पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टादश भाग.djvu/७६

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मुद्रायन्त्र . किस तरह काष्ठफलकाङ्कित लिपिमालाका व्यय-: कर पोछे ढाले गये थे। सन् १४७३ ई०में नूरेनवर्ग वाहुल्य और अनुपयोगिताका अनुभव कर यूरोपवासी वासी फ्रेडरिक के उजानरने Biogenes के ग्रंथोंके वियुक्त वर्णमाला विन्यास द्वारा मुद्रायन्त्र या छापा | छापनेके समय अक्षरोंको खुदवाया ( Sculpsit ) था। खानेको उपकारिताका हृदयङ्गम किया गया था और इसके दूसरे वर्ष उल्मबासी जोहन जीनेर (Johan Zeiner) किस तरह फलको परस्पर प्रथित अक्षरोंके बदले एक ने पुस्तक मुद्रण कार्यामें उत्तन धातव मुद्राक्षर sta. एक परस्पर-विभिन्न धातव अक्षरको उत्पत्ति और परि-| gneis caracteribus और Joh. Ph, de Lignamine णति हुई थो, नोचे उनका एक संक्षिप्त विवरण देते है।- ने ऐसे अक्षरके व्यवहारको वात लिखी है। १४८० ई०में .. फलकमुद्राङ्कित प्रन्योंको ( block Books ) पहले निकोलस जानसनने दोदाई और ढलाई (Seulptis वायें मुखसे खुदाई होती थी ( The types were , ac conflatis ) अक्षरों द्वारा पुस्तकको छापा। at first designated more by negative than posi । ऊपरमें लिखा जा चुका है, कि पहले कामुफलक पर tire expressions)। यह प्रभूत परिश्रम और अध्य-: हरफ खोद कर पुस्तकोंकी छपाईका काम शुरू हुआ था। वसाय सापेक्ष होने पर भी पढ़नेके समय विशेष सुविधा- इस प्रथासे पुस्तक छपानेमें बहुत खर्च पड़ता था और जनक था। सिवा इसके एक फलक पर एक-एक पृष्ठ । भ्रमसंशोधन या वारंवार छपानेमें असुविधा और अनुप- अङ्कित करनेमें ध्ययवाहुल्य भो दिखाई देता है। इस युक्त विवेचना कर लोग परस्पर विच्छिन्न अक्षरावलो तरहके कायिक परिश्रम और प्रचुर अर्थ व्यय करके भो अक्षरों के निर्माण करनेका उपाय करने लगे। गुटेनवर्ग, पुस्तकके वारंवार मुद्रण और संस्करणके भेदसे ग्रन्थके : फुष्ट और स्कोएफार आदि मुद्रक फलक मुद्राको सहायता आकार परिवर्तनका एकान्त असद्भाव हुआ था । अतएव से पुस्तक छापते थे। सन् १४५७ ई० में फुष्ट और स्को- ऐसे व्यय और परिश्रमको नष्ट कर कोई भी मुद्रित पुस्तक- एफारके यत्नसे जो ' The maine psalter" पुस्तक के प्रचारमें साहसी नहीं हुए। गुटेनवर्ग, फुट, स्को. मुद्रित हुई थी, वह फलकाक्षर ( Block printing ) से एफार आदि शिल्पियोंने खुष्टान सम्प्रदायकी मङ्गल क्रमशः काष्ठ अक्षरों में ( IVooden typs) मुद्राहित कामनासे केवल वाइविल ग्रन्थ ही मुद्रित किया है। होने लगी। सन् १५१६ ई०में इसके पांचवें संस्करण इस जातोय अभावको दूर करनेके लिये उन्नतिका भी | छापते समय पहले संस्करणकी तरह छिद्रोंके काष्ठाक्षरोंक मुद्रण-सम्प्रदाय धीरे-धोरे मुदायन्त्रके संस्कारमें आगे ध्यवहार हुआ था । जुनियासके वर्णनसे मालूम होता। बढ़े। है, कि हालेण्ड वासियोंका Speculum अन्य भो उक्त गुटेनवर्गको वृद्धा अवस्था अर्थात् १४६८ ईमें रूपके अक्षरोंसे छपा था। किंतु यथार्थमें ये अक्षर सव यूरोपमें मुद्राक्षर समूह 'Caragma' caracter या cha- परस्पर पृथक् थे या नहीं, उसका कुछ प्रमाण नहीं' racter' ; १४७३ ई० में 'archetype note' 'Sculptoria) मिलता । सन् १४४८. ई०में Theod Billiander के archetyporumars'; 'Chalcotypa ars', formea; } विवरणसे मालूम देता है, कि पहले फलक पर पुस्तके artificiosoisime imprimendorain librorum forme| सारे पृष्ठों पर मुद्राकरणयोग्य वर्णमाला खुदाई होती थी। आदि नामोंसे प्रचलित थे। सन् १४६८. ई०में यह व्ययसापेक्ष और वहुत ही श्रमसाध्य था। यह देख स्कोपफारका प्रकाशित Grammatica नामक ग्रंथ कर मुद्रकोंने परिवर्तनशील काठका हरफ या अक्षर ढलाई अक्षरका ( Surn fusus libellus) उल्लेख है। तैयार किया । अक्षरोंको एक साथ जोड़ कर रखने के लिये सन् १४७१ ई० में Bernardus cenninus और उसके | उनमें एक एक समान रूपले छेद कर दिया जाता था। उन पुनको 'Virgil' प्रन्थ मुद्रण विवरणीसे मालूम होता है, कि छेदोंमें डोरा पिरो कर उसे रखा जाता था। विवली एण्डाने "Expressis ante calihe caracteribus et deinde ! स्वयं इस तरहके अक्षरोंको देखा था या नहीं, इसका कुछ fusis literis" अर्थात् पहले अक्षरोंको इस्पातमें खोदाई | भी उन्होंने उल्लेख नहीं किया है। वरं इसके वांदके Vol. X VIII. 19 .