पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टादश भाग.djvu/७५६

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७५३ • योधराष-योनि योधराव-योधपुराधिपति राजा रणमल्लके पुत्र। ये | योधिन् (संलि०) युध-इन् । युद्धकारी, लड़ाई • कन्नोजाधिति राठौर-कुलतिलक जयचन्दके पुत्र करनेवाला। शिवाजोके वंशधर थे। .१४५६ ई० में (किसी किसीके योधिवन (संपु०) एक प्राचीन जङ्गलका नाम। • मतसे १४३२ ई० ) में ये योधपुर नगरको प्रतिष्ठा कर | योधिया-वम्बई प्रदेशके काठियावाड़ विभागके नवनगर मन्दोरसे वहां राजपाट उठा लाये। नगर स्थापन करने के राज्यके अन्तर्गत एक नगर और प्रधान वन्दर । यह अक्षा० प्रायः ३० वर्ष तक राज्य कर इनका स्वर्गवास हुआ। २२.४० उ० तथा देशा० ७० २६३० पू०के मध्य इनके चौदहवें पुत्रोंने पिताके जीते हीमें अपने अपने कच्छोपसागरके दक्षिण-पूर्व किनारे अवस्थित है। पहले भुजवलसे मरुराज्य विस्तार किया था। . यहां मत्स्यजीवीका बासस्थान एक बड़ा प्राम था। अभी योधसंराव (संपु०) सोधानां सरावः। सिपाहियों- यहां सूती और पशमीनेका जोरों वाणिज्य चलता है।.. का युद्ध में जानेके लिये एक दूसरेको बुलाना। यहां एक दुर्ग, राजप्रासाद, दरवारगृह और विचार भदा- योधसिह-पजावके एक शिख सरदार। । लत हैं जो समुद्रके किनारेसे थोड़ी ही दूर पड़ते हैं। योधा (स० पु० ) योद्ध देखा। परधारी, वलम्बा, हरियाना और वनस्थली नामक चार योधागार (स.पु० ) योधस्य आगारः। योधोंका , उपविभाग ले कर योधियमहल-राजस्व-विभाग संगठित आगार, सिपाहियोंके रहनेका घर। हुआ है। योधावाई-जोधपुरके राजा मालदेवकी पुत्री और उदयः योधीयस ( स० वि०) अयमेषामतिशयेन योधः योध- सिंहको वहिन । उदयसिंहने अकवरका प्रसाद पानेके । ". ईयसुन् । योद्ध तभ, वड़ा मारी योद्धा । लिये अपनी बहन योधावाईका ध्याह अकवरसे किया । था। यह ध्याह १५६६ ई में हुआ था। इन्हींके गर्भसे ५ योधेय (स० पु०) युध-भावे घञ्, योध युद्ध करोतीति । ख। योद्धा, सिपाही। सलीमका जन्म हुआ। यह अकवरको हिन्दुयोंके साथ '. ", योध्य ( स० वि० ) युध-ण्यत् । योधनीय, युद्ध करनेके अच्छा व्यवहार करनेके लिये उपदेश दिया करती थीं। । योग्य। जोधावाई देखो।। योधावाई-जोधपुरराज उदयसिंहकी पुत्रो और राजा, 'योनल ( स० पु० ) यवस्य नल इव नलः काण्डोऽस्य, मालदेवकी पौत्री। उदयसिंहने अकवरका प्रसाद पाने- | पृषोदादित्वात् साधुः । शल्यविशेष, मक्का या जोन्हरी। के लिये फिरसे अपनी पुत्रो योधावाईका ध्याह १५८५ ई० पर्याय-यवनाल, जूर्णाहय, देवधान्य, जेएडोला, वीज- में मिर्जा सलीम (जहांगीर)-से किया था। इस कन्याका पुष्पिका । (हेम) नाम जगत्गौसायिनी और वालमती था। जोधपुरराज- योनि (सं० पु० स्त्रो०) यौति संयोजयतीति यु (वहि श्रिभु युगु- कन्या होनेके कारण मुगल-सरकारमें ये भी अपनी ग्लाहात्वरिभ्यो नित् । उण ४५१) इति नि। १ आकर, फूफीकी तरह योधाबाई नामसे प्रसिद्ध हुई। इनके खान। (मेदिनी) २ उत्पादक कारण, वह जिससे कोई गर्भसे सम्राट शाहजहानका जन्म हुआ (१५६२ ई में)।। वस्तु उत्पन्न हो। ३जल, पानी। ४ कुशद्वीपस्थित १६१६ ई०में आगरा नगरमें इनकी मृत्यु हुई और अपनी नदीविशेष, कुशद्वीपकी एक नदीका नाम । (मार्क०पु. इच्छासे निर्मित सोहागपुरके प्रासादपार्श्वस्थ समाधि- १२१७१) ५ तन्त्रसारविशेष, योनियन्त्र । ६ प्राणियोंका मन्दिरमें इन्हें दफनाया गया था। आज भी वहां उस उत्पत्तिस्थान। पुराणानुसार इनकी संख्या चौरासी राजप्रासाद और समाधिमन्दिरका ध्वंसावशेष देखने में लाख है। अण्डज, स्वेदज,. उद्भिज और जरा. 'आता है। युजके भेदसे यह चार प्रकारका है। इनमेंसे २१ लाख योधावाईमुगल सम्राट जहांगोरकी राजपूतपत्नी। ये अण्डज, २१ लाख स्वेदज, २१ लाख उद्भिज और २१ वीकानेरराज रायसिंहको कन्या थी और वेगममहलमें लाख जरायुज हैं। जीव इन चौरासी लाख योनिमें योधाबाई नामसे परिचित थीं। | अपने कर्मफलानुसार परिभ्रमण करते हैं। इनमेंसे Vol. XVIII, 189