पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टादश भाग.djvu/७३२

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७२६ योगशिक्षा-योगाङ्ग ग्रन्थ योगसमाधि (सं० पु०) योगेन समाधिः, वह समाधि जो ग्रन्थकार . योगसे हो । योग जब सिद्ध हो जाता है तव सम्प्रहात समाधिप्रकरण और पीछे असम्प्रज्ञात समाधि प्राप्त होती है। . सांख्याप्रवचन या पातञ्जल-योगसूत्र सांख्ययोगदीपिका योगसत्य (सं० पु.) किसीका वह नाम जो उसे किसी प्रकारके योगके कारण प्राप्त हो। सारगीता सिद्धखण्ड रामचन्द्र सिद्ध योगसार ( सं० पु० ) योगस्यौषधप्रयोगस्य सारः। सिद्धपाद (हठप्रदोपिकाधृत) सर्वरोगहरणोपाय, वह उपाय या साधन जिससे मनुष्य सिद्धबुद्ध (हउदीपिकाधृत) सदाके लिये रोगसे मुक्त हो जाय। वैद्यकमें ऋतुचर्याके सिद्धसिद्धान्त निमानन्द सिद्ध अन्तर्गत ऐसे उपायोको वर्णन है। भिन्न भिन्न ऋतुओंमें सिद्धान्तपद्धति गोरक्षनाथ भिन्न भिन्न निषिद्ध पदार्थोंका त्याग और संयम आदि सुरानन्द ( हठप्रदीपिकाधृत) इसके अन्तर्गत है। स्पर्शयोगशास्त्र (सुन्दरदेवधृत) योगसिद्ध (सं० पु.) योगेन सिद्धः। वह जिसने योग- खात्माराम या आत्माराम योगीन्द की सिद्धि प्राप्त कर लो हो, योगो। (हठदीपिकाकार) योगसिद्धा (स० स्त्रो०) पुराणानुसार वाचस्पतिको एक स्वरोदय ध्यास वहनका नाम। हठतखकौमुदी सुन्दरदेव योगसिद्धिप्रक्रिया (सं० स्त्री०) योगस्य सिद्ध प्रक्रिया। हठपदीपिका या हठ- योगसिद्धिका उपाय, यह प्रक्रिया जिसके अवलम्बन दीपिका १स्वात्माराम, २ चिंतामणि करनेसे योगसिद्धि होती है। हठप्रदीपिकाज्योत्स्नाटोका १ ब्रह्मानन्द योगसिद्धिमत् (सं०नि०) योगसिद्धि-विधतेऽस्य मतुप् । २ उमापति, ३ रामानन्दतीर्थ, योगसिद्धियुक्त, वह जिसने योग द्वारा विविध सिद्धि ४ ब्रजभूषण और ५ महादेव प्राप्त की है। हठयोग १ आदिनाथ और गोरक्षनाथ योगसूत्र (सं० क्ली० ) योगप्रतिपादक सूत्र । महर्षि पत- हठयोगविवेक · वामदेव अलिके बनाये हुए योगसम्बन्धी सूत्रोंका संग्रह । पतञ्जलि- हठयोगसंग्रह मथुरानाथ शुक्ल ने इन सब सूत्रोंमें योग विधिके नियम आदि बतलाये हठयोगाधिराज हैं इसलिये उसे योगसूत्र कहते हैं। योगशास्त्र देखो । हठयोगाधिराजटीका रामानन्द तीर्थ योगसेवा (सं० स्त्री० ) योगसाधन, योगचर्या । हठयोगाधिराजसंग्रह रामानन्द तीर्थ योगस्थ (सं० वि०) जो योगावलम्बन करते हैं। • हठरत्नावली (सुन्दरदेवधूत) योगा (संस्त्री०) सीताकी एक सखीका नाम । हठसंकेतचन्द्रिका १ शंकरदास और योगाकर्षण (सं. क्ली०) योग और आकर्षण । यह (विश्वनाथके लड़के) आकर्षण शक्ति जिसके कारण परमाणु मिले रहते हैं २ सुन्दरदेव हरिहरयोग और अलग नहीं होते। योगशिक्षा (सं० स्त्री०) योगस्य शिक्षा। १ योगाभ्यास ।। | योगागम (सं० पु० ) योगशास्त्र। २ एक उपनिषद्को नाम। इस योगशिखा भी कहते हैं। योगाग्निमय (सं० त्रि०) योगरूप वहि या शक्तिसमन्वित योगस् (सं० क्लो०) पुज् ( अञ्च्यजियुनिभनिभ्या कुश्च । उय योग द्वारा सिद्ध । VR१५) इति असुन् , कवर्गश्चान्तादेशः। १ समाधि। योगाङ्ग (सं० लो० ) योगस्य अङ्ग। पतञ्जलिके अनु. २काल। सार योगके पाठ अंग। ये इस प्रकार हैं,-यम, नियम, Vol. XVIII, 188 शिव