पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष एकविंश भाग.djvu/१४५

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. वाप्य वामजुष्ट १३३ बाप्पाको मालूम थी। अतपघ अपने साथियों को साथ | वे तोरके सिंहासन पर अधिष्ठित थे। उनको मृत्युके ले कर बाप्पा यहीं पहुंचे। राजाने बड़े आदरसे उनको बाद उनकी पत्नी सियानभाईने १७३७ से १७४०० रग्या 'और अपना सामन्त बनाया । इससे पहलेके | तक राज्य किया। सामन्तीको बड़ी हा हुई। यहां तक कि एक समय चाम् (सं० पु.) १ गन्ता । २ स्तोता! जब शस्त्र भोंने चित्तौड़ पर चढ़ाई को तथ उग सामन्तोने वाम (सं० लो०) वा (भर्ति स्तु सु हु व क्षीति । उण ११३९) साफ ही कह दिया, कि जिसका आदर करते हो उसी. इति मन् । १ धन । (पु.)२ कामदेव । ३ हर, महादेव । को लड़ने के लिये भेजो। वाप्पाने उस लड़ाई में जयलाभ | ४ कुच, स्तन । ५ भद्राके गर्भसे उत्पन्न श्रीकृष्णके एक किया।। पुत्रका नाम । ( भागवत १०६१।१७) ६ ऋचीकफे एक .. राजा मानमे तिरस्कृन सामन्त इसी चिन्तामें लगे पुत्र का नाम । ७ चन्द्रमाके रथके एक घोड़े का नाम । . थे, कि कोई अच्छा सरदार मिले, तो उसे वित्तौड़का ८ अक्षरोंका पक वर्णवृत्त । इसके प्रत्येक घरणमें सात सिंहासन.दे दें और राजा मानको पदच्युत कर दें। अन्तमें| जगण .और एक यगण होता है। इसे मजरो, मकरन्द सामन्तोने वाला हो को इस काम लिये स्थिर किया। और माधवो भी कहते हैं। यह एक प्रकारका सवैया ही वाप्पाने भी इस कार्य में अपनी सम्मति दे दी। इसोको है। वास्तूक । स्वार्थ कहने हैं। आज याप्पाने अपने आश्रयदाता मामाके त्रि०) धर्मात धम्पते चेति वम उद्दिरणे (न्वलितिकसन्ते. उपकारका कैसा सुन्दर यदला दिया। । भ्यो णः । पा ३१४१४०) इति ण । १० घल्गु, सुन्दर । ११ पचास वर्षसे अधिक अवस्था होने पर वाया रावल | प्रतिकूल, खिलाफ । १२ चननीय, याजनीय । १३ कुटिल, चित्तौष्ठका राज्य . अपने पुत्रोंको ई कर खुरासन चले टेढा । १४ दुध, नीच । १५ जो अच्छा न हो, धुरा। १६ -गये। वहां इन्होंने बहुत सी मुसलमान स्त्रियों से प्याद सव्य, दक्षिण या दाहिनेका उलटा, वायाँ । द्विजको पाये • किया था।. ..

हायसे जलपान धा भोजन नहीं करना चाहिये। बांये

..::चौरकेशरी महाराज पापा रायलने एक सौ वर्षकी . हायसे जलपात्र उठा कर भी जलपान करना उचित पूरो, आयु.पाई थी। इन्होंने काश्मीर, ईराक, ईरान, तुरान | नहीं ।।. और काफरिस्तान भादि देशोंको जोता था और उन] :पामहस्तेनोद्धृत्य पिवेटरषण वा जशम् । 'उग देशोके राजाओं की कन्याथों को व्याहा था। इन्हे .., " नोत्तरेदनुपस्पृश्य नाप मु रेतः समुत्सृजेत् ॥" ३० पुत्र उत्पन्न हुए थे। ( कूर्मपु० १५ १०) घाप्य (सं० को०) पायां भव मिति चापी (दिगादिभ्यो यत् ।। ज्योतिषको प्रश्नगणनामें वाम और दक्षिणमेदसे पा ४१३५४) इति यत् । १ कुष्ठौषध, फुट । (अमर), शुभाशुभ फलाफलका तारतम्य कहा है। . २ शालिधान्यमेव, योवारो धान। ३ पापीभव जल, वामक (सं० त्रि०) १ थाम सम्बन्धीय । (को०) २ गङ्ग- यावलोका पागी। इसका गुण-वातश्लेग्मनाशक, | भडीका एक भेद। (विक्रमोर्वशी ५६।२०) ३ पौद्धमन्यों के 'क्षार, कटु और पित्तवर्द्धक। चप प्यत् । “४ वपनोय। अनुसार एक चक्रवत्तीं। ' सोने योग्य : यामकक्ष (सं० पु०) पक गोत्रकार ऋषिका नाम । इनके याप्रक्षोर (सी०) मामुद्र लवण । (राजनि०) • गोत्र के लोग यामकक्षायण कहे जाते थे। पामर ( स० पु०) १ घेधसंहिताके प्रणेता। शान- याममायण (सं० पु. ) चामलके वंशोत्पन्न एक अपिल दर्पणनिघण्टुकार, याग्भट। . . का नाम। (शतपयवा० २११) । पायाजी भोसले-एक महाराष्ट्र मदार । ये प्रसिद्ध धामश्वरतन्त-एक तन्द्रका नाम । । महाराष्ट्रशरों निवाजोके प्रपितामह थे। यामध (संपु०) जातिमेद। (हरिष श) यामाहव-नियाजोफे धैमाने प माता याडोजोके पौत्र यामष्ट (सप्लोर) यामफेश्वरतन्त्र । Voir , AXI, 34, .