पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष एकविंश भाग.djvu/२०९

यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

चाविज्ञान अतीय पाण्डित्य और गवेषणा या शानका परिचय प्रद ! राशिका अयक्षेपक चाप बहको चद्दर पर पड़नेसे यह शित हुआ है। | नल के भीतर दमिन हो जायेगी। इस यन्त्र के अधिक ' वायुमयहलके शैल्योष्णा मान इत्यादिका विवरया। ! समय तक चालू रहने पर वायुके चापसे रबड़को चहर .. पायुमण्डलके शैत्योणता-मानके (Tennperature) फट जायेगी। सम्बन्धों युवन ( Buclion ) आदि वैज्ञानिकोंने वहुतेरो निम्नलिखित परीक्षा द्वारा घायुफे उत्क्षेपक चाप. गपणा कर जगत्के प्रत्येक खण्डका विवरण संग्रह किया का विषय जाना जा सकता है। एक फांचका ग्लास है और मानचित्रके माथ प्रकाशित किया है। व्योम । जलसे भर कर रखा जाये। एक फागजका छोरा टुकड़ा यान प्रभृतिक साहाय्याने इस विषयका निर्णय हुआ है। इसके मुह पर इस तरह रखा जाये, कि इस कागज और इसके सम्बन्ध में इस समय यथेष्ट गयेपणा चल रही है। जल के धीच कुछ भी वायु न रह जाये । कागजका टुकड़ा सन् १६०० ६०के जनवरी महीने में प्रकाशित होनेवाली अंगुलियोंसे जरा दवा कर ग्लासको जल्दीसे उलट दिया ( Met Jeit ) एक मासिक पत्रिका, सूक्ष्म गयेपणापूर्ण जाय, किन्तु ऐसा करने पर भी ग्लामका जल कागजको “एक उपादेय प्रबन्ध प्रकाशित हुआ है। जलीय पाए । छेद कर गिर न सकेगा। दूसरा कारण, ग्लामफे नो. प्रचारके सम्बन्धमें भी इस तरहको स्थानीय फिहरिस्त वायुराशिका उत्क्षेपक चाप है। फागजको विस्तृति और मानचित्र के साथ दियरणी प्रकाशित हो रही है। ४ वर्गाश्च होने पर ३० सेर परिमिस उत्क्षेपक वायुचाप. पारोमिटर यन्त्र के साहाय्पसे जगत्के भिन्न भिन्न अंशको | कागतको ग्लासके मुख ठेलता है। क्योंकि, माध सेर घायफे भारित्यके सम्बन्ध भी वहुनेरे विचरण संगृहीत | जलका मार ३० सैर याय प्रचापकी तुलना पकान्त हो रहे हैं। इसके द्वारा मेघ, टि, तूफान और इसके अकिञ्चिन्कर है। किन्तु किसी प्रकार जल और कागज विपरीत आकाशको निर्मलता आदि यिनिर्णयको यथेट में वायु प्रविष्ट होने पर यह अयक्षेपक और उपक सुविधा है। इस यन्त्र के सम्बन्ध इसके बाद भालो. चाप परस्पर प्रतिहत होगा। सुतरां ग्लामका जल चना की जायेगी। अतिरिक्त भारके कारण कागजके साथ अध:पतित यायुका प्रचार। होगा। वायुका प्रचाप चारो और समान भागसे मौजूद है।। ___.यायुप्रचापमें इस नियमाबलम्पनसे कई तरह के ऊपरसे भी जैसे पायुराशिका नाप बढ़ रहा है, नोचेकी । इन्द्रजालका कौतु भी दिखाया जाता है। मदनछिद्र मोरसे भी इसका नाप वैसे ही ऊपरको उठता है। घड़े में जल लाने की घटना मो सदन हो सम्पन होती निम्नमुख ( Downward ) चाप अवक्षेपक नामसे और है। घड़े फे निम्न देशमें बहुछिद्र रहने पर भी दि अय. ऊर्ध्वमुख (Uprard) चाप उत्क्षेपक नामसे परिचित है। क्षेप यायुका चाप बन्द कर दिया जाये अर्थात् घड़ा (स प्रचापता अस्तित्व परीक्षासे प्रमाणित किया जा जल में डुबा रहने पर हो यदि उसका मुंह अच्छी तरहसे सकता है। पहले अवक्षेपक चापकी परोक्षा प्रदर्शित हो वन्य कर दिया जाये या पहले होमे उसके मुत्रमें एक रही है:- ढकना गोदमे बन्द कर दिया जाय भीर उम ढकने में एक दोनों मुख गुले एके चीड़ी कांचकी नलिका एक छिद्र किया जाय और जलसे ऊपर उठाने. समय मुखको बडको चदरमे यन्द कर और उसे एक रस्मोस मंगुलोफे सहारे छिद्र दृढ़ रूपसे वन्य कर दिया जाये, रघट्टामो चारको अच्छी तरह बांध देना चाहिये, जिससे तो उसके नीचे के सहस्र छिद्र में भी जल नहीं गिरेगा। युलने न पाये। पोछे दूसरे मुद पर मोर लगा कर परोक्षा द्वारा यह प्रमाणित हुआ है कि चारो भोर हो यायु निकालनेयाले यस्तो छेद पर मलिकाको मायूनी-! यायुका चाप समसंस्थित मायम विद्यमान है। यामु से पैटा देना चाहिये। उक्त यन्त्रक सञ्चालन करनेसे निकालनेफे यन्त द्वारा एक टोनर कनन यायु मलसे घायु निकलती रहेगी। अतएव वाहरकी पायु- -निकलने पर और उसफे. भीतर घायु प्रवेश करनेका कोई