पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टादश भाग.djvu/७६४

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अपत्य ७६१. यौतक-यौधेय यौतकं (स' स्त्री०) युतकयोरिटं युतक अणं युतकमेवेति । यौधाजय (सं०सी० ) सामभेद । : . खार्थे अण वा। यौतुक, दहेज। यौधिक सं० वि० ) युद्धप्रकरणभेद । यौतकि (स० पु० ) युतके गोत्रमें उत्पन्न पुरुष। यौधिष्ठिरि ( स० नि०) युधिष्ठिरस्य इदमिति युधिष्ठिर- (पा ४११०९०)। अण् । १. युधिष्ठिर-सम्बन्धी । (पु.)२ युधिष्ठिरका यौनव (स. क्ली०) परिमाणं। . . . यौतुक (सं० क्ली० ) युतकं योनि-सम्वन्धः तत्र भवमिति यौधिष्ठिरो (सं० स्त्री० ) वासुदेवकी पत्नीविशेष। ठण, युतयोर्वधूवरयोरिदमिति वा । विवाहकालमें दम्पती- यौधेय (स० पु०) योधमई तोति योध ढञ् यद्वा ( पावा- का लब्ध धन, दहेज। अन्न-प्राशनादि संस्कारकालमें . दि यौधेयादिभ्यामणौ। पा ५१३६११७ ) इति खार्थे अञ्। जो धन मिलता है उसे भी यौतुक कहते हैं। परिणयके ) १ योद्धा । २. युधिष्टिरका पुत। यह शैव्यराजका समय वा पुत्रकन्याके संस्कारादि कार्यमें जो धन प्राप्त । दौहिन धा। राजा युधिष्ठिरने शैव्यदेविका नामकी होता है वही यौतुक है। इसमें स्त्रोका अधिकार है, कन्याको स्वयम्वरमें पाया था। इसी कन्याके गर्भसे. इसीसे इसको खोधन कहते हैं। स्त्रीधन यौतुक और यौधेयका जन्म हुआ। (भारत० ११६५॥३६) ३ नृगराज- अयौतुकके भेदसे दो प्रकारका है। इस यौतुक धनकी पहले, पुत्र। (हरिव'ज्ञ ३११२५) . . अदत्ता कन्या अधिकारिणी है. पोछे वागदत्ता और वागयौधेय-युक्तप्रदेशवासी युद्धप्रिय जातिविशेष । मार्क- दत्ताके वाद दत्ता कन्या। इन दत्ता कन्याओंमें पुत्रवती ण्डेयपुराणके ५८वें अध्यायके ४६वे श्लोक तथा विभिन्न वा सम्भावितपुत्रा दोनोंका ही समान अधिकार है। शिलालिपिमें इस जातिका उल्लेख देखनेमें आता है। पुत्रवती वा संम्भावितपुता दोमैंसे कोई नहीं रहने पर! पाणिनिमें इस वोर्यशालों जातिका उल्लेख देख कर प्रत्न- . वन्ध्या वा विधवाका समान अधिकार जानना होगा। तत्त्वविद् लोग मनुमान करते हैं, कि पक्षावके शतद् तीर- इसके बाद पुत्र, दौहित्र, पौत्र, प्रपौल, सपत्नीपुत्र, सपत्नी- वासी इस जातिने अलेकसन्दरको भारत-चढ़ाईके बहुत पौत्र और सपत्नीप्रपौत्र इनका यथाक्रम अधिकार होता पहले योद्धृसमाजमें विशेष प्रतिष्ठा लाभ की थी। यौधेय-. है। अयौतुक स्त्रीधनमें कन्या अधिकारिणी नहीं होगी, । राजाओंकी प्रचलित मुद्रा दिल्ली, लुधियाना, ध्वस्तप्राय पुत्र अधिकारी होगा। । हात नगर और पूर्वसीमामें यमुना तोर तक विस्तृत ____"मातुस्तु यौतुकं यत् स्यात् कुमारीभाग एव सः। । स्थानों में पाई गई है। इससे मालूम होता है, कि एक . दौहित्री एव च हरेदपुत्रस्याखिलं धनं ॥" समय उन लोगोंका राज्य विस्तृत था। सुराष्ट्रके क्षत्रप .. . . . (मनु० ॥१३१) रुद्रदामाको शिलालिपिसे जाना जाता है, कि वे लोग ____माताका यौतुकलव्धधन कुमारीको और अपुन । दक्षिणको ओर भी बढ़े थे। राजा रुद्रदामाने ७२ संवत्में .का धन दौहित्रको मिलना चाहिये। उनके विरुद्ध हथियार उठाया था। दायभाग शब्द देखो। ____ गुप्तसम्राट समुद्रगुप्तकी शिलालिपिमें मालब और यौथिक ( स० वि० ) यूथसघाती। "मामेव मातापितरौ आर्जु नायनके बाद तथा मद्र और आभोरोंके पहले यौधेयों- मातृशानीन यौथिकान्" ( भाग० ५।८।६) 'यौथिकान का स्थान निणींत रहने के कारण बहुतेरे उन्हें वर्तमान यूथस घातिनः । (खामी) । योहिय जातिके वतलाते हैं। वराहमिहिरने हेमताल, यौथ्य (सं० त्रि०) यूथ (संकाशादिभ्यो ययः । पा ४।२८०), गान्धार आदि देशोंके समीप इस देशका उल्लेख इति चतुर्यु अर्थेषु यः। १ यूथसे निवृत्त । २ यूथ- किया है। विशिए, झुण्ड बांध कर रहनेवाला । ३ यूथका अदूर- .ये यौधेयगण युधिष्ठिरतनय यौधेयके वंशधर हैं। भव। | शैष्यवंशीय राजा गोवसनको कन्या देविका इनकी माता यौध (स वि०) युद्धप्रिय, योचा। . Vol. XVIII, 191 ' थीं। पुराणादिमें देविका यौधेग्री, पौराणी आदि नामोंसे