मुद्रातत्त्व (यूरोपोय) प्रतिमूत्ति है। ष्टुवार्टके शासनकालमें भी पदकशिल्प वर्तमान इटली और सिसली। का विशेष उत्कर्ष देखा जाता है। अद्वितीय शिल्प प्राचीन मुद्राके वाद ही अष्ट्रागथ और लम्बादियोंने Briot Rawlin-ने इस समय अच्छी प्रसिद्ध पाई थी। यहां मुद्रा चलाई थी। पोछे मुसलमानोंके हाथसे इस तभोसे अंगरेजी मुद्रा और पदकके शिल्पमें कोई शिल्पकी हास और परिवर्तन हुआ। इसके बाद विशेषता नहीं देखी जाती। फ्लोरेन्सका मुद्राशिल्प उल्लेखनीय है। अनन्तर जेनोभा स्काटलैण्डकी मुद्रा साधारणतः अंगरेजीम द्राके और मिनिसकी मुद्रा ही तमाम प्रचलित हुई थी । ढंग पर बनी है। कहीं कहीं शिल्पको न्यूनता देखी | इटली के पदक मुद्राशिल्पके सुन्दर उदाहरण हैं। मिलान जाती है। १५वीं और १६वीं सदी में स्काटलैण्डके शिल्प | नगरको मुद्रा भी सौन्दर्य में कम नहीं है। ने बहुत कुछ उन्नति को । रानी मेरोकी मुद्रा पर उनकी | गियोवनी दोण्डालो (Gioranni Dondalo) के सौन्दर्य-शालिनो प्रतिमूर्ति ही विशेष उल्लेखनीय है। मुद्राशिल्पका उत्कृष्ट आदर्श है। आयरलैण्डकी मद्रा पर कोई विशेषता नहीं है। प्राचीन रोमनगरके मध्ययुगको मुद्रामें कोई विचित्रता नहीं डेन लोगोंकी मुद्रा हो केवल ऐतिहासिकोका अलोच्य | है, परन्तु इससे अनेक समस्याकी पूर्ति हुई है। विषय है। श्य जेम्सको मुद्रा पर कुछ विशेषता देखील ७म क्लेमेण्टके समयसे पोपकी प्रधानता मुद्रातलमें जाती है। स्पष्ट दिखाई देती है। बेलजियम और हालण्डके मुद्राशिल्पमें कोई | इटलीके पदक शिल्पनैपुण्यका सुन्दर निदर्शन है। ये फर्क नहीं है। वह केवल फ्रान्स और जर्मनीका अनु। सव प्राचीन शिल्पके अनुकरण हैं । मारि और डि पास्ति, करण है। सिर्फ प्रोटेष्टाएट सम्प्रदाय द्वारा जो सव । एजेलो, वलडू, स्निराण्डियो, जेण्टाइल वेलिनी, गाम्बेलो, पदक प्रचारित हैं उनमें थोड़ा बहुत शिल्पोत्कपं देखा फ्रान्सेस्को, फन्सिया आदि शिल्पियोंकी नामावली और लाता है। १६वी और १७वों सदीके वहुतसे पदक कोर्ति बड़े कौशलसे पदकमें खोदी गई है। पदकके पाये गये है। उनसे उस समयका इतिहास बहुत कुछ तलमें अङ्कित पिसानोको पौराणिक चित्रशाला और जाना जाता है। लिडेन नगरीका अवरोध और सेन्ना- नीतिगर्भ-चित्रावली शिल्प आदर्शमें उच्च आसन पानेकी चेरिव (Sennaclherilb's) का सैन्यध्वंस आदि घटना योग्य है। मुद्राकी पीठ पर अडिन्त हुई है। पास्तिने पदकके तल में सिजसमण्डको महिपो साइ- विलियम दि साइलेण्टको गुप्तहत्या तथा अरमाडा- सोटाका जो चित्र अङ्कित किया है वह अत्यन्त सुन्दर हैं की पराजय भी मुद्रा और पदकमें अङ्कित है। ओल- वेलिनिके पदकमें कनस्तान्तिनोपलके विजेता द्वितीय न्दाज प्रजातन्त्रका इतिहास इसमें अच्छी तरह झलक महम्मदका जो चित्र अङ्कित किया गया है वह सर्वोत्कृष्ट है। परवत्ती कालमें मुद्राशिल्पी कामिनोने उनके पूर्व स्विजरलैण्डकी मुद्रामें बहुत सी विचित्र घटनाओंका पुरुषोंकी प्रतिभाको कुछ घटा दिया था। पोपोंकी समावेश है। फ्रान्क्रिस मोहरके वाद सालमनका रौप्य- | मुद्रासे परवत्ती रोमक शिल्पका पूर्ण परिचय पाया खण्ड देखने में आता है। १०वीं स १३ सदी तक सुआ- वियन मुद्राका ही अधिक प्रचार देखा जाता है। श्य; जाता है। क्रेडिरिकके समय शासनकालमें खोजलैण्डके मुद्राशिल्प. जर्मनीकी मुद्राका धारावाहिक श्रेणोनिर्णय करना की बड़ी उन्नति हुई थी। १४वीं सदी में स्वीसोंने प्रवल । हो कर मुद्राका प्रचार किया। पोछे फरासी-आक्रमण- बहुत कठिन है। यह इटली मुद्राका अनुकरणमात्र है। म फ्रेडरिक और श्य फ्रेडरिकको मुद्राका तमाम यूरोप कालमें खोजलेण्डको मुद्राकी स्वाधीनता जाती रही। १म फड जेनेभा और लुसानो नगरको मुद्रा पर विशेष शिल्पनैपुण्य ! में प्रचार हुआ था। १म माकिसमिलियनके शासन- | कालमें इस शिल्पकी विशेष उन्नति हुई थी। इस देखा जाता है।
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