पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टादश भाग.djvu/७५८

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७५५ . योनिकन्द-योनिमुद्रा योनिकन्द (सं० पुं० ) योनौ कन्द इव । योनिका. एक ! . योनिसे जीव आदिको उत्पत्ति होती है. इसलिये रोगा इसमें उसके अन्दर एक प्रकारकी गांठ हो जाती जीव आदिकी योनिज कहते हैं। ऐसे जीव दो प्रकारके है और उसमेंसे रक्त या पोप निकलता है। .. होते हैं-जरोयुज और अण्डज । जो जीव गर्भ में पूरा योनिगुण (संपु० ) गर्भका गुण। . . शरीरं धारण करके योनिके बाहर निकलते हैं वे जरा- योनिग्रन्थ ( पु.) छन्दोशास्त्र। .. युज और जो अण्डेसे उत्पन्न होते हैं वे अण्डज योनिच्छेद ((सं० क्लो०) मिस्र, सोमाली आदि अफ्रिका. कहलाते है। . . . ... वासी बालिकाओं की वस्ति और 'जरायुपथको परिष्कार योनित्व (स० क्ली० ) योनेर्भावः त्व । कारणत्व, योनिका .रख कर अवशिष्ट दोनों योनिकपाटमें सूई भेदना ।। भाव या धर्म । .अफ्रिकावासो अपनी अपनी कन्याभोंके भगाकुरको योनिदेवता (स. स्त्री० ) योनिर्देवता यस्य । पूर्व फल्गुनो . . छेद कर उक्त दोनों. मार्ग छोड़ समस्त योनिकपाटके | नक्षत्र । दोनों पावको छिल. देते और सूईसे जोड़ देते हैं। योनिदेश (स० पु० ) १ जरायुकुसुम । २ योनिस्थान, . . .उनका विश्वास है, कि इस प्रकार घोनिका संकीर्ण कर | भग। देनेसे. गुप्तप्रणयमें आसक्त हो कन्या सङ्गम सुखका भोग योनिदोष ( स० पु० ) १ उपदंश रोग, गरमी । २ स्त्री- नहीं कर सकती । आठ वर्ष तकको कन्याओंकी सतीत्व | रोग। रक्षाके लिये ऐसी व्यवस्था की गई है। किन्तु सोमाली योनिद्वार (स' क्लो०.) योनेर । १ भगद्वार । २ गया- .. युवतियोंका. साधारणतः १५१६ वर्षमें विवाह होतो है | धामके एक तीर्थका नाम । इस तीर्थमें स्नान करनेसे जिससे वे विवाहके पहले भी कुकर्म कर सकती हैं। बड़ा पुण्य होता है। .यहां तक कि कन्याका पिता भावी जमाईसे योनिन् (सं० वि०) योनिविशिष्ट, भगयुक्त। . भी कभी कभी रात भरके लिये १२ डालर ले कर दोनों योनिनासा (संस्त्रो०) योनिके दोनों कवारोंके अन्दर को सहवास सुत्रसे रात विताने देते हैं। ऐसे सहवास- नासिकाकृति स्थान, कोट । से यदि गर्भका लक्षण दिखाई हो तो विशेष कलङ्ककी योनिपूजा (स'० स्रो०) योनियन्त्र लिख कर तान्त्रिक बात है। इस समय दोनोंको दाम्पत्यसूत्र में आवद्ध मतसे देवताकी आराधनो। ( प्राणतोषिणी) : करनेके सिवा कौलिक . मर्यादारक्षाका दूसरा उपाय नहीं योनिफूल (हिं. पु० ) योनिके अन्दरको वह गांउ जिसके है। इसी कारण वालिकावस्थाकी संवद्ध योनि विवाह ऊपर एक छेद होता है। इसी छेदमेंसे हो कर वीर्य के बाद स्वयं वर ..अथवा किसी नीच जातिको स्त्री गर्भाशयमें प्रवेश करता है। . .. .. हथियारसे खोल. देती है। इस समय जब कन्याको योनिभ्रंश (सं० पु. ) योननंशः। योनिका एक रोग वरके साथ एक घरमें बंद रखा जाता है, तव वाहरमें जिसमें गर्भाशय अपने स्थानसे कुछ हट जाता है। . दूसरे दूसरे लोग वाजा वजाते हैं जिससे बाहरका कोई योनिमत् (सं० त्रि०) गम सम्बन्धीय या. मातुसम्बन्धीय । भी आदमी योनि फाडनेसे होनेवाला. कन्याका चीत्कार योनिमुक्त ( स० त्रि०) मोक्षप्राप्त, जो बार वार जन्म न सुन सके.। . . . ....... . . . . . . लेनेसे मुक्त हो गया हो। : . .. ..: योनिज ( स० वि० ) योनेर्जायते इति. जन-ड। योनि योनिमुद्रा (सं० स्त्रो०) योन्याकृति मुद्रा हस्तभङ्गी। निःसृत शरीरादि,...जिसकी उत्पत्ति योनिसे हुई हो, मुद्राविशेष । देवतादिकी पूजामें मुद्रा-प्रदर्शन करना जरायुज. और अण्डज़ प्राणिसमूह.1.:... . होता है। . . . .. . . : "सा च त्रिधा भवेद्दह इन्द्रिय विषयस्तथा। .....

___ कालिकापुराणमें योनिमुद्राका नियम . इस प्रकार .: योनिजादिभवेदोहे इन्द्रिय प्राणलक्षणम् ॥". . . . लिखा है, दोनों हाथकी उंगलियोंको संयोजित कर .. (भाषापरिच्छेद) · | दोनों हाथकी कनिष्ठाको वातुल्य वद्ध और संयुक्त करे,