पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टादश भाग.djvu/६०५

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६०२ यहूदी नहीं रहता। हल्दीका रश्म अदा हो जाने पर कई नव- । हैं वह मूल्यवान् रेशमी पोशाकसे सुसजित ताई। युवतियां उसके माथे पर चन्दन चढ़ाती और कागजका | शिरमें पगड़ो, कांधेमें शेहरा बांधती हैं । उपस्थित सधवागण पान सुपारी ले दुपट्टा और कमरमें तल- वार लटकती रहती है। पगडी पर शेहरा कर विदा होती हैं। प्रायः सात बजे फिर घे आती और वांधा जाता है और कण्ठ, बाहु और उंगली में घरके लिये दूध औटती या उबालती तथा अन्न सिद्ध सोनेके गहने पहनाये जाते हैं । इसके बाद शिरसे पैर करती हैं। वरको चौकी पर बैठा कर हाथ पैरमें हेना | तक फूलको मालासे विभूषित किया जाता है। फिर लगा कपड़े से हाथ पैर बांध रखती हैं। पीछे कन्या घर हाथमें नारियल ले बड़े समारोहके साथ भजनालयको जा कर वहां भी पूर्ववत् कन्याके हाथ पैरमें हेना लगा | जाता है। यात्राके समय आत्मायगण मन्त्र पढ़ते हैं कर चली आती है। वरक घर चष्य-चोष्य-लह्य पेय क्रम- और वरको एक सुसजित घोड़े पर बैठा कर घोडे के से भोग होता है। भोजनके बाद वे अपने अपने घर | सामने दाहने पैर पर एक मुरगोका अण्डा तोड़ते हैं या चली जाती है। इसके दूसरे दिन 'निथ' या पितृभोज | भूमिमें नारियलको हो पटकते हैं। भजनालयमें वर- होता है। इसके उपलक्षमें विवाहमण्डपमें वरपक्षीयगण | कन्याको ला कर गैठजुड़ाव' कर हाजान एक चौकी पर निमन्त्रित किये जाते हैं। इस मण्डपमें एक बड़ी लम्बी उन दोनोंको सम्मुख बैठा कर आमन्त्रित व्यक्तियोंकी चौड़ो सफेद चहर विछाई जाती है। उसके बीचमें एक । अनुमतिसे विवाहका हिब्रु मन्त्र पढ़ता है । हाजानक पित्तल या फूलकी थालीमें जवका आटा, कुछ अन्न, निर्देशानुसार वर और अभ्यागतगण इस तरह मन्त्र पाठ नारियलका गुदा, चीनी, वकरेका यकृत, गजा, सब्जी करते हैं- साग, थोड़ा गुड़, मकान, एक रोटी और एक प्याला | ___वर-(एक अंगुठी और द्राक्षा या अदरकका रस एक शराव, सफेद कपड़ा दान कर रखा जाता है। मुकादम- चांदीके प्याले में ले कर) 'गुरुजनोंके आज्ञासे मैं कायम के अनुरोधसे हाजान प्राय १५ मिनट तक हिब्रु भाषामें प्रवृत्त होऊ, हमलोगों पर जिनकी असीम दया है, उन्हीं' स्तव पाठ कर उपस्थित मण्डलीको यह प्रसाद बांट प्रभुका गुणगान करू।' अभ्यागत-'भगवान् मङ्गल देता है। इसके बाद महाभोज समाप्त होने पर कन्या | | करें।' वर--'इसरायल सन्तानोंकी शान्ति-वृद्धि हो।' पक्षवाले वर पक्षको आमन्त्रित करते है। यहां भी मार अभ्यागत-'जेरुसलेमकी भी शान्ति हो। . वाड़ियोंकी तरह सजनगोटका आनन्द किया जाता है। ___ वर-फिर पुण्यमन्दिर बने । एलिसा और मूसा फिर इसके बाद नाई वरका चूड़ाकरण संस्कार करता है। आयें और इसरायल सन्तानोंके हृदयमें सुखशान्तिका फिर वरपक्षसे 'वरी' आदि उपढौफन कन्याके घर विधान करें। स्वस्ति हे प्रभु जगन्नाथ ! जिन्होंने द्राक्षा- भेजा जाता है । यह उपढ़ौकन कन्याके पिताके मन फलकी सृष्टि की है, जिन्होंने मनूदागमननिषेध किया है, मुताविक होना चाहिये। नहीं तो विवाद उपस्थित जिन्होंने वाग्दानका शासन रखा है। उन्होंने हमें चन्द्रा- हानेको आशङ्का उठ खड़ा होती है। ऐसा समय उप तपके नीचे पवित्र विवाहसूत्र में बंध जानेकी आमा दे स्थित होने पर वरका पिता कन्याक पिताको नगद कुछ | रखी है। मूसा और इसरायलके धर्मानुसार इस उपस्थित भेज कर उसे ठण्डा करता है। उपढ़ौकन स्वीकार कर साक्षी और गुरुजनोंके सामने यह प्याला और शराब• लेने पर वर पक्षका कोई आत्मीय कन्याके पिताके मुंह के प्यालामें डाली हुई चांदीकी अंगुठीको और जो कुछ में चीनी गुड़ डाल देते हैं और इसके बाद सभी वहांसे | हमारे क्षमताधीन हैं, उसके लिये तुम सामुलकी कन्या चले आते हैं। कन्याको सुसजित करने के लिये जिन रिवका थे और मैं दाउदपुत्र वैज्ञामिन ई-मेरे साथ जिन आमरणों और चीजोंको जरूरत होती है, वह सभी सम्बन्ध और परिणति हुई । जिन्होंने नरनारीको परि- चीजें उपढ़ौकनस्वरूप आती हैं। कन्या उन्ही सब णयसूत्र में बंध जानेकी आधा दी है, उन प्रभुका स्तुति- धस्तुओंको पहन ओढ़ कर वियाहके लिये तैयार होती | गान करें।' (इसके बाद वर कन्याकी ओर देख कर