मानौ पन्ध्या तु विशे या प्रथमस्यो रजस्लानः " (मपुरैश) ___रपि भादि प्रहों के भोग्य दिन हो उन सब नामोसे . रविवाग्मे विधया, सोमवार में पतिमता, महानयारमें पुकारे जाते है अर्थात् रविग्रहका भोग्य दिन रविचार : येश्या, बुधवारमै सौभाग्यवती, वृहस्पतियारमे पति कहलाता है। इसो प्रकार रवि भादि सात प्रोफे मोग्य | श्रीमान्, शुक्रवारमै पुत्रवती गौर शनिवार या . पिन सात हैं. भतपय पार भो सान हुए हैं। इन सात होती है। पारों में सोम, शुक, युध मोर गृहस्पति पे चार यार शुभ कोष्ठोप्रदीपमें प्रति यारका फलाफल लिया है। भोर वाको तीन अशुभ है। इसलिये शुभ पारमै शुभ। रचियारमें जमा होनेसे जातथालक धर्मायी, तोपून, कर्म किया जा सकता है तथा अशुभ धारमै मङ्गलजनक, सहिष्णु, प्रिययादो भोर अलर द्रो धनी होता है। साम• कार्यमान दो निषिद्ध है। इन सब चारों दिया और पारमें जन्म दानेसे कामो, स्त्रियों के प्रियदर्शन, कामल . रालि भाग मध्य जो एक निर्दिए अशुभ समय है उसे यापयसम्पन्न मार भोगा; मङ्गलमें मर, सादमी, शोधो, यायला नीर फालयेला करने हैं। दिया भागमे जो कपिल मधया श्यामवर्ण, परदारा-गामो गौर हायिका. निदिए अशुभ समय उसे धारयेला धीर राग्निकालय नुरका युधयारमे घुद्धिमान, परदारपरापण, कामीप मशुग समपको कालयेला कहने हैं। यह निर्दिष्ट समय शरीरयाला, नाना पारगामी, नृत्यगीत प्रिय मोर इस प्रकार है-यियारका चतुर्थ भार पश्चम यामा मानो, गृहस्पतियारमें शास्त्रवत्ता, सुन्दरपाजिट, (दियामानके माठ भागसे एक माग) यारपला तथा शान्तप्रकृति, मतिमय कामो, बहु पापणकर, हर सो प्रकार सोमयारका द्वितीय और समम यामाद, दिसम्पन्न भौगदपाल ; शुन्यारमें जाम होने में कुटिल, । । मालपारका पठ और द्वितीय यामा, घुघयारका दोघेजीयो, नातिशामांपशारद मीर प्रियांका विचारा .