पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टादश भाग.djvu/६६१

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यारी नाम सुना जाता है उनमें पगला-कानाई श्रेष्ठ है। यशोर । शादी की। इन दोनों वीवोका नाम था बीबी फतिमा जिलेमें उसकी वासभूमि थी। उसके पिमाका नाम कुडल और बीवी हनुफा। फतिमाके गर्भसे इमाम हसन और शेख और छोटे भाईका नाम उजल था। बचपनसे ही होसेन तथा बीवी हनुफाके गर्भसे महम्मद हनिफाका कानाई कोई विषय ले कर रात दिन चिन्ता करता था। जन्म हुआ। दमास्कके दुर्दन्त राजा अजिदके कोष में इसी कारण उसका पिता उसे 'पगला-कानाई' कह कर | पड़ कर जव इमाम हसन और हुसेन मारे गये तब हसन- पुकारता था। उसे रूप, शिक्षा वा वंशगौरव कुछ भी के पुत्र जयनाल आवेदिनने सारी घटना अपने चाचा न था। बहुत दरिद्र कृषककुलमें जन्म हुआ था। खेती-| हनीफाके पास लिख भेजी। उस समय हनोफा वानो- चारी ही उसकी पैतृक उपजीविका थी । यौवनके प्रारम्भ- याजी नामक देशमें राज्य करता था। शोचनीय परि- में कानाई मागुराके निकटवत्ती बाँसकोटाका चक्रवत्तोंके , णाम जान कर हनीफा दलवलके साथ मदिनाको ओर वेड़वाड़ी ग्रामकी नोलकोठोमें २१ रु० महीना पर खलासी- रवाना हुआ। मदिनामें आ कर उसने आजिदको एक का काम करता था। जब वह बड़े मैदानमें नीलको पत्र लिखा। जवावमें आजिदने युद्धके लिये ललकारा देखभाल करता था, उस समय प्रकृतिदेवी उसे अपनी वस फिर क्या था दोनोंमें युद्ध छिड़ गया। दुर्मति गोदमें मानो पुतकी तरह ले कर अपूर्व शक्ति प्रदान माजिद पराजित और निहत हुआ। इसके बाद सर्वाने करती थी। शस्यश्यामला प्रकृतिके लीलाक्षेत्र में खड़ा जयनालको वुला कर पितृपद पर अभिषिक्त किया और रह कर कानाई अपने रचित गीतका गान करता था। हमामरूपमें उसकी पूजा की। पगला कानाई जब यह इसी समयसे वह गोतकी रचना करने लगा। थोड़े ही | पाला गाता था, तव सभी आत्मविस्तृत हो वह शोकावह दिनोंके बाद कानाई नौकरीको लात मार घर चला | धमकाहिनी सुनते थे। और तो क्या, रङ्गमञ्च पर मानो आया। पहले तो वह अपने साथियोंको स्वरचित गान | करुण रसको धारा बहती थी। सुनाया करता था। पीछे उसकी यह अपूर्ण गोतरवना आज भी यशोर, खुलना, और फरीदपुर जिलेमें जो शक्तिकी वात चारों ओर फैल गई। दूर दूरसे लोग जारी प्रचलित है, वह उसी पगला कानाईके आदर्श पर कानाईका गान सुनने आने लगे। कुछ दिन बाद एक रचा गया है। यहां तक, कि हमेशा धर्ममूलक गान प्रधान जारी-गायकने कानाईको अपने दलमें नियुक्त करते करते कानाईका हृदय धर्मप्राणतामें तन्मम हो गया किया। उसके दलमें कुछ दिन रह कर कानाईने अपने था। वह निरक्षर था, कभी भी कोई शास्त्र नहीं पढ़ा, भाई उजलको ले कर एक नया दल खड़ा किया । उजल- फिर भी महोच्च आध्यात्मिक भाव इस प्रकार प्रकाशित को वह प्राणके समान चाहता था। इसी कारण उसके | करता था, कि कोई भी उसे मूर्ख नहीं कह सकता था। गीतमें उजलका भी नाम देखा जाता है। किन्तु उजल | भक्तके सरल प्राणमें अनेक समय जो उच्च तत्त्व स्वभावतः उसे उतना प्यार नहीं करता। उजल आडम्वर-प्रिय था, हो प्रकाशित होता है, वह साधु व्यकि ही जानते हैं । किन्तु कानाई सीधी चालसे चलता था। पगला कानाई- पगला कानाईने सर्वदा तत्त्वज्ञान गाते गाते .हृदयको के जारी-गोत बहुतसे हैं, पर स्थानाभावसे उनका उल्लेख ऐसा दृढ़ कर लिया था कि वह मृत्युसे कभी भी नहीं न किया गया। सरस्वती वन्दना, गणेश चन्दना, भग-1 डरता। वतो-वन्दना, भल्लाको वन्दना मादि मङ्गलाचरण गीतके ____पगला कानाईके जैसे और भी कितने निरक्षर कवि वाद जारीका माला आरम्भ होता है। जारीमें नाना कृषिपल्ली दोनदरिद्रोंके घरमें आविर्भूत हो इस प्रकार विषयक पाला रहने पर भी हनीफा और जयनालका अपूर्वाकृतित्व दिखा गये हैं। किन्तु दुःखका विषय है, पाला हो प्रधानतः गाया जाता है। इस पालेकी कहानी, कि वङ्गसाहित्यमें उन्हें स्थान नहीं दिया गया। एक इस प्रकार है:- समय बङ्गालका प्रत्येक ग्राम इसी प्रकार स्वभावकविके हजरत महम्मद मुस्ताफाके जमाई हजरत अलीने दो। गानसे धन्य होता तथा विशुद्ध आमोदका अनुभव करता