पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टादश भाग.djvu/७५१

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७४८ योगीश-योग्यता . योगीश (सपु०) योगिनामीशः। १ योगीश्वर। २. योगेश्वरी ( स० स्त्री०) योगिनामीश्वरी। १ दुर्गा । २ बहुत बड़ा योगी! ३ याज्ञवल्क्यका एक नाम। इन्हें वन्ध्याकर्कोटकी, बांझ ककोड़ा। ३ नागदमनी, नाग- योगी याज्ञवल्क्य भी कहते हैं। ४ ललिताक्रमदीपिकाके | दौना । ४ शनिमूर्तिभेद । ( सह्याद्रिख० ३३।१२७) रचयिता। | योगेष्ट ( स० क्लो०) योगे सन्धिच्छिद्रादिपूरणे इष्ट । योगीश्वर (स० पु० ) योगिनामीश्वरः। १ योगियोंमें | सीसक, सीसा । श्रेष्ठ। २ याज्ञवल्क्यमुनि। ३ दानवाक्यसमुच्चयके | योगैश्वर्य ( स० क्लो०) योगस्य ऐश्वयं । योगका ऐश्वर्य । प्रणेता। ४ महादेव। योग सिद्ध होने पर जो ऐश्वर्य प्राप्त होता है उसका नाम योगीश्वरी ( स० स्त्री० ) योगिनामीश्वरी । दुर्गा । | योगैश्वर, अणिमादि ऐश्वर्य है। योगेन्द्र (स० पु०) योगियों में श्रेष्ठ, महायोगी। योगोपनिषद् (सं० स्त्री० ) एक उपनिषद्का नाम । योगेन्द्ररस-रसौषधविशेष। इसके बनानेका तरीका- योग्य (स' त्रि०) योज्यते इति युज -णिच -ण्यत्, वा विशुद्ध रससिंदुर एक तोला तथा सोना, कांती लोहा, योगाय प्रभवति योग ( योगायच्च । पा ५॥२१०३ ) इति अभ्रक, मोती और वंग प्रत्येक आध तोला; इन सब यत्। १ प्रवीण, चालाक, होशियार । २ योगाह, किसी द्रव्योंको घृतकुमारीके रसमें भिगो कर तीन दिन तक ! काममें लगाये जानेके उपयुक्त। ३ शील, गुण, शक्ति, धानकी ढेरमें रख छोड़े। पीछे २ रत्तीकी गोली बना । विद्या आदिसे युक्त, श्रेष्ठ। ४ युक्ति भिड़ानेवाला, त्रिफलाके पानी अथवा चीनीके साथ अवस्थानुसार उपाय लगानेवाला। ५ उचित, मुनासिव। ६ जोतने सेवन करावे । यह योगवाहिरस वातपित्तसे उत्पन्न सव लायक । ७ जोड़ने लायक। ८ दर्शनीय, सुन्दर । ६ प्रकारके रोगों में उपयोगी है। इससे प्रमेह, वहुमूत्र, आदरणीय, माननीय। (पु० ) १० पुण्या नक्षत्र । ११ मूत्राघात, अपस्मार, भगन्दर आदि गुदामय, उन्माद, | ऋद्धि नामक आषधि । १२ वृद्धि नामक ओषधि । १३ मूर्छा, यक्ष्मा, पक्षाघात आदि सदाके लिये जाता रहता | | रथ, गाड़ी । १४ चन्दन । है। दुर्बल रोगीको रातमें गायका दूध खाना चाहिये। योग्यता (स' स्त्री० ) योगस्य भावः योग्य-तल टाप् । १ योगेश (स.पु०) योगस्य ईशः। १ बहुत बड़ा योगी। क्षमता, लायकी । २ सामर्थ्य । ३ वड़ाई। ४ बुद्धिमानो, २ याज्ञवल्क्य मुनि । ( हेम) लियाकत । ५ अनुकूलता, मुनासिवत। ६ गुण । ७ योगेश्वर ( स० पु०) योगीनामीश्वरः। १ श्रीकृष्ण। इजत । ८ औकात। ६ स्वाभाविक चुनाव । १० उप- ( भाग० १११ अ०) २ शिव। ३ देवहोत्रके एक पुत्रका युक्तता। ११ शान्दवोधकारणविशेष । योग्यता रहने पर नाम । ४ बहुत बड़ा योगी, योगीश्वर । पुराणों में नौ बहुत शाब्दबोध होता है ; योग्यता, आकांक्षा और आसक्ति- बडे योगी अथवा योगेश्वर माने गये हैं जिनके नाम इस युक्त पद वाक्य कहलाता है। जहां पदार्थके परस्पर प्रकार हैं, कवि (शुक्राचाय ), हरि (नारायण ऋषि), सम्बन्धमें किसी तरहका झझट नहीं रहता वहां योग्यता अन्तरिक्ष, प्रबुद्ध, पिप्पलायन, आविहोत, दुमिल (दुर-, होती है। 'वहिनना सिञ्चति' आगसे सेक करता हैं यहां मिल), चमस और करभाजन । ५ एक तीर्थका नाम 1 | पदार्थका परस्पर संबंध नहीं होता इसलिये यह वाक्य योगेश्वर-एक कवि। २ खेचरचन्द्रिका और योगेश्वर योग्यताके अभावसे ठीक वाक्य न हुआ। पद्धतिके रचयिता । ३ ब्रह्मवोधिनीके प्रणेता। (साहित्यदर्पण १३६) योगेश्वर-हिमालयके एक शिव । नैयायिकोंक मतसे किसी पदार्थ में उसी पदार्थको वत्ता- योगेश्वरचक्र ( स० क्लो०) चक्रभेद । (प्राणतोपिणी ) का नाम योग्यता है अर्थात् एक पदार्थ के साथ दूसरे योगेश्वरतीर्थ ( स० क्लो०) एक तीथका नाम । पदार्थका जो सम्बन्ध है वही योग्यता कहलाता है । पुराने योगेश्वरत्व ( स. क्ली० ) योश्वरस्य भावः त्व । योगेश्वर- नैयायिक योग्यताको शाब्दबोधका कारण वतलाते हैं, पर का भाव या धर्म, योगैश्चर्य। . . . . | नये नैयायिक इसको नहीं मानते।